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जानिए, जंगलों में वन्य जीवों को अत्याधुनिक हथियार से कैसे किया जाता है रेस्क्यू

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को वन्य जीव प्राणी सप्ताह का उद्घाटन किया. जहां ईटीवी भारत संवाददाता ने अत्याधुनिक हथियार और तकनीक को लेकर फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारी और चिकित्सकों की टीम से बातचीत की.

ईटीवी भारत संवाददाता से बात करते कर्मचारी और चिकित्सक.
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Published : Oct 4, 2019, 7:02 PM IST

लखनऊ: वन्य जीव प्राणी सप्ताह का उद्घाटन शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया. इस अवसर पर उन्होंने एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया. इस दौरान ईटीवी भारत ने इस बात की तस्दीक की, कि जंगलों में वन्यजीवों से किस प्रकार से रेस्क्यू किया जाता है. फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारी और चिकित्सकों की टीम बाघ, शेर, हाथी जैसे वन्यजीवों को नियंत्रित करने के लिए अत्याधुनिक हथियार और तकनीक का उपयोग करते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत करते कर्मचारी और चिकित्सक.

जब कोई जानवर जंगल में परेशान करता है या कई बार वह जानवर बाहर आ जाता है तो उसके लिए सीरेंज गन का प्रयोग किया जाता है. वन्यजीवों को नियंत्रित करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड गैस चलित सिरेंज प्रोजेक्टर यानी गन का उपयोग किया जाता है. इससे रासायनिक का प्रयोग करते हुए अपेक्षाकृत लंबी दूरी पर अवस्थित संघर्ष कर रहे वन्य जीव का निश्चेतन करते हैं.

इसके अलावा एक पिस्टल भी है, जिसका उपयोग कम दूरी पर और छोटे जानवरों के लिए किया जाता है. पिछले दिनों बरेली में एक हाथी को रेस्क्यू किया गया था. उस समय भारत के कई प्रसिद्ध डॉक्टर आए हुए थे, जहां ऐसी ही गन का उपयोग किया गया था. रात्रि के समय वन्यजीवों को नियंत्रित करने के सवाल पर डॉ. दयाशंकर कहते हैं कि नाइट विजन कैमरे का उपयोग करते हैं.

ये भी पढ़ें- सीएम योगी ने 'तेजस एक्सप्रेस' को दिखाई हरी झंडी, लखनऊ से दिल्ली के लिए रवाना

रात के समय सबसे ज्यादा नाइट विजन कैमरे का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा कर्मचारी ड्रोन कैमरे का भी उपयोग करते हैं. ऊपर से देखते हैं कि वन्यजीव का एग्जैक्ट लोकेशन कहां पर है. जंगल में आग लगने पर छोटी-छोटी मशीनें भी हैं, जिससे आग पर नियंत्रण किया जाता है. यह एक मोटर चालित उपकरण है, जो पानी का फव्वारा फेंकता है और छोटी आग को प्रेशर से बुझाता है.

ये भी पढ़ें- लखनऊ: बिना एसी इंजन के 'तेजस एक्सप्रेस' को चलाएंगे लोको पायलट

इसके अलावा एनआइडल नाम का एक उपकरण है, जो जंगल और गांव के बीच में बॉर्डर पर लगाते हैं. इसकी सहायता से जानवर वापस जंगल की तरफ लौट जाते हैं. इसके अलावा वर्नाकुलर का एक दूसरा कैमरा भी बोला जाता है, जो दूर की चीजों को देखने में मददगार साबित होता है.

लखनऊ: वन्य जीव प्राणी सप्ताह का उद्घाटन शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया. इस अवसर पर उन्होंने एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया. इस दौरान ईटीवी भारत ने इस बात की तस्दीक की, कि जंगलों में वन्यजीवों से किस प्रकार से रेस्क्यू किया जाता है. फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारी और चिकित्सकों की टीम बाघ, शेर, हाथी जैसे वन्यजीवों को नियंत्रित करने के लिए अत्याधुनिक हथियार और तकनीक का उपयोग करते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत करते कर्मचारी और चिकित्सक.

जब कोई जानवर जंगल में परेशान करता है या कई बार वह जानवर बाहर आ जाता है तो उसके लिए सीरेंज गन का प्रयोग किया जाता है. वन्यजीवों को नियंत्रित करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड गैस चलित सिरेंज प्रोजेक्टर यानी गन का उपयोग किया जाता है. इससे रासायनिक का प्रयोग करते हुए अपेक्षाकृत लंबी दूरी पर अवस्थित संघर्ष कर रहे वन्य जीव का निश्चेतन करते हैं.

इसके अलावा एक पिस्टल भी है, जिसका उपयोग कम दूरी पर और छोटे जानवरों के लिए किया जाता है. पिछले दिनों बरेली में एक हाथी को रेस्क्यू किया गया था. उस समय भारत के कई प्रसिद्ध डॉक्टर आए हुए थे, जहां ऐसी ही गन का उपयोग किया गया था. रात्रि के समय वन्यजीवों को नियंत्रित करने के सवाल पर डॉ. दयाशंकर कहते हैं कि नाइट विजन कैमरे का उपयोग करते हैं.

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रात के समय सबसे ज्यादा नाइट विजन कैमरे का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा कर्मचारी ड्रोन कैमरे का भी उपयोग करते हैं. ऊपर से देखते हैं कि वन्यजीव का एग्जैक्ट लोकेशन कहां पर है. जंगल में आग लगने पर छोटी-छोटी मशीनें भी हैं, जिससे आग पर नियंत्रण किया जाता है. यह एक मोटर चालित उपकरण है, जो पानी का फव्वारा फेंकता है और छोटी आग को प्रेशर से बुझाता है.

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इसके अलावा एनआइडल नाम का एक उपकरण है, जो जंगल और गांव के बीच में बॉर्डर पर लगाते हैं. इसकी सहायता से जानवर वापस जंगल की तरफ लौट जाते हैं. इसके अलावा वर्नाकुलर का एक दूसरा कैमरा भी बोला जाता है, जो दूर की चीजों को देखने में मददगार साबित होता है.

Intro:एंकर
लखनऊ। वन्य जीव प्राणी सप्ताह का उद्घाटन शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया इस अवसर पर उन्होंने एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया ईटीवी भारत आपको बताएगा कि किस प्रकार से जंगलों में वन्यजीवों को कैसे और किस प्रकार से रेस्क्यू किया जाता है फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारियों और चिकित्सकों की टीम बाघ शेर हाथी जैसे वन्यजीवों को नियंत्रित करने के लिए अत्याधुनिक हथियार और तकनीक का उपयोग करते हैं।



Body:जब कोई जानवर जंगल में परेशान करता है या कई बार वह जानवर बाहर आ जाता है तो उसे टेंकुलाइज जाता है उसके लिए यह सीरेंज गन का प्रयोग किया जाता है।

बाईट

दयाशंकर, चिकित्सक, दुधवा नेशनल पार्क
वन्यजीवों को नियंत्रित करने के लिए हम लोग कार्बन डाइऑक्साइड गैस चलित इस सिरेंज प्रोजेक्टर यानी गन का उपयोग करते हैं और इससे रासायनिक का प्रयोग करते हुए अपेक्षाकृत लंबी दूरी पर अवस्थित संघर्षकर रहे वन्य जीव का निश्चेतन करते हैं।
इसके अलावा हमारे पास एक पिस्टल भी है जिसका हम उपयोग करते हैं यह कम दूरी पर और छोटे जानवरों का उपयोग किया जाता है पिछले दिनों बरेली में एक हमने हाथी कोर इसको किया था हमने 2 हाथियों को टेंकुलाइज किए थे और उस समय भारत के कई प्रसिद्ध डॉक्टर आए हुए थे ऐसे ही गन का उपयोग किया गया था फिर उसे रेस्कयू करके उसे हम पीलीभीत लाकर जंगल में छोड़े थे।
रात्रि के समय वन्यजीवों को नियंत्रित करने और किस प्रकार से काम करने के सवाल पर डॉ दयाशंकर कहते हैं कि नाइट विजन कैमरे का उपयोग करते हैं नाइट विजन कैमरा हमारे पास रहते हैं इसे हम देखते हैं कि कितनी दूरी पर वन्यजीव है और वह क्या कर रहा है हेड लैंप भी भी रहती है जिसे हम उपयोग करते हैं फोकस से हमें मिलता है थर्मल कैमरा भी हम लोग यूज़ करते कोई जानवर अंदर है हम उसे देख नहीं सकते थर्मल कैमरे से हम यह अनुमान लगाते हैं कि मैं जाती है इस जगह पर इस लोकेशन पर वन्य जीव है उसे टाइम टेकिंग करते हुए सुबह का इंतजार करते हैं और फिर उसे हम रेस्क्यू करते हैं रात के समय सबसे ज्यादा हम नाइट विजन कैमरा था का उपयोग करते हैं इसके अलावा ड्रोन कैमरे का भी उपयोग करते हैं ऊपर से देखते हैं कि एग्जैक्ट लोकेशन कहां पर वन्यजीव है इसके बाद हमें जानवरों को रिसीव करने में आसानी होती है।
हेलो में आग लगने पर हमारे पास छोटी छोटी मशीनें भी है जिसे आग पर नियंत्रण किया जाता है छोटी मशीन से हम काम करते हैं जो आग लगती है अगर उसे काबू कर लेते हैं तो तो उसे आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है यह एक मोटर चालित उपकरण है यह पानी का फव्वारा फेंकता है और छोटी आग को प्रेशर से बुझाता है इसके अलावा एनआइडल नाम का एक उपकरण हमारे पास है जंगल और गांव के बीच में बॉर्डर पर लगाते हैं और इसे शंकर से एक माध्यम से जंगली जानवर आएगा उसको चेंज करके साउंड निकलती है जो जानवर वापस जंगल की तरफ लौट जाता है इसके अलावा वर्नाकुलर का एक दूसरा कैमरे बोला जाता है दूर की चीजों को देखने में इसका मदद लिया जाता है



Conclusion:ध्यानार्थ डेस्क सहयोगी,

स्टोरी की फीड
कैमरा सहयोगी धीरज जी ने लाइव यू से भेजी है,

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