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रेलवे के इस पूर्व अधिकारी की बदौलत दौड़ी Vande Bharat Train, साझा किए अनुभव - माई ट्रेन 18 स्टोरी

वंदे भारत ट्रेन और भारतीय रेलवे का परिवर्तनकारी हस्तक्षेप विषय पर लखनऊ प्रबंधन संघ ने एलएमए सदस्यों, रोटरी क्लब, आईआईए और गोमती नगर जनकल्याण महासमिति के सदस्यों की उपस्थिति में संवाद सत्र का आयोजन किया. इस दौरान चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के पूर्व महाप्रबंधक सुधांशु मणि ने अपने अनुभव साझा किए.

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Published : Mar 4, 2023, 4:00 PM IST

Updated : Mar 4, 2023, 4:36 PM IST

इस पूर्व अधिकारी की बदौलत दौड़ी Vande Bharat Train.

लखनऊ : लखनऊ प्रबंधन संघ ने एलएमए सदस्यों, रोटरी क्लब, आईआईए और गोमती नगर जनकल्याण महासमिति के सदस्यों की उपस्थिति में एलएमए सम्मेलन हॉल में संवादात्मक सत्र का आयोजन किया. वंदे भारत ट्रेन और भारतीय रेलवे का परिवर्तनकारी हस्तक्षेप : वंदे-भारत के निर्माण के पीछे आदमी. विषय पर संवाद किया गया. चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के पूर्व महाप्रबंधक और वंदे भारत ट्रेन के निर्माण से लेकर इसके चालू होने तक के विकास का श्रेय सुधांशु मणि को दिया जाता है. उन्होंने इस कार्यक्रम में अपना अनुभव साझा किया.


एलएमए के उपाध्यक्ष एके माथुर ने पूर्व चेयरमैन सुधांशु मणि के परिचय दिया. इसके बाद पूर्व चेयरमैन सुधांशु मणि ने ट्रेन 18/ वंदे भारत एक्सप्रेस, भारत की पहली स्वदेशी आधुनिक सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन की परियोजना के बारे में अपनी राय व्यक्त की. उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई काम मुश्किल नहीं है. मेरे दिमाग में जो योजना चल रही थी मुझे लग ही नहीं रहा था कि नौकरी में रहते मुझे ऐसा मौका मिल सकता है. आखिरकार वह समय आया और मुझे चेन्नई रेल कोच फैक्ट्री में चेयरमैन बना दिया गया. इसके बाद वंदे भारत ट्रेन को लेकर अपनी टीम तैयार की. इस ट्रेन के निर्माण में जुट गए. आज मुझे बेहद खुशी है कि भारत में बनी वंदे भारत ट्रेन पटरी पर तेजी से दौड़ रही है. कई शहरों को अब तक वंदे भारत ट्रेन मिल चुकी हैं. लगातार अब इस ट्रेन का प्रोडक्शन जारी है.

इस पूर्व अधिकारी की बदौलत दौड़ी Vande Bharat Train.
इस पूर्व अधिकारी की बदौलत दौड़ी Vande Bharat Train.

उन्होंने बताया कि वंदे भारत ट्रेन के कोच निर्माण में किस किस तरह के प्रयोग करने पड़े, कितनी मुश्किलें आईं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. आखिरकार कामयाबी मिली. सुधांशु मणि 38 वर्षों तक भारतीय रेलवे की सेवा करने के बाद भारतीय रेलवे (IR) सर्विस ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग से महाप्रबंधक, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई से भारत सरकार के शीर्ष ग्रेड में सेवानिवृत्त हुए. उन्होंने भारतीय दूतावास, बर्लिन में तीन साल तक रेलवे सलाहकार के रूप में भी काम किया. भारतीय रेल की ओर से यूरोप और अन्य उन्नत देशों में रेलवे प्रणालियों के साथ बातचीत की. वह इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स, लंदन के फेलो हैं. उन्होंने अवधारणा से वितरण तक ट्रेन 18/ वंदे भारत एक्सप्रेस परियोजना, भारत की पहली स्वदेशी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन का नेतृत्व किया. अनूठी ट्रेन 18 परियोजना का नेतृत्व करने और उसे पूरा करने की उनकी यात्रा को उनकी सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक 'माई ट्रेन 18 स्टोरी' में वर्णित किया गया है. उन्होंने छह और किताबें लिखी हैं. जिनमें चार उनके विशेष जुनून, कला और रेलवे के विषय पर हैं.



यह भी पढ़ें : Gorakhpur के कब्रिस्तानों में नहीं बची है जगह, अब ऐसे दफन किए जाएंगे शव

इस पूर्व अधिकारी की बदौलत दौड़ी Vande Bharat Train.

लखनऊ : लखनऊ प्रबंधन संघ ने एलएमए सदस्यों, रोटरी क्लब, आईआईए और गोमती नगर जनकल्याण महासमिति के सदस्यों की उपस्थिति में एलएमए सम्मेलन हॉल में संवादात्मक सत्र का आयोजन किया. वंदे भारत ट्रेन और भारतीय रेलवे का परिवर्तनकारी हस्तक्षेप : वंदे-भारत के निर्माण के पीछे आदमी. विषय पर संवाद किया गया. चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के पूर्व महाप्रबंधक और वंदे भारत ट्रेन के निर्माण से लेकर इसके चालू होने तक के विकास का श्रेय सुधांशु मणि को दिया जाता है. उन्होंने इस कार्यक्रम में अपना अनुभव साझा किया.


एलएमए के उपाध्यक्ष एके माथुर ने पूर्व चेयरमैन सुधांशु मणि के परिचय दिया. इसके बाद पूर्व चेयरमैन सुधांशु मणि ने ट्रेन 18/ वंदे भारत एक्सप्रेस, भारत की पहली स्वदेशी आधुनिक सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन की परियोजना के बारे में अपनी राय व्यक्त की. उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई काम मुश्किल नहीं है. मेरे दिमाग में जो योजना चल रही थी मुझे लग ही नहीं रहा था कि नौकरी में रहते मुझे ऐसा मौका मिल सकता है. आखिरकार वह समय आया और मुझे चेन्नई रेल कोच फैक्ट्री में चेयरमैन बना दिया गया. इसके बाद वंदे भारत ट्रेन को लेकर अपनी टीम तैयार की. इस ट्रेन के निर्माण में जुट गए. आज मुझे बेहद खुशी है कि भारत में बनी वंदे भारत ट्रेन पटरी पर तेजी से दौड़ रही है. कई शहरों को अब तक वंदे भारत ट्रेन मिल चुकी हैं. लगातार अब इस ट्रेन का प्रोडक्शन जारी है.

इस पूर्व अधिकारी की बदौलत दौड़ी Vande Bharat Train.
इस पूर्व अधिकारी की बदौलत दौड़ी Vande Bharat Train.

उन्होंने बताया कि वंदे भारत ट्रेन के कोच निर्माण में किस किस तरह के प्रयोग करने पड़े, कितनी मुश्किलें आईं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. आखिरकार कामयाबी मिली. सुधांशु मणि 38 वर्षों तक भारतीय रेलवे की सेवा करने के बाद भारतीय रेलवे (IR) सर्विस ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग से महाप्रबंधक, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई से भारत सरकार के शीर्ष ग्रेड में सेवानिवृत्त हुए. उन्होंने भारतीय दूतावास, बर्लिन में तीन साल तक रेलवे सलाहकार के रूप में भी काम किया. भारतीय रेल की ओर से यूरोप और अन्य उन्नत देशों में रेलवे प्रणालियों के साथ बातचीत की. वह इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स, लंदन के फेलो हैं. उन्होंने अवधारणा से वितरण तक ट्रेन 18/ वंदे भारत एक्सप्रेस परियोजना, भारत की पहली स्वदेशी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन का नेतृत्व किया. अनूठी ट्रेन 18 परियोजना का नेतृत्व करने और उसे पूरा करने की उनकी यात्रा को उनकी सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक 'माई ट्रेन 18 स्टोरी' में वर्णित किया गया है. उन्होंने छह और किताबें लिखी हैं. जिनमें चार उनके विशेष जुनून, कला और रेलवे के विषय पर हैं.



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Last Updated : Mar 4, 2023, 4:36 PM IST
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