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लखनऊ- यूपी में चाचा-भतीजे की लड़ाई से किसको फायदा

देश में सीटों के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाता कई लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं. कांग्रेस और महागठबंधन इन वोटों पर नजर गड़ाए हुए है. लेकिन माना जा रहा है कि आपसी मतभेदों के चलते अलग पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव महागठबंधन का गणित बिगाड़ सकते हैं. राज्य के कई बड़े मुस्लिम संगठन शिवपाल यादव की पार्टी को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसी स्थिति में बीजेपी को फायदा पहुंचने की उम्मीद है.

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Published : Apr 9, 2019, 9:41 PM IST

समाजवादी पार्टी कार्यालय

लखनऊ: देश की सियासत में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों का बड़ा अहम किरदार माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि देश की राजनीति यूपी से ही तय होती है. राज्य में एक बड़ा वोट बैंक मुसलमानों का भी है. मुस्लिमों का वोट हासिल करने के लिए सपा समेत कई बड़ी पार्टियां एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं.

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे और मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी से किनारा करके अपनी नई प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) बना ली है और लोकसभा चुनाव में कूद गए हैं. प्रसपा को पीस पार्टी समेत मुसलमानों के कई बड़े संगठनों ने समर्थन का ऐलान किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि चाचा और भतीजे के विवाद में इस बार मुसलमानों का वोट आपस में ही बंट सकता है.

यूपी में मुस्लिम किस पार्टी को करेंगे वोट


प्रसपा के प्रवक्ता इरफान मलिक का कहना है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अल्पसंख्यकों की बात तो करते हैं लेकिन मुसलमानों के मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं बोलते हैं. इस बार मुसलमान भी सभी पार्टियों के मेनिफेस्टो को देखेगा और सोच-समझ कर अपने वोट का फैसला करेगा.

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी मुस्लिम वोटों के बंटने से इंकार करते हैं. वे कहते हैं, "इस चुनाव में जनता उम्मीद के साथ गठबंधन की ओर देख रही है. जहां तक प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सवाल है तो वह कहीं गिनती में नजर नहीं आ रही है."
आंकड़ो के मुताबिक यूपी में 20 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम वोट हैं. ऐसे में मुसलमान वोट नतीजों को प्रभावित कर सकता है. समाजवादी पार्टी के खाते में जाने वाला मुस्लिम वोट शिवपाल सिंह यादव के साथ भी जा सकता है. दोनों पार्टियों के बीच मुस्लिम वोट का बिखराव सीधे तौर पर बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है.

लखनऊ: देश की सियासत में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों का बड़ा अहम किरदार माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि देश की राजनीति यूपी से ही तय होती है. राज्य में एक बड़ा वोट बैंक मुसलमानों का भी है. मुस्लिमों का वोट हासिल करने के लिए सपा समेत कई बड़ी पार्टियां एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं.

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे और मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी से किनारा करके अपनी नई प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) बना ली है और लोकसभा चुनाव में कूद गए हैं. प्रसपा को पीस पार्टी समेत मुसलमानों के कई बड़े संगठनों ने समर्थन का ऐलान किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि चाचा और भतीजे के विवाद में इस बार मुसलमानों का वोट आपस में ही बंट सकता है.

यूपी में मुस्लिम किस पार्टी को करेंगे वोट


प्रसपा के प्रवक्ता इरफान मलिक का कहना है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अल्पसंख्यकों की बात तो करते हैं लेकिन मुसलमानों के मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं बोलते हैं. इस बार मुसलमान भी सभी पार्टियों के मेनिफेस्टो को देखेगा और सोच-समझ कर अपने वोट का फैसला करेगा.

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी मुस्लिम वोटों के बंटने से इंकार करते हैं. वे कहते हैं, "इस चुनाव में जनता उम्मीद के साथ गठबंधन की ओर देख रही है. जहां तक प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सवाल है तो वह कहीं गिनती में नजर नहीं आ रही है."
आंकड़ो के मुताबिक यूपी में 20 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम वोट हैं. ऐसे में मुसलमान वोट नतीजों को प्रभावित कर सकता है. समाजवादी पार्टी के खाते में जाने वाला मुस्लिम वोट शिवपाल सिंह यादव के साथ भी जा सकता है. दोनों पार्टियों के बीच मुस्लिम वोट का बिखराव सीधे तौर पर बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है.

Intro:देश में 11 अप्रैल से लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान का आगाज़ होने जा रहा है वहीं अगर बात करें देश के सबसे बड़े सूबे उत्तरप्रदेश की तो यहाँ पर एक बड़ा वोटबैंक मुसलमानों का माना जाता है लेकिन इस बार मुसलमानों का वोट समाजवादी पार्टी और शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में बटने की आशंका जताई जा रही है क्योंकि पीस पार्टी समेत मुसलमानों के कई बड़े संगठन प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में समर्थन का ऐलान कर चुके हैं ऐसे में माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील पार्टी के बीच मुस्लिम वोट आपस में ही बट सकता है जिसका सीधा फायदा बीजेपी को हो सकता है।


Body: देश की सियासत में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों का बड़ा किरदार माना जाता है कहते हैं कि देश की राजनीति उत्तर प्रदेश से तय होती है जिसमें एक बड़ा वोट बैंक मुसलमानों का भी है लेकिन मुसलमानों का वोट हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी समेत कई पार्टियों ने मुसलमानों की हिमायत तो जताई लेकिन मुसलमानों के साथ किए हुए वादे पूरे करने में नाकाम रहे जिसमें समाजवादी पार्टी का नाम भी शामिल है लेकिन इस लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे और मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी से किनारा करके अपनी नई प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ मैदान में उतर चुके है जिसमें पीस पार्टी समेत मुसलमानों के कई बड़े संगठन पहले से ही समर्थन का ऐलान कर चुके हैं ऐसे में माना जा रहा है कि चाचा और भतीजे के विवाद में इस बार मुसलमानों का वोट आपस में ही बट सकता है हालांकि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता इरफान मलिक का कहना है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अल्पसंख्यकों की तो बात करते हैं लेकिन मुसलमानों के मुद्दे पर खुलकर कोई बात नहीं करते हैं इस बार मुसलमान भी सभी पार्टियों के मेनिफेस्टो को देखेगा और सोच समझ कर अपने वोट का फैसला करेगा तो वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी का कहना है के इस लोक सभा इलेक्शन में जनता उम्मीद के साथ गठबंधन की ओर देख रही है लेकिन प्रगतिशील समाजवादी पार्टी कहीं गिनती में नजर नहीं आ रही है।

बाइट:- इरफान मलिक, प्रवक्ता,प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया

बाइट:- अब्दुल हफीज गांधी, प्रवक्ता,समाजवादी पार्टी


Conclusion:आकड़ो के मुताबिक़ यूपी में मुस्लिम वोट 20 प्रतिशत से ज़्यादा है ऐसे में कही न कही उत्तरप्रदेश में मुसलमान वोट निर्णायक भूमिका निभाने का भी दम रखता है लेकिन समाजवादी पार्टी के खाते में जाने वाला मुस्लिम वोट सपा से अलग हुए शिवपाल सिंह यादव के साथ भी जा सकता है जिससे दोनों पार्टियों के बीच बटता मुस्लिम वोट का बिखराव सीधे तौर पर बीजेपी को फायदा पहुँचा सकता है।
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