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राष्ट्र निर्माण में जो काम नेहरू समाजिक क्षेत्र में कर रहे थे, वही दिलीप कुमार ने फिल्मों में किया: मणिशंकर अय्यर

'ट्रेजेडी किंग' दिलीप कुमार के निधन पर अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा वेबिनार श्रद्धांजलि का आयोजन किया गया. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मन्त्री मणिशंकर अय्यर ने कहा कि जब तक दिलीप कुमार जी हमारे दिलों में रहेंगे हमें एहसास होता रहेगा कि राष्ट्रीयता क्या है, समाजवादी विचार क्या है.

दिलीप कुमार की वेबिनार श्रद्धांजलि
दिलीप कुमार की वेबिनार श्रद्धांजलि
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Published : Jul 8, 2021, 10:47 PM IST

लखनऊ: 'ट्रेजेडी किंग' (Tragedy King) के नाम से मशहूर दिलीप कुमार (Dilip Kumar), युसूफ खान (Yusuf Khan) का बीते बुधवार सुबह 7 बजे निधन हो गया. दिलीप कुमार को सांस लेने में तकलीफ होने के कारण 6 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दिलीप कुमार के निधन पर अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा वेबिनार श्रद्धांजलि का आयोजन किया गया. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मन्त्री मणिशंकर अय्यर ने कहा कि जब तक दिलीप कुमार जी हमारे दिलों में रहेंगे हमें एहसास होता रहेगा कि राष्ट्रीयता क्या है, समाजवादी विचार क्या है. दिलीप कुमार आधुनिक भारत के शिल्पकार पण्डित नेहरू के पसंदीदा अभिनेता थे. अय्यर ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए नेहरू जो काम आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था के क्षेत्र में कर रहे थे दिलीप कुमार वही काम अपनी फिल्मों में कर रहे थे.

नेहरू का युग आशा का युग था

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश के रे ने कहा कि नेहरू का युग आशा का युग था. हमारे सिनेमा, कला, पेंटिंग और साहित्य में यह साफ झलकता है. दिलीप कुमार इस आशा के युग के सबसे बेहतरीन प्रतिनिधि थे. उन्होंने अपनी फिल्मों के जरिये गांव के लोगों, गरीबों-कमजोरों और मानवीय मूल्यों के पक्ष में खड़े होने की प्रेरणा दी. फिल्म समीक्षक और अनुवादक अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि नेहरूवादी मूल्‍यों की सबसे बड़ी सेवा ये होगी कि हम राष्‍ट्रवाद, लोकतंत्र, सहकारिता, समाजवाद, सेकुलरवाद, आत्‍मनिर्भरता जैसे शब्‍दों के उस असली अर्थ को वापस ले आएं जो राष्‍ट्रीय आंदोलन की देन था. फिर उन मूल्‍यों को समाज में कहानियों और किरदारों के माध्‍यम से ले जाएं और नाटक, कविता, गीत, फिल्‍म, जन-संस्‍कृति को राजनीति का हथियार बनाएं, जैसा नेहरू जी ने सिनेमा के साथ किया था.

सामूहिक त्रासदी से पीड़ित थे कलाकार

वरिष्ठ पत्रकार विश्व दीपक ने कहा कि बंटवारे के बाद उस समय बहुत सारे ऐसे कलाकार भारत आए जो सामूहिक त्रासदी से पीड़ित थे लेकिन, उन्होंने अपनी त्रासदियों से उपजी पीड़ा और अनुभव का इस्तेमाल अपनी सृजनात्मकता को देने में किया. जिसके लिए नेहरू ने अनुकूल माहौल तैयार किया क्योंकि वह निजी स्वतंत्रता के पक्षधर थे. उन्होंने कहा कि ये संयोग नहीं था कि आशा के उस नेहरू वादी युग के तीनों बड़े अभिनेता दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद बंटवारे के कारण भारत आए और धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील मूल्यों के वाहक बने. उन्होंने कहा कि दिलीप कुमार इस महाद्वीप की साझा कल्पनाओं, उम्मीदों और दुख को जोड़ने वाली शख्सियत थे.

ये लोग रहे मौजूद

असगर मेहंदी ने दिलीप कुमार की निजी और सिनेमाई जीवन के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डाली. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन से निकले मूल्यों पर उनका अटूट विश्वास था. जन व्यथा निवारण सेल के संयोजक संजय शर्मा ने कहा कि दिलीप कुमार ने अपने पेशेवर और समाजिक जीवन से स्वयं को इस देश के सबसे प्रतिनिधि व्यक्तित्व के बतौर स्थापित किया था. उस दौर की कल्पना उनके बिना नहीं हो सकती. वेबिनार का संचालन अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने किया. वेबिनार में अल्पसंख्यक कांग्रेस के वाइस चेयरमैन डॉ. श्रेया चौधरी, अख्तर मलिक, महासचिव हुमायूं मिर्जा, सलीम अहमद, ओ पी शर्मा, रफत फातिमा, शाहिद खान आदि मौजूद रहे.

लखनऊ: 'ट्रेजेडी किंग' (Tragedy King) के नाम से मशहूर दिलीप कुमार (Dilip Kumar), युसूफ खान (Yusuf Khan) का बीते बुधवार सुबह 7 बजे निधन हो गया. दिलीप कुमार को सांस लेने में तकलीफ होने के कारण 6 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दिलीप कुमार के निधन पर अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा वेबिनार श्रद्धांजलि का आयोजन किया गया. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मन्त्री मणिशंकर अय्यर ने कहा कि जब तक दिलीप कुमार जी हमारे दिलों में रहेंगे हमें एहसास होता रहेगा कि राष्ट्रीयता क्या है, समाजवादी विचार क्या है. दिलीप कुमार आधुनिक भारत के शिल्पकार पण्डित नेहरू के पसंदीदा अभिनेता थे. अय्यर ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए नेहरू जो काम आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था के क्षेत्र में कर रहे थे दिलीप कुमार वही काम अपनी फिल्मों में कर रहे थे.

नेहरू का युग आशा का युग था

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश के रे ने कहा कि नेहरू का युग आशा का युग था. हमारे सिनेमा, कला, पेंटिंग और साहित्य में यह साफ झलकता है. दिलीप कुमार इस आशा के युग के सबसे बेहतरीन प्रतिनिधि थे. उन्होंने अपनी फिल्मों के जरिये गांव के लोगों, गरीबों-कमजोरों और मानवीय मूल्यों के पक्ष में खड़े होने की प्रेरणा दी. फिल्म समीक्षक और अनुवादक अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि नेहरूवादी मूल्‍यों की सबसे बड़ी सेवा ये होगी कि हम राष्‍ट्रवाद, लोकतंत्र, सहकारिता, समाजवाद, सेकुलरवाद, आत्‍मनिर्भरता जैसे शब्‍दों के उस असली अर्थ को वापस ले आएं जो राष्‍ट्रीय आंदोलन की देन था. फिर उन मूल्‍यों को समाज में कहानियों और किरदारों के माध्‍यम से ले जाएं और नाटक, कविता, गीत, फिल्‍म, जन-संस्‍कृति को राजनीति का हथियार बनाएं, जैसा नेहरू जी ने सिनेमा के साथ किया था.

सामूहिक त्रासदी से पीड़ित थे कलाकार

वरिष्ठ पत्रकार विश्व दीपक ने कहा कि बंटवारे के बाद उस समय बहुत सारे ऐसे कलाकार भारत आए जो सामूहिक त्रासदी से पीड़ित थे लेकिन, उन्होंने अपनी त्रासदियों से उपजी पीड़ा और अनुभव का इस्तेमाल अपनी सृजनात्मकता को देने में किया. जिसके लिए नेहरू ने अनुकूल माहौल तैयार किया क्योंकि वह निजी स्वतंत्रता के पक्षधर थे. उन्होंने कहा कि ये संयोग नहीं था कि आशा के उस नेहरू वादी युग के तीनों बड़े अभिनेता दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद बंटवारे के कारण भारत आए और धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील मूल्यों के वाहक बने. उन्होंने कहा कि दिलीप कुमार इस महाद्वीप की साझा कल्पनाओं, उम्मीदों और दुख को जोड़ने वाली शख्सियत थे.

ये लोग रहे मौजूद

असगर मेहंदी ने दिलीप कुमार की निजी और सिनेमाई जीवन के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डाली. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन से निकले मूल्यों पर उनका अटूट विश्वास था. जन व्यथा निवारण सेल के संयोजक संजय शर्मा ने कहा कि दिलीप कुमार ने अपने पेशेवर और समाजिक जीवन से स्वयं को इस देश के सबसे प्रतिनिधि व्यक्तित्व के बतौर स्थापित किया था. उस दौर की कल्पना उनके बिना नहीं हो सकती. वेबिनार का संचालन अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने किया. वेबिनार में अल्पसंख्यक कांग्रेस के वाइस चेयरमैन डॉ. श्रेया चौधरी, अख्तर मलिक, महासचिव हुमायूं मिर्जा, सलीम अहमद, ओ पी शर्मा, रफत फातिमा, शाहिद खान आदि मौजूद रहे.

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