लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार मिशन शक्ति अभियान चलाकर महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा देने की बात कह रही है. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. प्रदेश के दूरस्थ जिलों से राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से बहुत सी पीड़ित महिलाएं न्याय के लिए गुहार लगाने पहुंचतीं हैं. ऐसा ही एक मामला आज मुख्यमंत्री के पास पहुंचा. कासगंज निवासी नाबालिग किशोरी को न्याय की गुहार लगाने राजधानी तक आना पड़ा. बीते साल 5 अगस्त को उसका अपहरण हुआ था. उस दौरान उसके साथ दुराचार भी हुआ. आरोप है कि पुलिस से शिकायत की तो पुलिस ने मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया जबकि आरोपी को बचा लिया गया. आज आरोपी खुले में घूम रहा है और पीड़ित परिवार को धमकी भी दे रहा है.
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मिशन शक्ति बना मजाक, न्याय के लिए पीड़िता सड़क पर
न्याय के लिए एक नाबालिग किशोरी को 500 किलोमीटर दूर राजधानी लखनऊ तक आना पड़ा. पिछले 7 महीनों से वह खुद के साथ अपहरण और दुराचार की घटना को लेकर न्याय की गुहार लगा रही है. न्याय न मिलने पर वह मुख्यमंत्री से मिलने पहुंच गई. बताया कि पहले उसने जिले के पुलिस अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई. जब उम्मीद धूमिल हुई तो वह राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री के आवास पर पहुंच गई. यहां मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हुई तो उपमुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें शिकायती पत्र सौंप दिया. वहीं, सरकार की मिशन शक्ति अभियान भी इस पीड़िता को न्याय नहीं दिला सका.
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क्या है पूरा मामला
5 अगस्त 2020 को 13 वर्ष की एक नाबालिग किशोरी का कासगंज जनपद के थाना पटियाली से अपहरण कर पुष्पेंद्र नाम के युवक ने दुराचार किया. फिर किशोरी को खेतों में फेंककर फरार हो गया. आरोप है कि इस घटना के बाद पुलिस ने हल्की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया और आरोपी का बचाव किया. इस मामले में महिला पुलिस अधिकारी ने पीड़िता को न्याय दिलाने की बजाय उसकी पिटाई तक कर डाली. धमकाकर बयान भी बदलाव दिया. अब आरोपी खुले में घूम रहा है. धमकी भी दे रहा है. इसलिए उन्हें न्याय के लिए मुख्यमंत्री तक आना पड़ा.