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वैक्सीन कम करेगी शरीर पर डेल्टा प्लस का असर : डॉ. सुब्रत चंद्रा

उत्तर प्रदेश में डेल्टा प्लस के मामले मिलने शुरू हो गए हैं. डेल्टा प्लस पहले वाले वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक बताया जा रहा है. लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ. सुब्रत चंद्रा ने बताया कि डेल्टा प्लस से बचाव के लिए वैक्सीन कारगार साबित है. इसके लिए सभी वैक्सीनेशन अवश्य कराएं.

डेल्टा प्लस.
डेल्टा प्लस.
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Published : Jul 8, 2021, 1:38 PM IST

Updated : Jul 8, 2021, 6:44 PM IST

लखनऊ: यूपी में डेल्टा प्लस ने दस्तक दे दी है. 2 मरीजों में 1 मरीज ने दम तोड़ दिया. ऐसे में सरकार तीसरी लहर को लेकर अलर्ट पर है. वहीं, लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ. सुब्रत चंद्रा के मुताबिक डेल्टा प्लस से आमजन घबराने के बजाए सजग रहें और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें. उन्होंने कहा कि वैक्सीन डेल्टा प्लस वायरस के असर को भी कम करेगी. लिहाजा, वैक्सीनेशन अवश्य कराएं.

डॉ. सुब्रत चंद्रा के मुताबिक अभी तक हुए अध्ययन में डेल्टा वैरियंट (B.1.617.2) को सबसे संक्रामक वायरस बताया जा रहा था. अब डेल्टा वेरिएंट B.1.617.2 वैरिएंट का म्यूटेशन होने लगा है. इसी से डेल्टा प्लस (AY.1) बना है. इसका कारक डेल्टा वैरिएंट की स्पाइक प्रोटीन में K417N बदलाव होना है. ऐसे में मरीजों की संख्या भले घट गई हो. मगर, सभी को अलर्ट रहना है. कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना है. साथ ही कई अध्ययन में वैक्सीन भी असरकारी पाई गई है. वैक्सीनेटेड व्यक्ति यदि वायरस की चपेट में आ भी गया, तो स्थिति भयावह होने से बच जाएगी.

जानकारी देते डॉ. सुब्रत चंद्रा.


महाराष्ट्र में 47 बार बदल चुका स्वरूप
महाराष्ट्र पर किए अध्ययन में 3 महीने के दौरान वहां अलग-अलग जिलों के लोगों में नए-नए वैरिएंट की भरमार मिली है. वैज्ञानिकों को अंदेशा यह भी है कि प्लाज्मा, रेमडेसिविर और स्टेरॉयड युक्त दवाओं के जमकर हुए इस्तेमाल की वजह से म्यूटेशन को बढ़ावा मिला है. इसीलिए दूसरे राज्यों में भी सिक्वेंसिंग को बढ़ाने की जरूरत है. यह अध्ययन पुणे स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नई दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) द्वारा संयुक्त तौर पर किया गया. यहां फरवरी माह से ही वायरस के एस प्रोटीन में सबसे अधिक म्यूटेशन देखने को मिले हैं. महाराष्ट्र में वैज्ञानिकों ने 47 बार वायरस के म्यूटेशन देखे.

जांच में ये वैरिएंट भी आ चुके सामने
देश के वैज्ञानिकों को 273 सैंपल में बी. 1.617, 73 में बी.1.36.29, 67 में बी.1.1.306, 31 में बी.1.1.7, 24 में बी.1.1.216, 17 में बी.1.596 और 15 सैंपल में बी.1.1 वैरिएंट मिला. इनके अलावा 17 लोगों के सैंपल में बी.1 और बी.1.36 वैरिएंट 12 लोगों के सैंपल में मिला है. इनके अलावा और भी कई म्यूटेशन जांच में मिले हैं जिन पर अध्ययन चल रहा है.

इन राज्यों में सिक्वेंसिंग बढ़ाने का सुझाव
वैज्ञानिकों ने उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना सहित अन्य राज्यों में सिक्वेंसिंग बढ़ाने की अपील की है. इससे समयगत वायरस के म्यूटेशन का पता कर संक्रमण के फैलाव से बचा जा सकेगा.

डेल्टा प्लस की कुछ खास बातें

  • डेल्टा प्लस अधिक संक्रामक
  • डेल्टा प्लस पहले वाले वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक है
  • फेफड़े की कोशिकाओं में मजबूती से चिपकता है
  • फेफड़ों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है
  • इम्यूनिटी को कमजोर व उसे चकमा भी दे सकता है
  • खांसी, जुकाम, बुखार, खराश, सिर दर्द प्रमुख लक्षण हैं।
  • कोल्ड देखने को मिली है.


बचाव के लिए रखें ध्यान

  • जरूरत होने पर ही घर से निकले, भीड़भाड़ में जानें से बचें
  • आवश्यक है तो मास्क पहन कर ही निकलें, कोशिश करें डबल मास्क पहनें
  • बाहर फिजिकल डिस्टेंसिंग का से पालन करें, छह फीट की दूरी बनाएं रखें
  • कोई भी अनजान, संक्रमित वस्तु छूने पर दिन हाथों को 20 सेकेंड के लिए साबुन से धोना न भूलें
  • घर को स्वच्छ रखें, नियमित रूप से विसंक्रमित करते रहें
  • बाहर से कोई समान मंगवा रहे तो उसे इस्तेमाल से पहके विसंक्रमित कर लें
  • असाध्य रोगी, कमजोर इम्युनिटी वाले व्यक्ति अपनी हेल्थ मॉनिटरिंग करते रहें. दवा ब्रेक न करें. इम्युनिटी मेंटेन रखें.

इसे भी पढे़ं- डेल्टा प्लस का खतरा: 3 हजार लोग रडार पर, 10 फीसद सैंपल का जीनोम सिक्वेंसिंग

लखनऊ: यूपी में डेल्टा प्लस ने दस्तक दे दी है. 2 मरीजों में 1 मरीज ने दम तोड़ दिया. ऐसे में सरकार तीसरी लहर को लेकर अलर्ट पर है. वहीं, लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ. सुब्रत चंद्रा के मुताबिक डेल्टा प्लस से आमजन घबराने के बजाए सजग रहें और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें. उन्होंने कहा कि वैक्सीन डेल्टा प्लस वायरस के असर को भी कम करेगी. लिहाजा, वैक्सीनेशन अवश्य कराएं.

डॉ. सुब्रत चंद्रा के मुताबिक अभी तक हुए अध्ययन में डेल्टा वैरियंट (B.1.617.2) को सबसे संक्रामक वायरस बताया जा रहा था. अब डेल्टा वेरिएंट B.1.617.2 वैरिएंट का म्यूटेशन होने लगा है. इसी से डेल्टा प्लस (AY.1) बना है. इसका कारक डेल्टा वैरिएंट की स्पाइक प्रोटीन में K417N बदलाव होना है. ऐसे में मरीजों की संख्या भले घट गई हो. मगर, सभी को अलर्ट रहना है. कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना है. साथ ही कई अध्ययन में वैक्सीन भी असरकारी पाई गई है. वैक्सीनेटेड व्यक्ति यदि वायरस की चपेट में आ भी गया, तो स्थिति भयावह होने से बच जाएगी.

जानकारी देते डॉ. सुब्रत चंद्रा.


महाराष्ट्र में 47 बार बदल चुका स्वरूप
महाराष्ट्र पर किए अध्ययन में 3 महीने के दौरान वहां अलग-अलग जिलों के लोगों में नए-नए वैरिएंट की भरमार मिली है. वैज्ञानिकों को अंदेशा यह भी है कि प्लाज्मा, रेमडेसिविर और स्टेरॉयड युक्त दवाओं के जमकर हुए इस्तेमाल की वजह से म्यूटेशन को बढ़ावा मिला है. इसीलिए दूसरे राज्यों में भी सिक्वेंसिंग को बढ़ाने की जरूरत है. यह अध्ययन पुणे स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नई दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) द्वारा संयुक्त तौर पर किया गया. यहां फरवरी माह से ही वायरस के एस प्रोटीन में सबसे अधिक म्यूटेशन देखने को मिले हैं. महाराष्ट्र में वैज्ञानिकों ने 47 बार वायरस के म्यूटेशन देखे.

जांच में ये वैरिएंट भी आ चुके सामने
देश के वैज्ञानिकों को 273 सैंपल में बी. 1.617, 73 में बी.1.36.29, 67 में बी.1.1.306, 31 में बी.1.1.7, 24 में बी.1.1.216, 17 में बी.1.596 और 15 सैंपल में बी.1.1 वैरिएंट मिला. इनके अलावा 17 लोगों के सैंपल में बी.1 और बी.1.36 वैरिएंट 12 लोगों के सैंपल में मिला है. इनके अलावा और भी कई म्यूटेशन जांच में मिले हैं जिन पर अध्ययन चल रहा है.

इन राज्यों में सिक्वेंसिंग बढ़ाने का सुझाव
वैज्ञानिकों ने उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना सहित अन्य राज्यों में सिक्वेंसिंग बढ़ाने की अपील की है. इससे समयगत वायरस के म्यूटेशन का पता कर संक्रमण के फैलाव से बचा जा सकेगा.

डेल्टा प्लस की कुछ खास बातें

  • डेल्टा प्लस अधिक संक्रामक
  • डेल्टा प्लस पहले वाले वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक है
  • फेफड़े की कोशिकाओं में मजबूती से चिपकता है
  • फेफड़ों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है
  • इम्यूनिटी को कमजोर व उसे चकमा भी दे सकता है
  • खांसी, जुकाम, बुखार, खराश, सिर दर्द प्रमुख लक्षण हैं।
  • कोल्ड देखने को मिली है.


बचाव के लिए रखें ध्यान

  • जरूरत होने पर ही घर से निकले, भीड़भाड़ में जानें से बचें
  • आवश्यक है तो मास्क पहन कर ही निकलें, कोशिश करें डबल मास्क पहनें
  • बाहर फिजिकल डिस्टेंसिंग का से पालन करें, छह फीट की दूरी बनाएं रखें
  • कोई भी अनजान, संक्रमित वस्तु छूने पर दिन हाथों को 20 सेकेंड के लिए साबुन से धोना न भूलें
  • घर को स्वच्छ रखें, नियमित रूप से विसंक्रमित करते रहें
  • बाहर से कोई समान मंगवा रहे तो उसे इस्तेमाल से पहके विसंक्रमित कर लें
  • असाध्य रोगी, कमजोर इम्युनिटी वाले व्यक्ति अपनी हेल्थ मॉनिटरिंग करते रहें. दवा ब्रेक न करें. इम्युनिटी मेंटेन रखें.

इसे भी पढे़ं- डेल्टा प्लस का खतरा: 3 हजार लोग रडार पर, 10 फीसद सैंपल का जीनोम सिक्वेंसिंग

Last Updated : Jul 8, 2021, 6:44 PM IST
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