लखनऊ : भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज मोहिन्दर कुमार ने वर्ष 2019-20 व 2020-21 में डॉ. भीमराव अम्बेडकर आगरा विश्वविद्यालय की परीक्षा सम्बंधी किए गए कार्यों के बिल का भुगतान करने के लिए बतौर कमीशन करोड़ों रुपए लेने के मामले में निरुद्ध अभियुक्त अजय मिश्र (Vinay Pathak partner Ajay Mishra) की चौथी जमानत अर्जी को भी खारिज कर दिया है. अजय मिश्र एक्सएलआइसीटी सॉफ्टवेयर कम्पनी का निदेशक है. इस मामले में प्रो. विनय पाठक भी अभियुक्त है.
इस मामले की एफआईआर डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया के प्रबंध निदेशक डेविड मारियो डेनिस ने थाना इंदिरा नगर में दर्ज कराई थी. वादी के वकील प्रांशु अग्रवाल ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी कि इस मामले की विवेचना के दौरान अभियुक्त के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा की भी बढ़ोत्तरी की गई है.
मामला : डेनिस की एफआईआर के मुताबिक, आगरा विश्वविद्यालय का कुलपति रहने के दौरान प्रो. विनय पाठक व अजय मिश्र ने उसकी कम्पनी द्वारा किए गए कार्यों के भुगतान के लिए उससे 15 प्रतिशत कमीशन वसूला. आरोप है कि उन्होंने उससे कुल एक करोड़ 41 लाख रुपए की जबरन वसूली की. एफआईआर में वादी ने अभियुक्तों से अपनी जान को खतरा भी बताया है.
तीन अभियुक्तों को आजीवन कारावास : एडीजे विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने हत्या व अपहरण के एक मामले में दोषी करार दिए गए अभियुक्त प्रेमचन्द्र तिवारी, हरीशचन्द्र तिवारी व गिरीश चन्द्र तिवारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने प्रत्येक अभियुक्त पर 35-35 हजार का जुर्माना भी लगाया है. 28 अगस्त, 2002 को शिवाकांत तिवारी का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी. पुरानी रंजिश में हुई इस घटना की एफआईआर मृतक के ससुर माता प्रसाद पांडेय ने थाना माल में दर्ज कराई थी. सरकारी वकील ललित किशोर दीक्षित के मुताबिक, 23 दिसम्बर 2022 को अदालत ने अभियुक्तों को दोषी करार दिया था. इसके साथ ही उस दिन गैर हाजिर रहने पर अदालत ने इनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था. सोमवार को सजा के बिन्दू पर सुनवाई के दौरान अभियुक्त अदालत में उपस्थित थे.