प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज जिला प्रशासन द्वारा निजी संपत्ति विवाद में हस्तक्षेप करने को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने डीएम को विवादित संपत्ति का कब्जा याची को सौंपने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने याची अरुण प्रकाश शुक्ल के अधिवक्ता देवांश मिश्र, सौमित्र आनंद एवं शाश्वत आनंद और विपक्षी व सरकार के वकील को सुनकर दिया है.
अरुण प्रकाश शुक्ल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सोरांव तहसील के कटरा दयाराम गांव स्थित विवादित संपत्ति पर अपने कब्जे की सुरक्षा की मांग की थी. याची का कहना था कि उसने यह संपत्ति राम नरेश मिश्र से खरीदी थी. राम नरेश मिश्र के उत्तराधिकारियों ने इस लेन-देन को यह कहते हुए चुनौती दी कि विक्रेता संपत्ति बेचने में सक्षम नहीं थे. वर्ष 2013 में अदालत ने इस चुनौती को खारिज कर दिया और याची के कब्जे को सही ठहराया. इस फैसले के खिलाफ अपील की गई है. उसमें कोई स्थगन आदेश नहीं दिया गया है.
याचिका में कहा गया कि अपील लंबित रहने के बावजूद रामाकांत ने प्रशासन से जबरन बेदखल करने की शिकायत की. इस पर प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए राजस्व अभिलेखों के आधार पर उसकी शिकायत पर संज्ञान लिया. पुलिस सहायता से उसे संपत्ति का कब्जा सौंप दिया और याची को बेदखल कर दिया. याची के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि यह कार्रवाई पूरी तरह से अवैध थी, क्योंकि न तो अदालत का कोई आदेश था और न ही प्रशासन को इस प्रकार के हस्तक्षेप का कोई कानूनी अधिकार था.
उधर, विपक्षी के वकील ने दलील दी कि प्रशासनिक हस्तक्षेप जरूरी था. सुनवाई के बाद कोर्ट ने जिला प्रशासन की कार्रवाई को पूरी तरह अस्वीकार्य ठहराया और कहा कि प्रशासन को अचल संपत्ति के स्वामित्व या कब्जे के मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि प्रशासन केवल बीएनएसएस की धारा 107 और 116 के तहत कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिकृत है, लेकिन वह किसी भी सिविल विवाद में न्यायिक निर्णय नहीं ले सकता. कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट प्रयागराज को अपनी कार्रवाई को तत्काल वापस लेने और याची को कब्जा लौटाने का निर्देश दिया. साथ ही कब्जा बहाली की प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संपत्ति के स्वामित्व व कब्जे से संबंधित अंतिम निर्णय अपीलीय अदालत द्वारा किया जाएगा.