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स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी भाजपा में फूटे विरोध के सुर

मुख्यमंत्री के दावों के विपरीत कोई और नहीं बल्कि उनकी पार्टी के विधायक, सांसद, यहां तक कि दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री ने भी व्यवस्था पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र टीम-11 की भी पोल खोलते दिखाई दे रहे हैं.

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Published : Apr 30, 2021, 4:24 PM IST

स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर

लखनऊ : कोरोना की दूसरी लहर के बीच जहां सरकार लगातार प्रदेश में दवा, बेड और ऑक्सीजन की किल्लत ना होने और व्यवस्थाओं में सुधारने का दावा कर रही है, वहीं श्मशान घाटोंं पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए लगी लोगों की लाइन, अस्पताल और उसके बाहर ऑक्सीजन के लिए तिल-तिलकर मरते लोग और दवाओं के लिए मची अफरातफरी सरकारी दावों की पोल खुद-ब-खुद खोलती नजर आ रही है.

उधर, लगभग ध्वस्त हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बीजेपी के अपने ही सांसद और विधायकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वे ना केवल शासन-प्रशासन को पत्र लिखकर व्यवस्था में सुधार और अपने क्षेत्र के लोगों के लिए ऑक्सीजन व बेड की मांग कर रहे हैं बल्कि उनकी मांग पूरी ना होने पर धरना प्रदर्शन की चेतावनी तक दे डाली है. इस पूरे घटनाक्रम ने पार्टी के अंतरविरोध को जगजाहिर कर दिया है. वहीं, विधायकों व अन्य कार्यकर्ताओं की इस चिंता को भी जाहिर किया है कि यदि यही स्थिति रही तो पार्टी वर्कर आगामी विधानसभा चुनाव में जनता के बीच अपनी कौन सी उपलब्धि लेकर जा पाएंगे.

पार्टी विधायक-सांसदों ने ही शुरू किया विरोध

कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेशवासियों को झंकझोर कर रख दिया है. कोविड मरीजों को प्रदेश के अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन के लिए तड़पना पड़ा. इस बीच समूची स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने में जुटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की जनता को यह भरोसा देते रहे कि लोग धैर्य रखें, राज्य में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है. मुख्यमंत्री के इन दावों के विपरीत कोई और नहीं बल्कि उनकी पार्टी के विधायक, सांसद, यहां तक कि दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री ने भी व्यवस्था पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए. विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र टीम-11 की भी पोल खोलते दिखाई दे रहे हैं.


सांसद कौशल किशोर ने कई बार मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी समेत अन्य अव्यवस्थाओं को लेकर भाजपा सांसद कौशल किशोर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कई बार पत्र लिख चुके हैं. उन्होंने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया. व्यवस्था में सुधार ना होने पर धरने पर भी बैठने की चेतावनी दे डाली. स्थिति में सुधार ना होने पर सांसद को वीडियो जारी कर ऑक्सीजन सप्लाई की गुहार लगानी पड़ी. वीडियो में उन्होंने राजधानी के ड्रग इंस्पेक्टर पर भी सवाल खड़े किए. कौशल किशोर अकेले भाजपा के सांसद या विधायक नहीं हैं जिन्होंने इस प्रकार अपना बयान सार्वजनिक किया है.

पूर्व मंत्री राजेश अग्रवाल ने सीएम से लगाई गुहार

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, बरेली कैंट से विधायक राजेश अग्रवाल ने भी पिछले दिनों ट्वीट कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यह गुहार लगाई कि बरेली मंडल को लखनऊ और गोरखपुर मंडल की तरह ही गंभीरता से लिया जाए. योगी सरकार में ही वित्त मंत्री रह चुके अग्रवाल ने बरेली मंडल में भी कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं. बरेली को रोज कम से कम 25 से 30 टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है. सीएम ऑफिस से उन्होंने ऑक्सीजन सप्लाई की मांग की.

स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर

यह भी पढ़ें : वसीम रिजवी को मिली जान से मारने की धमकी, FIR दर्ज

राज्यमंत्री ने कहा कि इलाज के अभाव में 500 लोगों की कोरोना से मौत

योगी सरकार के श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष/राज्यमंत्री सुनील भराला ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. गत 26 अप्रैल को उन्होंने पत्र लिखकर कहा, 'कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से मेरठ की हृदय विदारक व भयावह स्थिति की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं. मेरठ में प्रतिदिन लगभग 1500 कोरोना संक्रमण का शिकार हो रहे हैं जबकि यहां के अस्पतालों में दैनिक रूप से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या दैनिक संक्रमित व्यक्तियों के 50 प्रतिशत से भी कम है. परिणाम स्वरुप मेरठ में 1100 से अधिक सक्रिय मरीज मौजूद हैं. इतने अधिक संख्या में सक्रिय मरीजों के लिए मेरठ के सरकारी निजी अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन व रेमेडीसीवर जैसे आवश्यक जीवनरक्षक दवाओं की बहुत बड़ी कमी महसूस हो रही है'. उन्होंने दावा किया कि इसके कारण अब तक लगभग 500 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है.

स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
बीजेपी एमएलए दीनानाथ भाष्कर ने भी उठाए सवाल

भदोही जिले के भारतीय जनता पार्टी के विधायक व पूर्व मंत्री दीनानाथ भास्कर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि उनके जिले के भाजपा महामंत्री लाल बहादुर मौर्य की इलाज के अभाव में मृत्यु हो गई है. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने बताया कि स्वर्गीय लाल बहादुर मौर्य के बच्चों ने उन्हें बताया कि अस्पताल में आईसीयू बेड और रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाए जाने की मांग की जा रही थी लेकिन उन्हें ना तो ऑक्सीजन दी गई और न ही इंजेक्शन. विधायक ने इसकी जांच कराने की मांग की.

स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
भाजपा विधायक केसर सिंह का हुआ निधन

नवाबगंज बरेली से भाजपा विधायक केसर सिंह ने केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर अपने इलाज की गुहार लगाई थी. केंद्रीय मंत्री को लिखे पत्र में केसर सिंह गंगवार ने लिखा कि वह 10 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुए थे. उनका उपचार श्री राममूर्ति स्मारक अस्पताल भोजीपुरा बरेली में चल रहा है. अस्पताल के डॉक्टरों ने प्लाजमा थैरेपी की जरूरत बताई है. केसर सिंह ने अनुरोध किया कि उन्हें दिल्ली के मैक्स अस्पताल में एक बेड उपलब्ध करवा दिया जाए. हालांकि उन्हें मैक्स अस्पताल में तो जगह नहीं मिली लेकिन बरेली प्रशासन ने नोएडा के एक अस्पताल में एडमिट कराया था. आखिरकार वह कोरोना से जंग हार गए. उनका निधन हो गया.

स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
कई विधायकों ने उठाये सवाल

भाजपा विधायक अरविंद गिरी ने लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि पिछले 10 दिनों में दो दर्जन से अधिक प्रमुख साथियों के साथ सैकड़ों लोगों की ऑक्सीजन के अभाव में जान चली गई. यह जमीनी हकीकत है. इसलिए तत्काल ऑक्सीजन की व्यवस्था कराई जाए ताकि लोगों की जान बचाई जा सके. आंवला के सांसद धर्मेंद्र कश्यप भी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर चुके हैं. इतना ही नहीं, कोरोना की पहली लहर के दौरान विधायकों ने भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए थे.

क्या हुआ असर

विधायकों के पत्र का सीधा असर दिखे न दिखे लेकिन मुख्यमंत्री ने पूरी सक्रियता से इस दौरान काम किया. सीएम योगी ने आज एक तब्दीली भी की. पिछली बार कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने शासन के उच्चाधिकारियों की एक टीम गठित की थी. इसमें 11 अधिकारियों को शामिल किया गया था. इसे टीम-11 का नाम दिया गया. शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने टीम-11 का पुनर्गठन करते हुए टीम-9 कर दिया है. उस टीम से दो अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है. हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से यह जानकारी नहीं दी गई है कि किन दो अधिकारियों को किनारे किया गया है.

लखनऊ : कोरोना की दूसरी लहर के बीच जहां सरकार लगातार प्रदेश में दवा, बेड और ऑक्सीजन की किल्लत ना होने और व्यवस्थाओं में सुधारने का दावा कर रही है, वहीं श्मशान घाटोंं पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए लगी लोगों की लाइन, अस्पताल और उसके बाहर ऑक्सीजन के लिए तिल-तिलकर मरते लोग और दवाओं के लिए मची अफरातफरी सरकारी दावों की पोल खुद-ब-खुद खोलती नजर आ रही है.

उधर, लगभग ध्वस्त हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बीजेपी के अपने ही सांसद और विधायकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वे ना केवल शासन-प्रशासन को पत्र लिखकर व्यवस्था में सुधार और अपने क्षेत्र के लोगों के लिए ऑक्सीजन व बेड की मांग कर रहे हैं बल्कि उनकी मांग पूरी ना होने पर धरना प्रदर्शन की चेतावनी तक दे डाली है. इस पूरे घटनाक्रम ने पार्टी के अंतरविरोध को जगजाहिर कर दिया है. वहीं, विधायकों व अन्य कार्यकर्ताओं की इस चिंता को भी जाहिर किया है कि यदि यही स्थिति रही तो पार्टी वर्कर आगामी विधानसभा चुनाव में जनता के बीच अपनी कौन सी उपलब्धि लेकर जा पाएंगे.

पार्टी विधायक-सांसदों ने ही शुरू किया विरोध

कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेशवासियों को झंकझोर कर रख दिया है. कोविड मरीजों को प्रदेश के अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन के लिए तड़पना पड़ा. इस बीच समूची स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने में जुटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की जनता को यह भरोसा देते रहे कि लोग धैर्य रखें, राज्य में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है. मुख्यमंत्री के इन दावों के विपरीत कोई और नहीं बल्कि उनकी पार्टी के विधायक, सांसद, यहां तक कि दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री ने भी व्यवस्था पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए. विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र टीम-11 की भी पोल खोलते दिखाई दे रहे हैं.


सांसद कौशल किशोर ने कई बार मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी समेत अन्य अव्यवस्थाओं को लेकर भाजपा सांसद कौशल किशोर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कई बार पत्र लिख चुके हैं. उन्होंने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया. व्यवस्था में सुधार ना होने पर धरने पर भी बैठने की चेतावनी दे डाली. स्थिति में सुधार ना होने पर सांसद को वीडियो जारी कर ऑक्सीजन सप्लाई की गुहार लगानी पड़ी. वीडियो में उन्होंने राजधानी के ड्रग इंस्पेक्टर पर भी सवाल खड़े किए. कौशल किशोर अकेले भाजपा के सांसद या विधायक नहीं हैं जिन्होंने इस प्रकार अपना बयान सार्वजनिक किया है.

पूर्व मंत्री राजेश अग्रवाल ने सीएम से लगाई गुहार

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, बरेली कैंट से विधायक राजेश अग्रवाल ने भी पिछले दिनों ट्वीट कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यह गुहार लगाई कि बरेली मंडल को लखनऊ और गोरखपुर मंडल की तरह ही गंभीरता से लिया जाए. योगी सरकार में ही वित्त मंत्री रह चुके अग्रवाल ने बरेली मंडल में भी कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं. बरेली को रोज कम से कम 25 से 30 टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है. सीएम ऑफिस से उन्होंने ऑक्सीजन सप्लाई की मांग की.

स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर

यह भी पढ़ें : वसीम रिजवी को मिली जान से मारने की धमकी, FIR दर्ज

राज्यमंत्री ने कहा कि इलाज के अभाव में 500 लोगों की कोरोना से मौत

योगी सरकार के श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष/राज्यमंत्री सुनील भराला ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. गत 26 अप्रैल को उन्होंने पत्र लिखकर कहा, 'कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से मेरठ की हृदय विदारक व भयावह स्थिति की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं. मेरठ में प्रतिदिन लगभग 1500 कोरोना संक्रमण का शिकार हो रहे हैं जबकि यहां के अस्पतालों में दैनिक रूप से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या दैनिक संक्रमित व्यक्तियों के 50 प्रतिशत से भी कम है. परिणाम स्वरुप मेरठ में 1100 से अधिक सक्रिय मरीज मौजूद हैं. इतने अधिक संख्या में सक्रिय मरीजों के लिए मेरठ के सरकारी निजी अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन व रेमेडीसीवर जैसे आवश्यक जीवनरक्षक दवाओं की बहुत बड़ी कमी महसूस हो रही है'. उन्होंने दावा किया कि इसके कारण अब तक लगभग 500 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है.

स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
बीजेपी एमएलए दीनानाथ भाष्कर ने भी उठाए सवाल

भदोही जिले के भारतीय जनता पार्टी के विधायक व पूर्व मंत्री दीनानाथ भास्कर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि उनके जिले के भाजपा महामंत्री लाल बहादुर मौर्य की इलाज के अभाव में मृत्यु हो गई है. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने बताया कि स्वर्गीय लाल बहादुर मौर्य के बच्चों ने उन्हें बताया कि अस्पताल में आईसीयू बेड और रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाए जाने की मांग की जा रही थी लेकिन उन्हें ना तो ऑक्सीजन दी गई और न ही इंजेक्शन. विधायक ने इसकी जांच कराने की मांग की.

स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
भाजपा विधायक केसर सिंह का हुआ निधन

नवाबगंज बरेली से भाजपा विधायक केसर सिंह ने केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर अपने इलाज की गुहार लगाई थी. केंद्रीय मंत्री को लिखे पत्र में केसर सिंह गंगवार ने लिखा कि वह 10 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुए थे. उनका उपचार श्री राममूर्ति स्मारक अस्पताल भोजीपुरा बरेली में चल रहा है. अस्पताल के डॉक्टरों ने प्लाजमा थैरेपी की जरूरत बताई है. केसर सिंह ने अनुरोध किया कि उन्हें दिल्ली के मैक्स अस्पताल में एक बेड उपलब्ध करवा दिया जाए. हालांकि उन्हें मैक्स अस्पताल में तो जगह नहीं मिली लेकिन बरेली प्रशासन ने नोएडा के एक अस्पताल में एडमिट कराया था. आखिरकार वह कोरोना से जंग हार गए. उनका निधन हो गया.

स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों और जमीनी हकीकत के बीच सत्ताधारी पार्टी में विरोध के सुर मुखर
कई विधायकों ने उठाये सवाल

भाजपा विधायक अरविंद गिरी ने लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि पिछले 10 दिनों में दो दर्जन से अधिक प्रमुख साथियों के साथ सैकड़ों लोगों की ऑक्सीजन के अभाव में जान चली गई. यह जमीनी हकीकत है. इसलिए तत्काल ऑक्सीजन की व्यवस्था कराई जाए ताकि लोगों की जान बचाई जा सके. आंवला के सांसद धर्मेंद्र कश्यप भी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर चुके हैं. इतना ही नहीं, कोरोना की पहली लहर के दौरान विधायकों ने भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए थे.

क्या हुआ असर

विधायकों के पत्र का सीधा असर दिखे न दिखे लेकिन मुख्यमंत्री ने पूरी सक्रियता से इस दौरान काम किया. सीएम योगी ने आज एक तब्दीली भी की. पिछली बार कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने शासन के उच्चाधिकारियों की एक टीम गठित की थी. इसमें 11 अधिकारियों को शामिल किया गया था. इसे टीम-11 का नाम दिया गया. शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने टीम-11 का पुनर्गठन करते हुए टीम-9 कर दिया है. उस टीम से दो अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है. हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से यह जानकारी नहीं दी गई है कि किन दो अधिकारियों को किनारे किया गया है.

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