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बीजेपी को नहीं रास आए मां-बेटे के तीखे तेवर, राष्ट्रीय कार्यकारिणी से वरूण और मेनका हुए गायब

बीजेपी नेता व राज्यसभा सांसद वरुण गांधी अपनी ही पार्टी पर तीखे प्रहार करने के लिए जाने जाते हैं. बीजेपी की आला कमान को वरुण गांधी और मेनका गांधी के तेवर रास नहीं आ रहे हैं, रिपोर्ट पढ़िए...

राष्ट्रीय कार्यकारिणी से वरूण और मेनका हुए गायब
राष्ट्रीय कार्यकारिणी से वरूण और मेनका हुए गायब
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Published : Oct 7, 2021, 4:13 PM IST

लखनऊ : बीजेपी नेता वरुण गांधी लगातार अपनी ही सरकार पर हमलावर रहे हैं. इसलिए अब उनके खिलाफ पार्टी के केंन्द्रीय नेतृत्व ने कड़ा फैंसला लिया है. बीजेपी की आला कमान ने ना केवल वरुण गांधी बल्कि उनकी मां मेनका गांधी को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी कमेटी में जगह नहीं दी है. पार्टी के इस फैंसले के बाद वरुण और मेनका गांधी के खेमे में हड़कंप मच गया है. वहीं दूसरी तरफ इस मामले पर पार्टी के नेता मीडिया से बात करने में कतरा रहे हैं. ऐसे माहौल को देखते हुए माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में वरुण गांधी पार्टी के इस फैसले के खिलाफ अपना कोई निर्णय जरूर लेगें.

बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन में मां बेटे दोनों कमेटी से बाहर करके अब पूरी तरह से क्लियर कर दिया, कि अगला फैंसला वरुण गांधी को ही लेना है. दूसरी ओर अधिकृत तौर पर बीजेपी की ओर से कहा गया है, कि प्रत्येक नेता और सांसद को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह देना संभव नहीं है. पार्टी का कहना है, कि यह केंद्रीय नेतृत्व का फैसला है. जिसे सभी बीजेपी के नेताओं को मानना पड़ेगा.

बता दें, कि मेनका गांधी और वरुण गांधी को नई कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, एमएम जोशी, केन्द्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत कई दिग्गज नेताओं के नाम हैं. बीजेपी नेता वरुण गांधी लखीमपुर हिंसा मामले पर लगातार योगी सरकार को निशाने पर ले रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को लगभग इस पूरे प्रकरण का दोषी ठहरा दिया. लखीमपुर मामले पर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की ओर वरूण गांधी का स्टंट ठीक उसी तरह था, जिस तरह विपक्ष उनको आरोपित कर रहा है.

यही नहीं वरुण गांधी ने एक ट्वीट भी किया है, जिसमें उन्होंने खुले तौर पर कहा कि किसानों की हत्या करके आंदोलन को दबाया नहीं जा सकता. यह बयान पूरी तरह से राज्य सरकार और भारतीय जनता पार्टी के विरोध में जाता है. जिसके बाद में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा हुई और आलाकद होने के बावजूद मेनका गांधी और वरुण गांधी को इसमें स्थान नहीं दिया गया.

वरूण और मेनका को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह न मिलने की वजह सिर्फ तीखे तेवर ही नहीं वल्कि लखीमपुर हिंसा की घटना को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा के बाद मेनका और वरुण गांधी ने मीडिया से दूरी बना ली है. इस मामले पर ईटीवी भारत संवाददाता ने वरुण गांधी और मेनका गांधी के मोबाइल और लैंडलाइन दोनों ही नंबरों पर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया. लेकिन, दोनों ने खुद को व्यस्त बताकर बात करने से इनकार कर दिया.

इससे स्पष्ट है, कि दोनों ही नेता इस मुद्दे पर मीडिया से कोई बातचीत नहीं करना चाहते हैं. इस संबंध में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई का कहना है, कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी का निर्णय पार्टी के केंन्द्रीय नेतृत्व का है. पार्टी के प्रत्येक सांसद या नेता को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया जाना संभव नहीं है. इसलिए यह कहना गलत है, कि किसी व्यक्ति को स्थान नहीं दिया गया, केन्द्रीय नेतृत्व का फैंसला सभी को स्वीकार करना होगा.

इसे पढ़ें- भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मेनका और वरुण गांधी को नहीं मिली जगह

लखनऊ : बीजेपी नेता वरुण गांधी लगातार अपनी ही सरकार पर हमलावर रहे हैं. इसलिए अब उनके खिलाफ पार्टी के केंन्द्रीय नेतृत्व ने कड़ा फैंसला लिया है. बीजेपी की आला कमान ने ना केवल वरुण गांधी बल्कि उनकी मां मेनका गांधी को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी कमेटी में जगह नहीं दी है. पार्टी के इस फैंसले के बाद वरुण और मेनका गांधी के खेमे में हड़कंप मच गया है. वहीं दूसरी तरफ इस मामले पर पार्टी के नेता मीडिया से बात करने में कतरा रहे हैं. ऐसे माहौल को देखते हुए माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में वरुण गांधी पार्टी के इस फैसले के खिलाफ अपना कोई निर्णय जरूर लेगें.

बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन में मां बेटे दोनों कमेटी से बाहर करके अब पूरी तरह से क्लियर कर दिया, कि अगला फैंसला वरुण गांधी को ही लेना है. दूसरी ओर अधिकृत तौर पर बीजेपी की ओर से कहा गया है, कि प्रत्येक नेता और सांसद को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह देना संभव नहीं है. पार्टी का कहना है, कि यह केंद्रीय नेतृत्व का फैसला है. जिसे सभी बीजेपी के नेताओं को मानना पड़ेगा.

बता दें, कि मेनका गांधी और वरुण गांधी को नई कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, एमएम जोशी, केन्द्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत कई दिग्गज नेताओं के नाम हैं. बीजेपी नेता वरुण गांधी लखीमपुर हिंसा मामले पर लगातार योगी सरकार को निशाने पर ले रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को लगभग इस पूरे प्रकरण का दोषी ठहरा दिया. लखीमपुर मामले पर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की ओर वरूण गांधी का स्टंट ठीक उसी तरह था, जिस तरह विपक्ष उनको आरोपित कर रहा है.

यही नहीं वरुण गांधी ने एक ट्वीट भी किया है, जिसमें उन्होंने खुले तौर पर कहा कि किसानों की हत्या करके आंदोलन को दबाया नहीं जा सकता. यह बयान पूरी तरह से राज्य सरकार और भारतीय जनता पार्टी के विरोध में जाता है. जिसके बाद में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा हुई और आलाकद होने के बावजूद मेनका गांधी और वरुण गांधी को इसमें स्थान नहीं दिया गया.

वरूण और मेनका को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह न मिलने की वजह सिर्फ तीखे तेवर ही नहीं वल्कि लखीमपुर हिंसा की घटना को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा के बाद मेनका और वरुण गांधी ने मीडिया से दूरी बना ली है. इस मामले पर ईटीवी भारत संवाददाता ने वरुण गांधी और मेनका गांधी के मोबाइल और लैंडलाइन दोनों ही नंबरों पर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया. लेकिन, दोनों ने खुद को व्यस्त बताकर बात करने से इनकार कर दिया.

इससे स्पष्ट है, कि दोनों ही नेता इस मुद्दे पर मीडिया से कोई बातचीत नहीं करना चाहते हैं. इस संबंध में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई का कहना है, कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी का निर्णय पार्टी के केंन्द्रीय नेतृत्व का है. पार्टी के प्रत्येक सांसद या नेता को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया जाना संभव नहीं है. इसलिए यह कहना गलत है, कि किसी व्यक्ति को स्थान नहीं दिया गया, केन्द्रीय नेतृत्व का फैंसला सभी को स्वीकार करना होगा.

इसे पढ़ें- भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मेनका और वरुण गांधी को नहीं मिली जगह

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