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69000 शिक्षके भर्ती मामले ने फिर पकड़ा तूल, आंदोलन की राह पकड़ने की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी

उत्तर प्रदेश शिक्षक भर्ती प्रक्रिया (Uttar Pradesh Teacher Recruitment Process) में 6,800 शिक्षकों की चयन सूची को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रद कर दिया है. ऐसे में अब अभ्यर्थी डबल बेंच में अपील करने का सरकार पर दबाव बना रहे हैं.

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Published : Mar 16, 2023, 3:40 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से 69 हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर अभ्यर्थी आंदोलन की राह पकड़ने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर यह मामला प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्द बनता नजर आ रहा है. 5 जनवरी 2022 को जारी 6,800 शिक्षकों की चयन सूची को 13 मार्च को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रद कर दिया था. ऐसे में यह 6800 शिक्षक 69 हजार शिक्षक भर्ती में मौका पाने से वंचित रह गए. अब अभ्यर्थियों को नौकरी की उम्मीद दोबारा से जग गई है.

प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के साथ ही दूसरे दल भी भाजपा सरकार को शिक्षक भर्ती प्रक्रिया मामले में दोषी ठहरा रहे हैं. वहीं, अभ्यर्थी जिनका कोर्ट में चयन रद किया गया है, वह सरकार पर इसके खिलाफ डबल बेंच में अपील करने का दबाव बना रहे हैं. ऐसा न करने पर यह अभ्यर्थी भी अब आंदोलन करने की बात कह रहे हैं. इसके साथ ही 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के घर के बाहर प्रदर्शन किया. बुधवार को बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के जुटने के बाद पुलिस सक्रिय हो गई. हंगामे को देख पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर ईको गार्डन ले गई. यहां भी प्रदर्शनकारियों ने जमकर हंगामा किया.

शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों का कहना है कि वह शांतिपूर्ण तरीके बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर पहुंचे थे. सभी अभ्यर्थी मंत्री से मिलकर अपनी बात रखना चाह रहे थे. मंत्री संदीप सिंह भी ओबीसी वर्ग से ही जुड़े हुए हैं. इसके बावजूद भी उन्होंने अभ्यर्थियों से मिलना मुनासिब नहीं समझा. अभ्यर्थियों ने बताया कि उन्हें बताया गया कि शिक्षा मंत्री वाराणसी में हैं. इसके बाद मंत्री अभ्यर्थियों के सामने से ही दूसरे गेट से सुरक्षा गार्ड्स के मौजूदगी में निकल गए. अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रदेश सरकार को इस मामले में जल्द ही हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील कर अपना पक्ष रखना चाहिए.

वहीं, शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में नौकरी पाने से वंचित रह गये अभ्यर्थियों को अब चयन का मौका दिख रहा है. ऐसे में वह भी अब सरकार के ऊपर दबाव बनाकर दोबारा से संशोधित सूची जारी कराना चाह रहे हैं. अभ्यर्थियों का कहना है कि इस मामले पर अपना रुख जल्द से जल्द स्पष्ट करना चाहिए. अगर सरकार इस मामले में देर करती है तो लखनऊ में बड़ा धरना प्रदर्शन करेंगे.

कोर्ट ने दिया था आदेशः गौरतलब है कि हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सोमवार को सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण कोटे का सही से अनुपालन ना किए जाने पर एक जून 2020 को जारी सहायक अध्यापक के चयन से जुड़ी सूची को 3 माह में संशोधित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इसके साथ ही भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 को जारी हुई चयन सूची को भी खारिज कर दिया. इस चयन सूची को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसे बिना किसी विज्ञापन के जारी किया गया था.

यह है विवाद

1-5 दिसंबर 2018 को 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था.

2- 1 जून 2020 को चयन सूची जारी की गई. इसके तुरंत बाद से ही यह भर्ती मुकदमेबाजी में फंस गई.

3- 1 जून 2020 को ही कुछ अभ्यर्थियों ने चयन सूची में आरक्षण के गलत होने का मसला उठाया.

4- 5 जनवरी 2022 को सरकार ने सूची की समीक्षा करते हुए 6800 शिक्षकों के चयन की एक और सूची जारी कर दी.

5- सरकार की ओर से कहा गया कि जो अभ्यर्थी आरक्षण से वंचित रह गए. उन्हें इस सूची में समायोजित किया जा रहा है.

6- 100 से अधिक याचिकाओं में 69 हजार के सापेक्ष आरक्षण के 50 प्रतिशत से अधिक हो जाने का मसला उठाया गया. संविधान के मुताबिक कोटा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता.

7- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार 69000 पदों पर ही भर्ती की जानी है. इन्हीं तथ्यों को आधार मानते हुए हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.

यह भी पढे़ं- लखनऊ समेत प्रदेश भर में बिजलीकर्मियों का कार्य बहिष्कार शुरू, ऊर्जा मंत्री से वार्ता जारी

लखनऊः उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से 69 हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर अभ्यर्थी आंदोलन की राह पकड़ने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर यह मामला प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्द बनता नजर आ रहा है. 5 जनवरी 2022 को जारी 6,800 शिक्षकों की चयन सूची को 13 मार्च को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रद कर दिया था. ऐसे में यह 6800 शिक्षक 69 हजार शिक्षक भर्ती में मौका पाने से वंचित रह गए. अब अभ्यर्थियों को नौकरी की उम्मीद दोबारा से जग गई है.

प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के साथ ही दूसरे दल भी भाजपा सरकार को शिक्षक भर्ती प्रक्रिया मामले में दोषी ठहरा रहे हैं. वहीं, अभ्यर्थी जिनका कोर्ट में चयन रद किया गया है, वह सरकार पर इसके खिलाफ डबल बेंच में अपील करने का दबाव बना रहे हैं. ऐसा न करने पर यह अभ्यर्थी भी अब आंदोलन करने की बात कह रहे हैं. इसके साथ ही 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के घर के बाहर प्रदर्शन किया. बुधवार को बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के जुटने के बाद पुलिस सक्रिय हो गई. हंगामे को देख पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर ईको गार्डन ले गई. यहां भी प्रदर्शनकारियों ने जमकर हंगामा किया.

शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों का कहना है कि वह शांतिपूर्ण तरीके बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास पर पहुंचे थे. सभी अभ्यर्थी मंत्री से मिलकर अपनी बात रखना चाह रहे थे. मंत्री संदीप सिंह भी ओबीसी वर्ग से ही जुड़े हुए हैं. इसके बावजूद भी उन्होंने अभ्यर्थियों से मिलना मुनासिब नहीं समझा. अभ्यर्थियों ने बताया कि उन्हें बताया गया कि शिक्षा मंत्री वाराणसी में हैं. इसके बाद मंत्री अभ्यर्थियों के सामने से ही दूसरे गेट से सुरक्षा गार्ड्स के मौजूदगी में निकल गए. अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रदेश सरकार को इस मामले में जल्द ही हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील कर अपना पक्ष रखना चाहिए.

वहीं, शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में नौकरी पाने से वंचित रह गये अभ्यर्थियों को अब चयन का मौका दिख रहा है. ऐसे में वह भी अब सरकार के ऊपर दबाव बनाकर दोबारा से संशोधित सूची जारी कराना चाह रहे हैं. अभ्यर्थियों का कहना है कि इस मामले पर अपना रुख जल्द से जल्द स्पष्ट करना चाहिए. अगर सरकार इस मामले में देर करती है तो लखनऊ में बड़ा धरना प्रदर्शन करेंगे.

कोर्ट ने दिया था आदेशः गौरतलब है कि हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सोमवार को सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण कोटे का सही से अनुपालन ना किए जाने पर एक जून 2020 को जारी सहायक अध्यापक के चयन से जुड़ी सूची को 3 माह में संशोधित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इसके साथ ही भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 को जारी हुई चयन सूची को भी खारिज कर दिया. इस चयन सूची को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसे बिना किसी विज्ञापन के जारी किया गया था.

यह है विवाद

1-5 दिसंबर 2018 को 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था.

2- 1 जून 2020 को चयन सूची जारी की गई. इसके तुरंत बाद से ही यह भर्ती मुकदमेबाजी में फंस गई.

3- 1 जून 2020 को ही कुछ अभ्यर्थियों ने चयन सूची में आरक्षण के गलत होने का मसला उठाया.

4- 5 जनवरी 2022 को सरकार ने सूची की समीक्षा करते हुए 6800 शिक्षकों के चयन की एक और सूची जारी कर दी.

5- सरकार की ओर से कहा गया कि जो अभ्यर्थी आरक्षण से वंचित रह गए. उन्हें इस सूची में समायोजित किया जा रहा है.

6- 100 से अधिक याचिकाओं में 69 हजार के सापेक्ष आरक्षण के 50 प्रतिशत से अधिक हो जाने का मसला उठाया गया. संविधान के मुताबिक कोटा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता.

7- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार 69000 पदों पर ही भर्ती की जानी है. इन्हीं तथ्यों को आधार मानते हुए हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.

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