लखनऊ : उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के गठन की मंजूरी दे दी है. अब इसके बाद उत्तर प्रदेश में रोड हाईवेज की तरह ही वॉटरवे हाईवेज पर तेजी से काम शुरू किया जाएगा. यूपी में अब जल परिवहन को तेजी से बढ़ावा मिलेगा. नदियों में अब नाव और स्टीमर के साथ ही पानी के जहाज चलते हुए नजर आएंगे. इससे सरकार को काफी फायदा होगा. पर्यटक जहां नदियों में पर्यटन का लुत्फ उठा सकेंगे, वहीं लॉजिस्टिक को भी बढ़ावा मिलेगा. जो सरकार की आय का एक प्रमुख जरिया बनेगा. इनलैंड वाटर वे की मंजूरी के बाद अब प्राधिकरण के सामने कई चुनौतियां भी होंगी जिनमें नदियों में जल बढ़ाना सबसे महत्वपूर्ण है.
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में हाल ही में उत्तर प्रदेश अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के कामकाज को लेकर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई. इस दौरान प्रमुख सचिव परिवहन के तरफ से अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के लिए विधेयक बनाने के लिए प्रस्ताव देने की बात कही गई. मुख्य सचिव ने साफ तौर पर कहा कि दो माह बाद विधेयक बन जाएगा. ऐसे में इस प्राधिकरण के लिए नियमावली बनाने की आवश्यकता होगी. इसे लेकर अभी से तैयारी शुरू कर दी जाए. नियमावली में इस प्राधिकरण में काम संपन्न करने के लिए मानव संपदा की आवश्यकता के साथ-साथ भवन को लेकर भी चर्चा हुई. मैन पाॅवर के लिए किस पद की क्या योग्यता होनी ये भी अभी से तैयार कर लिया जाए, साथ ही विभिन्न राज्यों से जहां पर जलमार्ग प्राधिकरण गठित है और जलयान का आवागमन हो रहा है वहां के जानकारों से पूरी जानकारी जुटा लें जिससे प्राधिकरण के गठन के बाद आसानी से काम किया जा सके. उन्होंने निर्देशित किया है कि हर हाल में फरवरी 2024 तक प्राधिकरण के गठन के बाद इसे क्रियाशील करना है.
अलग-अलग शाखाओं में तैनाती : परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक चूंकि जल परिवहन प्राधिकरण में कई विभाग शामिल होंगे और बड़े स्तर का काम होगा, कई शाखाएं भी होंगी. इनका सबका अपना अलग अलग काम होगा, जिनमें तकनीकी, ड्रेनेज, रजिस्ट्रेशन का काम होगा. इनमें डायरेक्टर्स की भी तैनाती किए जाने का भी प्रस्ताव है. परिवहन विभाग की तरह जल परिवहन भी होगा, लिहाजा, यहां भी जलयानों का पंजीकरण होगा. ऐसे में रजिस्ट्री कार्यालय खोले जाएंगे. लखनऊ के अलावा कई अन्य शहरों में भी रीजनल कार्यालय खोले जाएंगे जिसमें बनारस और प्रयागराज मुख्य होंगे.
नदियों में पानी की कमी बड़ी मुसीबत : परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में नदियां तो काफी संख्या में हैं, लेकिन जल की मात्रा कम है. यहां पर नेविगेबल लेंथ काफी कम है. ऐसे में जल परिवहन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पहले नदियों में जल की मात्रा बढ़ाना जलमार्ग प्राधिकरण के सामने बड़ी चुनौती होगी. छोटे-छोटे राज्यों में जल परिवहन को पंख लग रहे हैं, क्योंकि वहां पर नदियों में पानी ज्यादा मात्रा में है, जबकि उत्तर प्रदेश में नदियों में जल की समस्या है. यहां पर नदियों में सिल्ट ज्यादा है. ऐसे में जल की गहराई कम होने से कार्गो का चल पाना मुश्किल होगा. कार्गो को चलने के लिए दो मीटर से ज्यादा पानी की गहराई आवश्यक होगी. इस पर जल परिवहन प्राधिकरण के गठन के बाद संबंधित विभाग पूरा काम करेगा.
अन्य राज्यों में नदियों की स्थिति : आंध्र प्रदेश में नदियों की कुल लंबाई 3761.73 किलोमीटर है, जिसमें नेविगेबल लेंथ तकरीबन 1160 किलोमीटर और टोटल लेंथ का लगभग 31 फीसद है. असम में नदियों की लंबाई 7,988 किलोमीटर है जबकि इसमें से 2,024 किलोमीटर नेविगेबल लेंथ है. कुल लेंथ का 25 फीसद से ज्यादा नेविगेबल लेंथ है. पश्चिम बंगाल में नदियों के कुल लंबाई 4,741 किलोमीटर है जबकि यहां पर नेविगेशन लेंथ 4,593 किलोमीटर है यानी नदियों की कुल लंबाई का लगभग 97 प्रतिशत. नागालैंड में कुल नदियों की लंबाई 276 किलोमीटर है और 276 किलोमीटर में भी नेविगेबल लेंथ है. यानी यहां पर नदियों में सौ फीसद जल परिवहन हो रहा है. इसी तरह झारखंड में भी नदियों की लंबाई कुल 95 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 95 किलोमीटर ही है. यहां पर भी नदियों की लंबाई का 100 फीसद नेविगेबल लेंथ है. इसी तरह बिहार में भी नदियों की लंबाई 1011 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 1011 किलोमीटर है. यानी यहां पर भी नदियों की नेविगेबल लेंथ 100 फीसद है.
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