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आने वाले वर्षों में धार्मिक पर्यटन का गढ़ बन जाएगा उत्तर प्रदेश - रोजगार

पिछले साढ़े पांच साल में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जिस तरह से धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में काम किया है, उससे लगता है कि अब वह दिन दूर नहीं है, जब उत्तर प्रदेश धार्मिक पर्यटन का गढ़ बन जाएगा. स्वाभाविक है कि धार्मिक पर्यटन के लिए लोग अब उत्तर प्रदेश की ओर आकर्षित होंगे. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का खास विश्लेषण...

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Published : Nov 28, 2022, 1:54 PM IST

Updated : Nov 28, 2022, 2:56 PM IST

लखनऊ : पिछले साढ़े पांच साल में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जिस तरह से धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में काम किया है, उससे लगता है कि अब वह दिन दूर नहीं है, जब उत्तर प्रदेश धार्मिक पर्यटन का गढ़ बन जाएगा. हाल ही में सरकार ने शक्तिपीठ नैमिषारण्य के विकास का विस्तृत खाका खींचते हुए 'नैमिषारण्य विकास बोर्ड' के गठन का एलान किया. इससे पहले सरकार ने अयोध्या, वाराणसी, विन्ध्याचल, गोरखनाथ धाम, चित्रकूट, मथुरा सहित तमाम धर्मस्थलों में अनेक विकास कार्य कराए हैं. इन स्थानों पर अब भी कई योजनाओं पर काम चल रहा है. स्वाभाविक है कि प्राय: धार्मिक पर्यटन के लिए दक्षिण का रुख करने वाले लोग अब उत्तर प्रदेश की ओर आकर्षित होंगे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में धार्मिक पर्यटन के विकास के लिए अभूतपूर्व काम किया है. धार्मिक पर्यटन के विकास के लिए प्रदेश को सात सर्किटों में बांटा गया है. इन्हें रामायण सर्किट, महाभारत सर्किट, कृष्ण सर्किट, बुद्ध सर्किट, जैन सर्किट, सूफी सर्किट और शक्तिपीठ सर्किट का नाम दिया गया है. इन सभी सर्किट में आने वाले स्थानों में व्यापक स्तर पर विकास की योजनाएं बनाई गई हैं. सभी स्थानों पर पहुंचने के लिए बढ़िया सड़कें, यातायात के साधनों और होटलों आदि का प्रबंध भी कराया जा रहा है. सरकार चाहती है कि प्रदेश का खोया वैभव लौटे और अपनी धार्मिक पहचान रखने वाले स्थान फिर से साधन संपन्न बनें. इन सर्किटों वाले तमाम शहरों में अब भी विकास योजनाओं पर काम चल रहा है.

धार्मिक पर्यटन स्थल मथुरा.
धार्मिक पर्यटन स्थल मथुरा.

प्रदेश सरकार की नई पर्यटन नीति के तहत प्रमुख स्थानों पर हेरिटेज होटल, थीम पार्क और बाजार, रिजार्ट्स, वेलनेस सेंटर सहित अन्य सुविधाओं का विकास किया जाएगा. इन सभी धार्मिक स्थलों को टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा. रामायण सर्किट में राम और सीता से जुड़े तीर्थ स्थलों का का विकास कराया जा रहा है. इनमें अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का काम तो युद्धस्तर पर चल ही रहा है, जो बहुत जल्द ही पूरा भी कर लिया जाएगा. इसके अतिरिक्त चित्रकूट और बिठूर में भी तमाम विकास कार्य कराए जा रहे हैं. सरकार चाहती है कि लोगों को इन पौराणिक स्थानों के विषय में सही जानकारी मिल सके, ताकि वह यहां आकर अपने अतीत को जान सकें. महाभारत सर्किट में काम्पिल्य, हस्तिनापुर, गोंडा और लाक्षागृह आदि स्थानों को शामिल किया गया है.

नैमिष का चक्रतीर्थ.
नैमिष का चक्रतीर्थ.

इसी तरह कृष्ण सर्किट में मथुरा, गोकुल, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना आदि को शामिल किया गया है. इन स्थानों पर तमाम विकास योजनाएं पहले से ही चल रही हैं. बुद्ध सर्किट में कपिलवस्तु, श्रावस्ती, सारनाथ, कुशीनगर और कौशाम्बी सहित कुछ अन्य स्थानों का विकास कराया जाएगा. शक्तिपीठ सर्किट में नैमिषारण्य, विंध्यवासिनी देवी, अष्टभुजा देवी, देवीपाटन, शाकंभरी देवी सहित कुछ अन्य स्थलों को शामिल किया जाएगा. जैन सर्किट में देवगढ़, दिगंबर जैन मंदिर रामनगर और हस्तिनापुर को शामिल किया गया है. सूफी सर्किट में कबीर की जन्मस्थली वाराणसी और निर्वाण स्थली मगहर सहित कुछ अन्य स्थलों को शामिल करने की योजना है. गोरखपुर व आगरा के स्थलों को आध्यात्मिक सर्किट में शामिल किया जाएगा. इन स्थलों के विकास से एक तरह से पूरा प्रदेश धर्म और अध्यात्म वाले पर्यटन स्थलों से परिपूर्ण हो जाएगा. इससे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पलायन भी रुकेगा.

यह भी पढ़ें : लद्दाख की हनु-आर्यन घाटी से आई 25 बौद्ध महिलाओं ने राज्यपाल से की भेंट

लखनऊ : पिछले साढ़े पांच साल में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जिस तरह से धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में काम किया है, उससे लगता है कि अब वह दिन दूर नहीं है, जब उत्तर प्रदेश धार्मिक पर्यटन का गढ़ बन जाएगा. हाल ही में सरकार ने शक्तिपीठ नैमिषारण्य के विकास का विस्तृत खाका खींचते हुए 'नैमिषारण्य विकास बोर्ड' के गठन का एलान किया. इससे पहले सरकार ने अयोध्या, वाराणसी, विन्ध्याचल, गोरखनाथ धाम, चित्रकूट, मथुरा सहित तमाम धर्मस्थलों में अनेक विकास कार्य कराए हैं. इन स्थानों पर अब भी कई योजनाओं पर काम चल रहा है. स्वाभाविक है कि प्राय: धार्मिक पर्यटन के लिए दक्षिण का रुख करने वाले लोग अब उत्तर प्रदेश की ओर आकर्षित होंगे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में धार्मिक पर्यटन के विकास के लिए अभूतपूर्व काम किया है. धार्मिक पर्यटन के विकास के लिए प्रदेश को सात सर्किटों में बांटा गया है. इन्हें रामायण सर्किट, महाभारत सर्किट, कृष्ण सर्किट, बुद्ध सर्किट, जैन सर्किट, सूफी सर्किट और शक्तिपीठ सर्किट का नाम दिया गया है. इन सभी सर्किट में आने वाले स्थानों में व्यापक स्तर पर विकास की योजनाएं बनाई गई हैं. सभी स्थानों पर पहुंचने के लिए बढ़िया सड़कें, यातायात के साधनों और होटलों आदि का प्रबंध भी कराया जा रहा है. सरकार चाहती है कि प्रदेश का खोया वैभव लौटे और अपनी धार्मिक पहचान रखने वाले स्थान फिर से साधन संपन्न बनें. इन सर्किटों वाले तमाम शहरों में अब भी विकास योजनाओं पर काम चल रहा है.

धार्मिक पर्यटन स्थल मथुरा.
धार्मिक पर्यटन स्थल मथुरा.

प्रदेश सरकार की नई पर्यटन नीति के तहत प्रमुख स्थानों पर हेरिटेज होटल, थीम पार्क और बाजार, रिजार्ट्स, वेलनेस सेंटर सहित अन्य सुविधाओं का विकास किया जाएगा. इन सभी धार्मिक स्थलों को टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा. रामायण सर्किट में राम और सीता से जुड़े तीर्थ स्थलों का का विकास कराया जा रहा है. इनमें अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का काम तो युद्धस्तर पर चल ही रहा है, जो बहुत जल्द ही पूरा भी कर लिया जाएगा. इसके अतिरिक्त चित्रकूट और बिठूर में भी तमाम विकास कार्य कराए जा रहे हैं. सरकार चाहती है कि लोगों को इन पौराणिक स्थानों के विषय में सही जानकारी मिल सके, ताकि वह यहां आकर अपने अतीत को जान सकें. महाभारत सर्किट में काम्पिल्य, हस्तिनापुर, गोंडा और लाक्षागृह आदि स्थानों को शामिल किया गया है.

नैमिष का चक्रतीर्थ.
नैमिष का चक्रतीर्थ.

इसी तरह कृष्ण सर्किट में मथुरा, गोकुल, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना आदि को शामिल किया गया है. इन स्थानों पर तमाम विकास योजनाएं पहले से ही चल रही हैं. बुद्ध सर्किट में कपिलवस्तु, श्रावस्ती, सारनाथ, कुशीनगर और कौशाम्बी सहित कुछ अन्य स्थानों का विकास कराया जाएगा. शक्तिपीठ सर्किट में नैमिषारण्य, विंध्यवासिनी देवी, अष्टभुजा देवी, देवीपाटन, शाकंभरी देवी सहित कुछ अन्य स्थलों को शामिल किया जाएगा. जैन सर्किट में देवगढ़, दिगंबर जैन मंदिर रामनगर और हस्तिनापुर को शामिल किया गया है. सूफी सर्किट में कबीर की जन्मस्थली वाराणसी और निर्वाण स्थली मगहर सहित कुछ अन्य स्थलों को शामिल करने की योजना है. गोरखपुर व आगरा के स्थलों को आध्यात्मिक सर्किट में शामिल किया जाएगा. इन स्थलों के विकास से एक तरह से पूरा प्रदेश धर्म और अध्यात्म वाले पर्यटन स्थलों से परिपूर्ण हो जाएगा. इससे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पलायन भी रुकेगा.

यह भी पढ़ें : लद्दाख की हनु-आर्यन घाटी से आई 25 बौद्ध महिलाओं ने राज्यपाल से की भेंट

Last Updated : Nov 28, 2022, 2:56 PM IST
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