लखनऊः नई शिक्षा नीति के लागू होने से अब न केवल पढ़ने के, बल्कि पढ़ाने के भी तरीके बदल जायेंगे. छात्रों को अपने विषय चुनने की आजादी होगी. हायर एजुकेशन के दौरान जरूरत पड़ने पर पढ़ाई बीच में छोड़ सकेंगे. इसके साथ ही भविष्य में दोबारा जुड़ने का भी इसमें विकल्प होगा.
नई शिक्षा नीति से आयेगा बदलाव
असल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को प्रदेश में लागू करने की कवायद शुरू कर दी गयी है. प्राइमरी, सेकेंडरी से लेकर उच्च शिक्षा तक में बदलाव के लिए समतियां बना दी गयी हैं. उम्मीद जतायी जा रही है कि जल्द ही समितियां नतीजे देंगी. बात चाहे सरकारी प्राइमरी स्कूलों में दी जाने वाली बेसिक शिक्षा की हो, या फिर इंजीनियरिंग कॉलेजों में मिलने वाली तकनीकी ज्ञान की.
डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति और शासन के बनी स्टैरिंग समिति के सदस्य प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने बताया कि प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों में समान पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है. सेमेस्टर सिस्टम के साथ च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लेकर आ रहे हैं. इसके अलावा क्रेडिट बैंक तैयार हो रहा है.
एलयू ने पीजी में किया लागू
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने कहा कि उन्होंने अपने यूनिवर्सिटी में परास्नातक पाठ्यक्रम में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हिसाब से बदलाव कर दिये हैं. इन्हें सत्र 2020-21 के लिए 100 फीसदी से लागू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि पीजी में फ्लैक्सिबल एंट्री और एक्जेट लागू कर दिया है. पीजी में दाखिला लेने वाला छात्र चाहे तो एक साल में डिप्लोमा लेकर पाठ्यक्रम छोड़ सकता है.
पहली बार प्री-स्कूल को मिली पहचान
डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित कहते हैं कि अभी तक सरकारी सिस्टम में 6 साल की उम्र से पढ़ाई शुरू होती थी. पहली बार प्री स्कूल एजुकेशन को स्वीकार किया गया है.
नई शिक्षा नीति से सर्वांगीण विकास
राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित कहते हैं कि अभी तक सरकारी सिस्टम में 6 साल की उम्र से पढ़ाई शुरू होती थी. पहली बार प्री स्कूल एजुकेशन को स्वीकार किया गया है. पढ़ाई को सिर्फ परीक्षा आधारित न बनाकर, उसे बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए बदला जा रहा है.
उच्च शिक्षा में प्रस्तावित कुछ अहम बदलाव
अभी तक सभी विश्वविद्यालय का अपना-अपना सिलेबस होता था. लेकिन, अब एक समान पाठ्यक्रम लागू होगा. इसके लिए शासन ने निर्देश भी जारी कर दिये हैं. इसके साथ ही एक साथ कई विषय पढ़ने की आजादी भी रहेगी. इसके तहत विज्ञान के छात्र अब चाहें तो इतिहास, भूगोल और कला वर्ग के विषय पढ़ सकेंगे. इसमें छात्रों को विषयों ने बांधकर मनचाहा विषय पसंद करने की छूट मिलेगी. अब क्रेडिट बैंक मिलेगा, इसके लिए बकायदा एक बैंक तैयार किया जायेगा. जिसके तहत तीन साल का स्नातक और दो साल के परास्नातक की पढ़ाई की बाध्यता खत्म हो जायेगी. अब बीच में पढ़ाई छोड़ी जा सकेगी.
स्नातक में होंगे विकल्प
तीन साल का स्नातक करने वालों को दो साल पीजी करनी होगी. लेकिन अब अगर चार साल का स्नातक करते हैं, तो परास्नातक की पढ़ाई एक साल की रह जायेगी और चार साल पीएचडी के होंगे. एमफिल का कोर्स खत्म कर दिया गया है.
कॉलेजों को मिलेगी ऑटोनॉमी
कॉलेजों की गुणवत्ता में सुधार के साथ उन्हें स्वायत्तता प्रदान की जायेगी. दावा है कि इससे कॉलेजों में होने वाले पठन-पाठन में काफी सुधार होगा.
स्कूली शिक्षा में होने जा रहे कुछ बड़े बदलाव
1.प्री-स्कूलों पर नियंत्रण
पहली बार प्री-स्कूलों को भी स्कूलिंग सिस्टम में जगह मिली है. प्रदेश में इनके लिए भी अब नियमावली बनाने का काम किया जा रहा है.
2.पाठ्यक्रम में सुधार की प्रक्रिया शुरू
पाठ्यक्रम को अपडेट किया जा रहा है. एनसीईआरटी लागू करने की तैयारी है.
3.किताब से ज्यादा व्यवहारिक ज्ञान
स्कूली बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित न रखने के दावे किये जा रहे हैं, कक्षा 6 से ही बच्चों को वोकेशनल कोर्स पढ़ाये जायेंगे.
4.साल में दो बार परीक्षा
यूपी बोर्ड की परीक्षाओं को साल में दो बार कराने पर भी मंथन किया जा रहा है.