संभल: यूपी के संभल जिले की शाही जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट मामले में नया विवाद शुरू हो गया है. सर्वे के दौरान जामा मस्जिद के भीतर की गई वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी से संबंधित वीडियो और तस्वीरें वायरल होने पर सवाल उठने लगे हैं जिसके बाद अब एडवोकेट कमिश्नर ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि, उनकी रिपोर्ट पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार सील बंद लिफाफे में पेश की गई है. जामा मस्जिद के भीतर की वीडियो और फोटो किस स्तर पर बाहर सार्वजनिक हुए इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
बता दें कि बीते 2 जनवरी को संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे की रिपोर्ट को एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव ने चंदौसी की जिला अदालत में पेश किया था. एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव ने बताया था कि उनके ओर से जामा मस्जिद सर्वे से संबंधित रिपोर्ट को सील बंद लिफाफे में पेश किया गया था. 40 से 45 पन्नों की इस रिपोर्ट को पेश करने के दौरान पूरी गोपनीयता बरती गई थी.
सर्वे के दौरान वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी से संबंधित सभी दस्तावेज सील बंद लिफाफे में पेश किए गए थे, लेकिन इस बीच सभी मीडिया प्लेटफार्म पर जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान की गई वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी से संबंधित वीडियो और फोटो प्रसारित हुए तो सवाल पैदा हो गए.
मीडिया प्लेटफार्म पर मस्जिद के परिसर में बट वृक्ष, कुआं तथा मंदिर की प्रमाणिकता होने के दावे किए गए. जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा तो इस पूरे प्रकरण में एडवोकेट कमिश्नर की ओर से बयान सामने आया है. जिसमें उन्होंने कहा कि ये सब फोटो जो वायरल हो रहे हैं उस पर वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे. उनकी ओर से पूरी रिपोर्ट गोपनीय तरीके से सील बंद लिफाफे में ट्रायल कोर्ट सिविल जज सीनियर डिविजन संभल को पेश की गई. अब इस सर्वे से जुड़े फोटो और वीडियो कैसे बाहर आए उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है.
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