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स्पीड लिमिट तो तय पर महानगर में स्पीड नहीं पकड़ पा रहे वाहन

यूपी के लखनऊ में कहने को तो गति सीमा निर्धारित कर दी गई है लेकिन वास्तव में महानगर में वाहन रेंग-रेंग कर चल रहे हैं. नेशनल हाईवे पर भी वाहनों को जहां फर्राटा भरना चाहिए था. वहां वह कछुआ चाल चल रहे हैं. यह सब हाईवे पर अतिक्रमण फैलने और झुग्गियों से हो रहा है.

हाइवे पर रेंग रहे वाहन.
हाइवे पर रेंग रहे वाहन.
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Published : Nov 20, 2020, 7:24 PM IST

लखनऊः देश के अन्य महानगरों की ही तरह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी महानगर में शुमार है. वहीं लखनऊ, स्मार्ट सिटी बनने की तरफ भी तेजी से अग्रसर है. सुविधाओं के लिहाज से यहां धीरे-धीरे ही सही लेकिन व्यवस्थाओं को बेहतर किया जा रहा है. बात अगर लखनऊ से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की करें तो यहां पर कहीं न कहीं शहर की सीमा में स्पीड पर ब्रेक लग रहा है.

राष्ट्रीय राजमार्गों पर ब्रेक लगा रहा अतिक्रमण.

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की तरफ से तय की गई स्पीड शहरी सीमा में वाहन चालकों को नहीं मिल पा रही. शहर के अंदर से गुजरने वाली बाइपास सड़कों की गति लखनऊ में परिवहन विभाग और यातायात ने निर्धारित की है. फिलहाल राष्ट्रीय राजमार्ग हो या फिर बाइपास सड़क, शहर की बसावट और अतिक्रमण ने गति पर नियंत्रण लगा दिया है.

90 किमी/घंटा की स्पीड तक दौड़ सकते हैं वाहन
केंद्र सरकार ने ढाई साल पहले एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके मुताबिक मेट्रो शहरों में और शहर की सीमा में राष्ट्रीय राजमार्ग पर 90 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से वाहन दौड़ सकते हैं. मुंबई, हैदराबाद, नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे महानगरों में तय गति से सड़क पर वाहन दौड़ाना संभव है, लेकिन बात अगर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की करें तो महानगर होते हुए भी यहां आबादी और वाहनों की संख्या के हिसाब से वाहन चालकों को निर्धारित स्पीड नहीं मिल पा रही है.

महानगर होने के बावजूद गति नहीं पकड़ पा रहे वाहन.
महानगर होने के बावजूद गति नहीं पकड़ पा रहे वाहन.

हालांकि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को भी मोटर वाहन अधिनियम के तहत गति सीमा तय करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद शहर के अंदर परिवहन विभाग और यातायात विभाग ने लखनऊ के विभिन्न रूटों पर स्पीड तय कर रखी है. यहां पर 40 किलोमीटर से लेकर 80 किलोमीटर तक वाहन संचालित हो सकते हैं. 40 की स्पीड तो वाहनों को शहर के अंदर मिल जाती है लेकिन जिन रूटों पर 80 की स्पीड तय की गई है, वहां पर वाहन 50 की स्पीड तक भी नहीं पहुंच पाते हैं.

सड़कगति
सीतापुर रोड पर आईआईएम तिराहे से इटौंजा तक60 किमी/घंटा
इटौंजा के आगे सीतापुर रोड80 किमी/घंटा
आईआईएम तिराहा से दुबग्गा तिराहा तक60 किमी/घंटा
दुबग्गा से हरदोई रोड 40 किमी/घंटा
दुबग्गा से बाराविरवा बाया बुद्धेश्वर 40 किमी/घंटा
कानपुर रोड पर चारबाग से गौरीगंज तक40 किमी/घंटा
गौरीगंज से बंथरा तक60 किमी/घंटा
बंथरा से आगे कानपुर रोड 80 किमी/घंटा
शहीद पथ पर 80 किमी/घंटा
रायबरेली रोड पर तेलीबाग से मोहनलालगंज तक40 किमी/घंटा
मोहनलालगंज से आगे रायबरेली रोड 60 किमी/घंटा
सुल्तानपुर रोड पर कटाई पुल चौराहा से गोसाईगंज तक40 किमी/घंटा
गोसाईगंज से आगे सुल्तानपुर रोड 60 किमी/घंटा
फैजाबाद रोड पर पॉलिटेक्निक चौराहा से मटियारी तक 40 किमी/घंटा
मटियारी चौराहा से देवा रोड पर40 किमी/घंटा
मटियारी से सफेदाबाद तक60 किमी/घंटा
सफेदाबाद से आगे फैजाबाद रोड 80 किमी/घंटा

इन मानकों का रखा जाता है ध्यान
गति सीमा तय करते समय कुछ खास बातों का ख्याल रखा जाता है. इनमें ट्रैफिक का वॉल्यूम, सड़क की चौड़ाई और सड़क की बनावट को ध्यान में रखकर ही स्पीड लिमिट निर्धारित होती है. महानगर क्षेत्र में आने वाली सभी सड़कों की औसत गति वर्ष 2018 में 40 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई थी.

सड़कों पर धीमी रफ्तार से रेंगते नजर आते हैं वाहन.
सड़कों पर धीमी रफ्तार से रेंगते नजर आते हैं वाहन.

शहर से गुजरते हैं ये राष्ट्रीय राजमार्ग
शहर की सीमा से गुजरने वाले नेशनल हाईवे में लखनऊ-अयोध्या, लखनऊ-सीतापुर, लखनऊ-सुल्तानपुर, लखनऊ-रायबरेली, लखनऊ-बरेली-दिल्ली शामिल हैं. शहर के अंदर स्पीड लिमिट की जिम्मेदारी परिवहन विभाग, यातायात विभाग, लोक निर्माण विभाग और नगर निगम की है. अधिकारी मिलकर शहर के विभिन्न मार्गों की स्पीड निर्धारित करते हैं.

हाईवे पर लोगों ने लगाई दुकानें.
हाईवे पर लोगों ने लगाई दुकानें.

हाईवे के किनारे सजा है अतिक्रमण
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से नेशनल हाईवे पर जो स्पीड लिमिट निर्धारित है वह वाहन चालकों को नहीं मिल रही है. वजह है कि सड़क के किनारे ही काफी अतिक्रमण है. दुकानें सजी हुई हैं. जहां लोग रुककर समान लेने लगते हैं. इसके अलावा इन्हीं हाईवे के किनारे लोग पहले झुग्गी झोपड़ी बनाते हैं. उसके बाद मकान बनाना शुरू कर देते हैं. एनएचएआई के परियोजना निदेशक बताते हैं कि अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया जाता है लेकिन इसमें काफी दिक्कतें आती हैं.

2018 में तय हुई थी 40 किमी/घंटा की स्पीड
नगरीय क्षेत्र में स्पीड लिमिट एक इंपॉर्टेंट फेक्टर होता है और इसकी एक प्रक्रिया बनाई गई है. वर्ष 2018 में एक कमेटी गठित की गई जिसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा एसपी ट्रैफिक, पीडब्ल्यूडी अधिकारी, नगर निगम के सिविल इंजीनियर और सड़क सुरक्षा मानकों के अनुसार परिवहन विभाग के अधिकारी की कमेटी बनी. ट्रैफिक का वॉल्यूम, सड़क की चौड़ाई और सड़क की बनावट को ध्यान में रखते हुए लखनऊ महानगर की विभिन्न सड़कों पर स्पीड लिमिट तय की थी.

महानगर क्षेत्र में आने वाली सभी सड़कों की औसत गति वर्ष 2018 में 40 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई थी. इसके साथ ही शहीद पथ पर सेमी एक्सप्रेसवे है, उस पर कमर्शियल वाहनों के दृष्टिगत औसत स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटे रखी गई है. आगरा एक्सप्रेस-वे की स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत रखी गई. औसत गति सड़क सुरक्षा के मानकों को ध्यान में रखकर तय की जाती है. लखनऊ में वर्ष 2018 में यह गति सीमा निर्धारित की गई थी. उसी का पालन करते हुए हम लोगों पर स्पीड में चालान करते हैं. गति पर निगरानी रखने के लिए हमने कैमरे लगाए हैं उसमें डाटा फीड होता है.

लखनऊः देश के अन्य महानगरों की ही तरह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी महानगर में शुमार है. वहीं लखनऊ, स्मार्ट सिटी बनने की तरफ भी तेजी से अग्रसर है. सुविधाओं के लिहाज से यहां धीरे-धीरे ही सही लेकिन व्यवस्थाओं को बेहतर किया जा रहा है. बात अगर लखनऊ से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की करें तो यहां पर कहीं न कहीं शहर की सीमा में स्पीड पर ब्रेक लग रहा है.

राष्ट्रीय राजमार्गों पर ब्रेक लगा रहा अतिक्रमण.

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की तरफ से तय की गई स्पीड शहरी सीमा में वाहन चालकों को नहीं मिल पा रही. शहर के अंदर से गुजरने वाली बाइपास सड़कों की गति लखनऊ में परिवहन विभाग और यातायात ने निर्धारित की है. फिलहाल राष्ट्रीय राजमार्ग हो या फिर बाइपास सड़क, शहर की बसावट और अतिक्रमण ने गति पर नियंत्रण लगा दिया है.

90 किमी/घंटा की स्पीड तक दौड़ सकते हैं वाहन
केंद्र सरकार ने ढाई साल पहले एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके मुताबिक मेट्रो शहरों में और शहर की सीमा में राष्ट्रीय राजमार्ग पर 90 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से वाहन दौड़ सकते हैं. मुंबई, हैदराबाद, नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु जैसे महानगरों में तय गति से सड़क पर वाहन दौड़ाना संभव है, लेकिन बात अगर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की करें तो महानगर होते हुए भी यहां आबादी और वाहनों की संख्या के हिसाब से वाहन चालकों को निर्धारित स्पीड नहीं मिल पा रही है.

महानगर होने के बावजूद गति नहीं पकड़ पा रहे वाहन.
महानगर होने के बावजूद गति नहीं पकड़ पा रहे वाहन.

हालांकि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को भी मोटर वाहन अधिनियम के तहत गति सीमा तय करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद शहर के अंदर परिवहन विभाग और यातायात विभाग ने लखनऊ के विभिन्न रूटों पर स्पीड तय कर रखी है. यहां पर 40 किलोमीटर से लेकर 80 किलोमीटर तक वाहन संचालित हो सकते हैं. 40 की स्पीड तो वाहनों को शहर के अंदर मिल जाती है लेकिन जिन रूटों पर 80 की स्पीड तय की गई है, वहां पर वाहन 50 की स्पीड तक भी नहीं पहुंच पाते हैं.

सड़कगति
सीतापुर रोड पर आईआईएम तिराहे से इटौंजा तक60 किमी/घंटा
इटौंजा के आगे सीतापुर रोड80 किमी/घंटा
आईआईएम तिराहा से दुबग्गा तिराहा तक60 किमी/घंटा
दुबग्गा से हरदोई रोड 40 किमी/घंटा
दुबग्गा से बाराविरवा बाया बुद्धेश्वर 40 किमी/घंटा
कानपुर रोड पर चारबाग से गौरीगंज तक40 किमी/घंटा
गौरीगंज से बंथरा तक60 किमी/घंटा
बंथरा से आगे कानपुर रोड 80 किमी/घंटा
शहीद पथ पर 80 किमी/घंटा
रायबरेली रोड पर तेलीबाग से मोहनलालगंज तक40 किमी/घंटा
मोहनलालगंज से आगे रायबरेली रोड 60 किमी/घंटा
सुल्तानपुर रोड पर कटाई पुल चौराहा से गोसाईगंज तक40 किमी/घंटा
गोसाईगंज से आगे सुल्तानपुर रोड 60 किमी/घंटा
फैजाबाद रोड पर पॉलिटेक्निक चौराहा से मटियारी तक 40 किमी/घंटा
मटियारी चौराहा से देवा रोड पर40 किमी/घंटा
मटियारी से सफेदाबाद तक60 किमी/घंटा
सफेदाबाद से आगे फैजाबाद रोड 80 किमी/घंटा

इन मानकों का रखा जाता है ध्यान
गति सीमा तय करते समय कुछ खास बातों का ख्याल रखा जाता है. इनमें ट्रैफिक का वॉल्यूम, सड़क की चौड़ाई और सड़क की बनावट को ध्यान में रखकर ही स्पीड लिमिट निर्धारित होती है. महानगर क्षेत्र में आने वाली सभी सड़कों की औसत गति वर्ष 2018 में 40 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई थी.

सड़कों पर धीमी रफ्तार से रेंगते नजर आते हैं वाहन.
सड़कों पर धीमी रफ्तार से रेंगते नजर आते हैं वाहन.

शहर से गुजरते हैं ये राष्ट्रीय राजमार्ग
शहर की सीमा से गुजरने वाले नेशनल हाईवे में लखनऊ-अयोध्या, लखनऊ-सीतापुर, लखनऊ-सुल्तानपुर, लखनऊ-रायबरेली, लखनऊ-बरेली-दिल्ली शामिल हैं. शहर के अंदर स्पीड लिमिट की जिम्मेदारी परिवहन विभाग, यातायात विभाग, लोक निर्माण विभाग और नगर निगम की है. अधिकारी मिलकर शहर के विभिन्न मार्गों की स्पीड निर्धारित करते हैं.

हाईवे पर लोगों ने लगाई दुकानें.
हाईवे पर लोगों ने लगाई दुकानें.

हाईवे के किनारे सजा है अतिक्रमण
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से नेशनल हाईवे पर जो स्पीड लिमिट निर्धारित है वह वाहन चालकों को नहीं मिल रही है. वजह है कि सड़क के किनारे ही काफी अतिक्रमण है. दुकानें सजी हुई हैं. जहां लोग रुककर समान लेने लगते हैं. इसके अलावा इन्हीं हाईवे के किनारे लोग पहले झुग्गी झोपड़ी बनाते हैं. उसके बाद मकान बनाना शुरू कर देते हैं. एनएचएआई के परियोजना निदेशक बताते हैं कि अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाया जाता है लेकिन इसमें काफी दिक्कतें आती हैं.

2018 में तय हुई थी 40 किमी/घंटा की स्पीड
नगरीय क्षेत्र में स्पीड लिमिट एक इंपॉर्टेंट फेक्टर होता है और इसकी एक प्रक्रिया बनाई गई है. वर्ष 2018 में एक कमेटी गठित की गई जिसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा एसपी ट्रैफिक, पीडब्ल्यूडी अधिकारी, नगर निगम के सिविल इंजीनियर और सड़क सुरक्षा मानकों के अनुसार परिवहन विभाग के अधिकारी की कमेटी बनी. ट्रैफिक का वॉल्यूम, सड़क की चौड़ाई और सड़क की बनावट को ध्यान में रखते हुए लखनऊ महानगर की विभिन्न सड़कों पर स्पीड लिमिट तय की थी.

महानगर क्षेत्र में आने वाली सभी सड़कों की औसत गति वर्ष 2018 में 40 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई थी. इसके साथ ही शहीद पथ पर सेमी एक्सप्रेसवे है, उस पर कमर्शियल वाहनों के दृष्टिगत औसत स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटे रखी गई है. आगरा एक्सप्रेस-वे की स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत रखी गई. औसत गति सड़क सुरक्षा के मानकों को ध्यान में रखकर तय की जाती है. लखनऊ में वर्ष 2018 में यह गति सीमा निर्धारित की गई थी. उसी का पालन करते हुए हम लोगों पर स्पीड में चालान करते हैं. गति पर निगरानी रखने के लिए हमने कैमरे लगाए हैं उसमें डाटा फीड होता है.

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