प्रयागराज: तीर्थराज प्रयाग में चल रहे महाकुंभ में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं. हाल ही में मौनी अमावस्या के स्नान में करोड़ों लोगों ने पुण्य की डुबकी लगाई है, लेकिन हर वर्ष माघ में कल्पवास के क्रम को भी पूरा करने बहुत से लोग प्रतिवर्ष यहां पर आते हैं, लेकिन इस बार तो महाकुंभ का संयोग बना है. 144 वर्षों के बाद बने इस संयोग में हर उम्र के लोग यहां पहुंच रहे हैं, इस भीड़ में एक 80 साल की ऐसी वृद्ध श्रद्धालु भी आई हैं, जिनका नाता महाकुंभ, कुंभ अर्द्धकुंभ और माघ से पिछले 36 साल से बना हुआ है. ये हैं बिंदू देवी, जो करीब 58 साल पहले भारत से थाईलैंड जाकर बस गई थीं.
80 वर्ष की बिंदु देवी इस वर्ष भी महाकुंभ में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए आई हैं. शरीर साथ नहीं देता, लेकिन आस्था सब पर भारी है. यही वजह है कि इस बार उन्होंने अपने बेटी और दामाद के साथ कल्पवास करते हुए महाकुंभ में अब तक हर स्नान किया. टेंट में रहते हुए दर्शन पूजन और स्नान-ध्यान में कोई कमी नहीं छोड़ी हैं. बिंदु देवी 3 महाकुंभ और कई अर्द्धकुंभ, कुंभ में आ चुकी हैं. इस वर्ष भी उन्होंने महाकुंभ पर पुण्य की डुबकी लगाने का मौका नहीं छोड़ा है. थाईलैंड से सीधे प्रयागराज पहुंची हैं.
![बेटी-दामाद के साथ महाकुंभ पहुंचीं बिंदु देवी.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/30-01-2025/up-var-1-kumbh-story-7200982_30012025114907_3001f_1738217947_222.jpg)
1966 में देश छोड़ा, थाईलैंड में बस गईं: बिंदु देवी वैसे तो मूलत: गोरखपुर की रहने वाली हैं. बताती हैं कि 1966 में शादी के बाद वह पति के साथ थाईलैंड ही शिफ्ट हो गईं. पति सभाजीत राम त्रिपाठी बिजनेसमैन थे. 1980 में पति का देहांत हो गया. बिंदू पर चार बेटों, दो बेटियों की जिम्मेदारी आ गई, जिसे उन्होंने खूब निभाया. आज चार बेटों में दो मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर हैं, जबकि बाकी दो भी बड़ी कंपनियों में ऊंचे पदों पर हैं. एक बेटी साइंटिस्ट और दूसरी माधवी भारत में ही रहती है. उनके पति विद्यारत्न रिटार्यड आर्मी ऑफिसर हैं.
![बेटी-दामाद के साथ महाकुंभ पहुंचीं बिंदु देवी.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/30-01-2025/up-var-1-kumbh-story-7200982_30012025114907_3001f_1738217947_1028.jpg)
36 साल से लगातार आ रहीं: विद्यारत्न बताते हैं कि उनकी सास का सनातन धर्म और आस्था में गहरा विश्वास है. यही वजह है कि लगातार 36 सालों से वह हर साल कल्पवास करने के लिए यहां पहुंचती हैं और कुंभ, अर्द्ध कुम्भ में भी उन्होंने हमेशा पुण्य की डुबकी लगाई है. इस बार 144 वर्ष के बाद महाकुंभ का संयोग बना तो कमजोर होने के बाद भी यहां आईं. यहां एक टेंट बुक किया और उसके बाद यहां पर एक महीने तक रहकर उनके साथ कल्पपास करते हुए प्रतिदिन कुंभ स्नान, पूजा पाठ करती हैं.
बेटी बोली- यहां आना सौभाग्य: बिंदु देवी के साथ उनकी बेटी माधवी भी है. वह भी प्रतिदिन संगम किनारे पहुंचती हैं. माधवी कहती हैं, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मां के साथ प्रयागराज में कुंभ की डुबकी लगाने का मौका मिला है. इस मौके को हम छोड़ना नहीं चाहते. मां थाईलैंड रहती जरूर हैं, लेकिन वह हर वर्ष कल्पवास करने के लिए यहां पहुंचती हैं. इस बार तो महाकुंभ का मौका था तो वह छोड़ना नहीं चाहती थीं.