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रैन बसेरे में पुरुषों के साथ रहने को मजबूर महिलाएं, नहीं है अलग से कोई व्यवस्था

लखनऊ के सीतापुर रोड पर नगर निगम जोन-3 द्वारा एक अस्थायी रैन बसेरा की व्यवस्था की गई है. जिससे बेघर और मजदूर लोग ठहर सके. वहीं पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी एक ही एक ही रैन बसेरे में रखा जा रहा है. इसको लेकर नगर निगम द्वारा किसी तरह की अलग से व्यवस्था नहीं की गई है.

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Published : Dec 23, 2020, 9:12 AM IST

Updated : Dec 24, 2020, 6:17 AM IST

रैन बसेरे में पुरुषों के साथ रहने को मजबूर महिलाएं
रैन बसेरे में पुरुषों के साथ रहने को मजबूर महिलाएं

लखनऊ: राजधानी के सीतापुर रोड पर नगर निगम जोन-3 द्वारा एक अस्थायी रैन बसेरा लगाया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से आए हुए मजदूरों और बेघर लोगों को ठंडी के मौसम में रुकने के लिए सहारा मिल सके. लेकिन वहीं एक तरफ महिलाओं के प्रति सुरक्षा को लेकर नगर निगम रैन बसेरे में पूरी तरह अनदेखा कर रहा है.

क्या है पूरा मामला
ठंडी का मौसम आते ही राजधानी के चौराहों पर नगर निगम द्वारा रैन बसेरे लगाए जा रहे हैं, लेकिन रैन बसेरों के नाम पर बहुत बड़ी लापरवाही भी नगर निगम के अधिकारियों की सामने आ रही है. नगर निगम जोन 3 द्वारा सीतापुर रोड स्थित रैन बसेरा लगाया गया है, जिसमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी एक ही एक ही रैन बसेरे में रखा जा रहा है. इसको लेकर नगर निगम द्वारा किसी तरह की अलग से व्यवस्था नहीं की गई है. वहीं सरकार द्वारा चलाई जाने वाली मिशन शक्ति योजनाओं को नगर निगम के अधिकारी ऑफिस में बैठे-बैठे खानापूर्ति करते रहते हैं.

रैन बसेरे में पुरुषों के साथ रहने को मजबूर महिलाएं.

रैन बसेरे में 18 बिस्तर की व्यवस्था
वहीं इस रैन बसेरे में करीब 18 बिस्तर की व्यवस्था की गई है, वहीं शाम होते-होते 50 से 60 लोग रैन बसेरे में पहुंच जाते हैं, इस बीच रैन बसेरे में पुरुषों के बीच मजबूरियों के कारण महिला भी रहती है. जिसको लेकर नगर निगम द्वारा किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई है.

नगर निगम से महिला ने अलग से रैन बसेरे की मांग की
रैन बसेरे में रहने वाली महिला सरला ने बताया कि वह लखीमपुर की रहने वाली है ,और उनका घर बाढ़ में बह गया था. जिसके बाद से वह लखनऊ आ गई और सड़क के पटरी पर रह कर अपने जीवन का गुजर बसर कर रही हैं, जब उनके परिवार के बारे में जानकारी ली गई, तो उन्होंने बताया कि मेरे पति का हाथ टूट गया है. जिसके वजह से घरों में जाकर पोछा लगाने का काम करती हूं ,और हमारे बच्चे हमारे साथ रहते हैं.

वहीं जब रैन बसेरे को लेकर बात की गई, तो उन्होंने बताया कि मजबूरी के कारण अपने जीवन को चलाने के लिए, हम पुरुषों के बीच में रहने के लिए मजबूर है. वहीं रात होते ही पुरुष रैन बसेरे में आकर भद्दी-भद्दी गालियां देते हैं, इस बीच मजबूरी होने के कारण इन लोगों के बीच ही मुंह बंद करके मुझे रहना पड़ता है. वहीं नगर निगम द्वारा अगर महिलाओं के लिए अलग से रैन बसेरे की व्यवस्था करा दी जाए, तो इस तरह कि मुझे कोई परेशानी नहीं होगी.

जोनल अधिकारी ने दी जानकारी
जोनल अधिकारी राजेश सिंह ने बताया कि यह बात मेरे संज्ञान में आई है, इसको लेकर अधिकारियों से बात की जाएगी. जिससे महिलाओं को सुरक्षा के ध्यान में रखते हुए, उनके लिए अलग से रैन बसेरा की व्यवस्था जल्द ही की जाएगी.

लखनऊ: राजधानी के सीतापुर रोड पर नगर निगम जोन-3 द्वारा एक अस्थायी रैन बसेरा लगाया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से आए हुए मजदूरों और बेघर लोगों को ठंडी के मौसम में रुकने के लिए सहारा मिल सके. लेकिन वहीं एक तरफ महिलाओं के प्रति सुरक्षा को लेकर नगर निगम रैन बसेरे में पूरी तरह अनदेखा कर रहा है.

क्या है पूरा मामला
ठंडी का मौसम आते ही राजधानी के चौराहों पर नगर निगम द्वारा रैन बसेरे लगाए जा रहे हैं, लेकिन रैन बसेरों के नाम पर बहुत बड़ी लापरवाही भी नगर निगम के अधिकारियों की सामने आ रही है. नगर निगम जोन 3 द्वारा सीतापुर रोड स्थित रैन बसेरा लगाया गया है, जिसमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी एक ही एक ही रैन बसेरे में रखा जा रहा है. इसको लेकर नगर निगम द्वारा किसी तरह की अलग से व्यवस्था नहीं की गई है. वहीं सरकार द्वारा चलाई जाने वाली मिशन शक्ति योजनाओं को नगर निगम के अधिकारी ऑफिस में बैठे-बैठे खानापूर्ति करते रहते हैं.

रैन बसेरे में पुरुषों के साथ रहने को मजबूर महिलाएं.

रैन बसेरे में 18 बिस्तर की व्यवस्था
वहीं इस रैन बसेरे में करीब 18 बिस्तर की व्यवस्था की गई है, वहीं शाम होते-होते 50 से 60 लोग रैन बसेरे में पहुंच जाते हैं, इस बीच रैन बसेरे में पुरुषों के बीच मजबूरियों के कारण महिला भी रहती है. जिसको लेकर नगर निगम द्वारा किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई है.

नगर निगम से महिला ने अलग से रैन बसेरे की मांग की
रैन बसेरे में रहने वाली महिला सरला ने बताया कि वह लखीमपुर की रहने वाली है ,और उनका घर बाढ़ में बह गया था. जिसके बाद से वह लखनऊ आ गई और सड़क के पटरी पर रह कर अपने जीवन का गुजर बसर कर रही हैं, जब उनके परिवार के बारे में जानकारी ली गई, तो उन्होंने बताया कि मेरे पति का हाथ टूट गया है. जिसके वजह से घरों में जाकर पोछा लगाने का काम करती हूं ,और हमारे बच्चे हमारे साथ रहते हैं.

वहीं जब रैन बसेरे को लेकर बात की गई, तो उन्होंने बताया कि मजबूरी के कारण अपने जीवन को चलाने के लिए, हम पुरुषों के बीच में रहने के लिए मजबूर है. वहीं रात होते ही पुरुष रैन बसेरे में आकर भद्दी-भद्दी गालियां देते हैं, इस बीच मजबूरी होने के कारण इन लोगों के बीच ही मुंह बंद करके मुझे रहना पड़ता है. वहीं नगर निगम द्वारा अगर महिलाओं के लिए अलग से रैन बसेरे की व्यवस्था करा दी जाए, तो इस तरह कि मुझे कोई परेशानी नहीं होगी.

जोनल अधिकारी ने दी जानकारी
जोनल अधिकारी राजेश सिंह ने बताया कि यह बात मेरे संज्ञान में आई है, इसको लेकर अधिकारियों से बात की जाएगी. जिससे महिलाओं को सुरक्षा के ध्यान में रखते हुए, उनके लिए अलग से रैन बसेरा की व्यवस्था जल्द ही की जाएगी.

Last Updated : Dec 24, 2020, 6:17 AM IST
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