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पेट पालने के लिए नीता वो काम कर रही है, जिसका नाम सुनते ही कांप उठता है 'कलेजा'

सारंगढ़ समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला पिछले कई वर्षों से पोस्टमार्टम का काम कर रही है. परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए नीता वो काम कर रही है, जिसे करने में किसी का भी कलेजा कांप जाता है.

वर्षों से पोस्टमार्टम कर रही नीता.
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Published : Oct 31, 2019, 4:25 PM IST

रायगढ़: पोस्टमार्टम, जिसके बारे में सोचने मात्र से ही हमारा दिल कांप उठता है. वही काम एक महिला वर्षों से कर रही है. सारंगढ़ समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला बीते कई सालों से पोस्टमार्टम कर रही है. पति की मौत के बाद परिवार चलाने के लाले पड़ गए थे. घर चलाने की जिम्मेदारी कंधे पर थी, जिसके बाद महिला को स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने ये नौकरी दे दी.

वर्षों से पोस्टमार्टम कर रही नीता.
  • ETV भारत से बातचीत के दौरान महिला ने बताया कि पहले वह सफाई कर्मी थी, लेकिन पति की मौत के बाद बच्चे और खुद की जिम्मेदारी निभाने के लिए अस्पताल में पोस्टमार्टम करने लगी.
  • नीता सोना ने बताया कि शव देखकर पहले उसे डर लगता था, लेकिन अब वह नहीं डरती हैं, बल्कि इसे अपनी ड्यूटी मानती हैं. कई बार देर रात को भी पोस्टमार्टम करती हैं.
  • नीता कहती है कि अब ऐसा हो गया है कि हफ्ते भर पुराने शव का भी पोस्टमार्टम करने में भी उसे डर नहीं लगता है.

नीता सोना के हौसले और हिम्मत की होती है तारीफ
वहीं डॉ. जे.आर. घृतलहरे ने नीता सोना की तारीफ करते हुए कहा कि वह बहुत हिम्मती हैं, उन्हें अपना दायित्व बखूबी निभाना आता है. डॉक्टर ने बताया कि नीता देर रात भी बिना डर के शवों का पोस्टमार्टम करती है, जो एक आम इंसान के लिए इतना आसान नहीं है.

रायगढ़: पोस्टमार्टम, जिसके बारे में सोचने मात्र से ही हमारा दिल कांप उठता है. वही काम एक महिला वर्षों से कर रही है. सारंगढ़ समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला बीते कई सालों से पोस्टमार्टम कर रही है. पति की मौत के बाद परिवार चलाने के लाले पड़ गए थे. घर चलाने की जिम्मेदारी कंधे पर थी, जिसके बाद महिला को स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने ये नौकरी दे दी.

वर्षों से पोस्टमार्टम कर रही नीता.
  • ETV भारत से बातचीत के दौरान महिला ने बताया कि पहले वह सफाई कर्मी थी, लेकिन पति की मौत के बाद बच्चे और खुद की जिम्मेदारी निभाने के लिए अस्पताल में पोस्टमार्टम करने लगी.
  • नीता सोना ने बताया कि शव देखकर पहले उसे डर लगता था, लेकिन अब वह नहीं डरती हैं, बल्कि इसे अपनी ड्यूटी मानती हैं. कई बार देर रात को भी पोस्टमार्टम करती हैं.
  • नीता कहती है कि अब ऐसा हो गया है कि हफ्ते भर पुराने शव का भी पोस्टमार्टम करने में भी उसे डर नहीं लगता है.

नीता सोना के हौसले और हिम्मत की होती है तारीफ
वहीं डॉ. जे.आर. घृतलहरे ने नीता सोना की तारीफ करते हुए कहा कि वह बहुत हिम्मती हैं, उन्हें अपना दायित्व बखूबी निभाना आता है. डॉक्टर ने बताया कि नीता देर रात भी बिना डर के शवों का पोस्टमार्टम करती है, जो एक आम इंसान के लिए इतना आसान नहीं है.

Intro:लोग जहां किसी के शव देखकर ही विचलित हो जाते हैं ऐसे में जिले के सारंगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते कई सालों से एक महिला पोस्टमार्टम कर रही है। पति की मौत के बाद महिला अपना परिवार चलाने के लिए इस पेशे में आई। डॉक्टरों का भी कहना है कि छत विक्षिप्त स्थिति में भी शव की पोस्टमार्टम देर रात तक करने के लिए नहीं घबराती।

byte नीता सोना
byte02 डॉ घृतलहरे, बीएमओ


Body: दरअसल जिले के सारंगढ़ समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते कई सालों से एक महिला पोस्टमार्टम करती आ रही है। ईटीवी भारत से बातचीत में महिला ने बताया कि उसके पति के गुजर जाने के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसके ऊपर आ गई। पेशे से वह सफाई कर्मी थी। परिवार में पति के मौत के बाद बच्चे और स्वयं की जिम्मेदारी निभाने के लिए अस्पताल में शव विच्छेदन (पोस्टमार्टम) का काम करने लगी। जहां लोग मृत शरीर को देखकर ही भयभीत हो जाते हैं ऐसे में महिला देर रात होने के बाद भी पोस्टमार्टम करती है। लगभग 50 वर्षीय नीता का कहना है कि शुरुआत में डर लगा लेकिन धीरे-धीरे आदत होने लगी। अब ऐसा हो गया है कि हफ्ते पुराने शव क भी पोस्टमार्टम करने से डर नहीं लगता। इतनी मेहनत के बावजूद भी मेहनताना मासिक 2000 ही मिलता है। लोगों में ही भ्रांति रहती है कि पोस्टमार्टम करने वाले शराब के नशे में चिरफाड करते हैं लेकिन नीता का कहना है कि वह किसी भी तरह का नशा नहीं करती और अपने पूरे होशो हवास में ही पोस्टमार्टम करती है। बड़े बेटे की शादी के बाद अभी अपनी मां के साथ रहती है।


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