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आठ गुना बढ़ी फीस तो फिटनेस कराने एक तिहाई वाहन भी नहीं आ रहे

पांच मई को 81 वाहन फिटनेस कराने सेंटर पहुंचे. इनमें से नौ फेल हो गए. छह मई को 91 वाहन फिटनेस के लिए पहुंचे नौ फेल. सात मई को 75 वाहन फिटनेस कराने पहुंचे इनमें से 11 फेल हो गए. नौ मई को 61 वाहन पहुंचे इनमें से छह फेल किए गए.

वाहन फिटनेस
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Published : May 19, 2022, 7:25 AM IST

लखनऊ: पिछले माह परिवहन विभाग ने वाहनों की फीस में आठ गुना तक बढ़ोतरी कर दी थी, चाहे फिर पुराने या नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो या फिर फिटनेस. वाहनों की फीस में लगभग आठ गुना बढ़ोतरी का असर यह हुआ कि अब वाहन स्वामी अपने वाहनों की फिटनेस कराने परिवहन विभाग के फिटनेस सेंटर पर ही नहीं आ रहे हैं. एक दिन में करीब ढाई सौ वाहनों का फिटनेस का टाइम स्लॉट है, लेकिन पांच मई से 12 मई तक अगर बात करें तो एक दिन में यह संख्या 100 का आंकड़ा तक नहीं छू पा रही है. सबसे ज्यादा 10 मई को 99 वाहन फिटनेस कराने पहुंचे. ऐसे में परिवहन विभाग को फायदे के बजाय घाटा हो रहा है. परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि महंगे बीमा की वजह से व्यवसायिक वाहन स्वामी फिटनेस कराने नहीं आ रहे हैं. फिटनेस की फीस इतनी ज्यादा नहीं है कि इसकी वजह से वे अपने वाहन की फिटनेस नहीं करा सकते. बीमा काफी महंगा है.


पांच मई को 81 वाहन फिटनेस कराने सेंटर पहुंचे. इनमें से नौ फेल हो गए. छह मई को 91 वाहन फिटनेस के लिए पहुंचे नौ फेल. सात मई को 75 वाहन फिटनेस कराने पहुंचे इनमें से 11 फेल हो गए. नौ मई को 61 वाहन पहुंचे इनमें से छह फेल किए गए. 10 मई को सबसे ज्यादा 99 वाहनों की फिटनेस जांची गई. जिनमें से सात वाहन फेल हो गए. 11 मई को 69 वाहन फिटनेस सेंटर पर फिटनेस कराने के लिए पहुंचे जिनमें से आठ फेल हुए. 12 मई को 55 वाहन फिटनेस कराने सेंटर पर आए और इनमें से भी 12 फेल हो गए .

वाहनों की फिटनेस फीस बढ़ने पर जानकारी देते संवाददाता.


रजिस्ट्रेशन पर भी असर : लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश की सड़कों पर 15 साल पुराने जो भी वहां संचालित हो रहे हैं अब उनका दोबारा रजिस्ट्रेशन कराना वाहन स्वामियों के लिए जेब पर भार डालने वाला साबित हो रहा है. एक अप्रैल से पंजीकरण कराने पर आठ गुना फीस चुकानी पड़ रही है और ग्रीन टैक्स का भी अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है. 15 साल पुराने दोपहिया वाहन के दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने की फीस ₹300 है उसे भी एक अप्रैल से बढ़ाकर 1400 रुपए कर दिया गया है. यानी तकरीबन पांच गुना फीस दो पहिया वाहन के लिए भी वाहन स्वामियों को भरनी पड़ रही है. परिवहन मंत्रालय ने कॉमर्शियल बाइक, हल्के यात्री व माल वाहन कार और ट्रक के रीरजिस्ट्रेशन का शुल्क भी बढ़ा दिया है, जिसे एक अप्रैल से लागू कर दिया गया है.



इतनी हो गई है फिटनेस फीस : परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अभी तक प्राइवेट आठ सीटर कार के लिए ₹600, टैक्सी का ₹800 और भारी वाहन का 1200 रुपए फिटनेस शुल्क था. एक अप्रैल से मोटर वाहन अधिनियम का 22वां संशोधन लागू हो गया, इससे इन वाहनों का फिटनेस शुल्क भी बढ़ गया है.

फिटनेस सेंटर
वाहन फिटनेस सेंटर.



लखनऊ में साढ़े तीन लाख तो प्रदेश में 21 लाख वाहन : उत्तर प्रदेश की बात करें तो लाखों वाहन सड़कों पर ऐसे दौड़ रहे हैं जिनकी आयु 15 साल से ऊपर हो गई है. ऐसे वाहनों की संख्या तकरीबन 21 लाख से ऊपर है. इन वाहनों में पंजीकृत प्राइवेट वाहनों की संख्या 19 लाख से ज्यादा है तो व्यावसायिक वाहनों की संख्या दो लाख से कुछ अधिक है. लखनऊ की बात करें तो यहां पर निजी और व्यावसायिक वाहनों को मिलाकर ये संख्या तकरीबन साढ़े तीन लाख तक पहुंच रही है. इनमें 14 हजार से ज्यादा कॉमर्शियल वाहन हैं, वहीं आरटीओ लखनऊ में तीन लाख 25 हजार के करीब और एआरटीओ कार्यालय देवां रोड पर नौ हजार से ज्यादा वाहन 15 साल पुराने दर्ज हैं. इस तरह लखनऊ में ऐसे वाहनों की संख्या लगभग साढ़े तीन लाख है.

ये भी पढ़ें : स्वास्थ्य कर्मियों का परीक्षा परिणाम डंप, डिप्टी सीएम से लगाई फरियाद


आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप पंकज
आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप पंकज

क्या कहते हैं अधिकारी : लखनऊ के आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप पंकज कहते हैं कि हर रोज फिटनेस सेंटर पर 250 वाहनों की फिटनेस के लिए टाइम स्लॉट की सुविधा है. कोरोना के कारण लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. यही वजह है कि कॉमर्शियल वाहन स्वामी महंगा बीमा करा पाने में खुद को असमर्थ समझ रहे हैं क्योंकि इनका बीमा काफी महंगा होता है. कम से कम ₹60,000 इसके लिए खर्च करने पड़ते हैं और बिना बीमा के फिटनेस हो नहीं सकता है. यही वजह है कि बीमा ना होने के चलते कॉमर्शियल वाहन स्वामी फिटनेस के लिए अपना वाहन सेंटर नहीं ला पा रहे हैं. इस समय काफी कम वाहन फिटनेस के लिए सेंटर पहुंच रहे हैं. 250 वाहनों के एवज में सिर्फ दो चार दर्जन वाहन फिटनेस के लिए आ रहे हैं.



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लखनऊ: पिछले माह परिवहन विभाग ने वाहनों की फीस में आठ गुना तक बढ़ोतरी कर दी थी, चाहे फिर पुराने या नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो या फिर फिटनेस. वाहनों की फीस में लगभग आठ गुना बढ़ोतरी का असर यह हुआ कि अब वाहन स्वामी अपने वाहनों की फिटनेस कराने परिवहन विभाग के फिटनेस सेंटर पर ही नहीं आ रहे हैं. एक दिन में करीब ढाई सौ वाहनों का फिटनेस का टाइम स्लॉट है, लेकिन पांच मई से 12 मई तक अगर बात करें तो एक दिन में यह संख्या 100 का आंकड़ा तक नहीं छू पा रही है. सबसे ज्यादा 10 मई को 99 वाहन फिटनेस कराने पहुंचे. ऐसे में परिवहन विभाग को फायदे के बजाय घाटा हो रहा है. परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि महंगे बीमा की वजह से व्यवसायिक वाहन स्वामी फिटनेस कराने नहीं आ रहे हैं. फिटनेस की फीस इतनी ज्यादा नहीं है कि इसकी वजह से वे अपने वाहन की फिटनेस नहीं करा सकते. बीमा काफी महंगा है.


पांच मई को 81 वाहन फिटनेस कराने सेंटर पहुंचे. इनमें से नौ फेल हो गए. छह मई को 91 वाहन फिटनेस के लिए पहुंचे नौ फेल. सात मई को 75 वाहन फिटनेस कराने पहुंचे इनमें से 11 फेल हो गए. नौ मई को 61 वाहन पहुंचे इनमें से छह फेल किए गए. 10 मई को सबसे ज्यादा 99 वाहनों की फिटनेस जांची गई. जिनमें से सात वाहन फेल हो गए. 11 मई को 69 वाहन फिटनेस सेंटर पर फिटनेस कराने के लिए पहुंचे जिनमें से आठ फेल हुए. 12 मई को 55 वाहन फिटनेस कराने सेंटर पर आए और इनमें से भी 12 फेल हो गए .

वाहनों की फिटनेस फीस बढ़ने पर जानकारी देते संवाददाता.


रजिस्ट्रेशन पर भी असर : लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश की सड़कों पर 15 साल पुराने जो भी वहां संचालित हो रहे हैं अब उनका दोबारा रजिस्ट्रेशन कराना वाहन स्वामियों के लिए जेब पर भार डालने वाला साबित हो रहा है. एक अप्रैल से पंजीकरण कराने पर आठ गुना फीस चुकानी पड़ रही है और ग्रीन टैक्स का भी अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है. 15 साल पुराने दोपहिया वाहन के दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने की फीस ₹300 है उसे भी एक अप्रैल से बढ़ाकर 1400 रुपए कर दिया गया है. यानी तकरीबन पांच गुना फीस दो पहिया वाहन के लिए भी वाहन स्वामियों को भरनी पड़ रही है. परिवहन मंत्रालय ने कॉमर्शियल बाइक, हल्के यात्री व माल वाहन कार और ट्रक के रीरजिस्ट्रेशन का शुल्क भी बढ़ा दिया है, जिसे एक अप्रैल से लागू कर दिया गया है.



इतनी हो गई है फिटनेस फीस : परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अभी तक प्राइवेट आठ सीटर कार के लिए ₹600, टैक्सी का ₹800 और भारी वाहन का 1200 रुपए फिटनेस शुल्क था. एक अप्रैल से मोटर वाहन अधिनियम का 22वां संशोधन लागू हो गया, इससे इन वाहनों का फिटनेस शुल्क भी बढ़ गया है.

फिटनेस सेंटर
वाहन फिटनेस सेंटर.



लखनऊ में साढ़े तीन लाख तो प्रदेश में 21 लाख वाहन : उत्तर प्रदेश की बात करें तो लाखों वाहन सड़कों पर ऐसे दौड़ रहे हैं जिनकी आयु 15 साल से ऊपर हो गई है. ऐसे वाहनों की संख्या तकरीबन 21 लाख से ऊपर है. इन वाहनों में पंजीकृत प्राइवेट वाहनों की संख्या 19 लाख से ज्यादा है तो व्यावसायिक वाहनों की संख्या दो लाख से कुछ अधिक है. लखनऊ की बात करें तो यहां पर निजी और व्यावसायिक वाहनों को मिलाकर ये संख्या तकरीबन साढ़े तीन लाख तक पहुंच रही है. इनमें 14 हजार से ज्यादा कॉमर्शियल वाहन हैं, वहीं आरटीओ लखनऊ में तीन लाख 25 हजार के करीब और एआरटीओ कार्यालय देवां रोड पर नौ हजार से ज्यादा वाहन 15 साल पुराने दर्ज हैं. इस तरह लखनऊ में ऐसे वाहनों की संख्या लगभग साढ़े तीन लाख है.

ये भी पढ़ें : स्वास्थ्य कर्मियों का परीक्षा परिणाम डंप, डिप्टी सीएम से लगाई फरियाद


आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप पंकज
आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप पंकज

क्या कहते हैं अधिकारी : लखनऊ के आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप पंकज कहते हैं कि हर रोज फिटनेस सेंटर पर 250 वाहनों की फिटनेस के लिए टाइम स्लॉट की सुविधा है. कोरोना के कारण लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. यही वजह है कि कॉमर्शियल वाहन स्वामी महंगा बीमा करा पाने में खुद को असमर्थ समझ रहे हैं क्योंकि इनका बीमा काफी महंगा होता है. कम से कम ₹60,000 इसके लिए खर्च करने पड़ते हैं और बिना बीमा के फिटनेस हो नहीं सकता है. यही वजह है कि बीमा ना होने के चलते कॉमर्शियल वाहन स्वामी फिटनेस के लिए अपना वाहन सेंटर नहीं ला पा रहे हैं. इस समय काफी कम वाहन फिटनेस के लिए सेंटर पहुंच रहे हैं. 250 वाहनों के एवज में सिर्फ दो चार दर्जन वाहन फिटनेस के लिए आ रहे हैं.



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