ETV Bharat / state

ईद मुबारक! मुल्क की सलामती और अमन के लिए नमाजियों ने मांगी दुआ

author img

By

Published : Aug 12, 2019, 9:11 PM IST

ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार आज देश भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं प्रदेश भर में सुबह से ही मस्जिदों और ईदगाहों में बड़ी संख्या में लोग जुटने शुरू हो गए और ईद की नमाज अदा की.

ईदगाह में पढ़ी गई नमाज.

लखनऊ: देश भर में ईद-उल-अजहा का त्योहार बड़ी शिद्त से मनाया जा रहा है. बकरीद का त्योहार कुर्बानी के त्योहार के रूप में जाना जाता है. प्रदेश भर में ईद-उल-अजहा के मौके पर मुस्लिम समाज के लोगों ने हजारों की संख्या में ईदगाह और मस्जिदों में नमाज पढ़ी. इस दौरान बच्चे, बूढ़े और बुजुर्गों ने एक-दूसरे को गले लगाकर और मिठाई खिलाकर बकरीद की मुबारकबाद दी. साथ ही सभी नमाजियों ने मुल्क की सलामती, अमन चैन और प्रदेश की सलामती के लिए खुदा से दुआ मांगी.

हरदोई में खास अंदाज में मनाया गया ईद-उल-अजहा
हरदोई के कौमी एकता की मिसाल ईदगाह में बकरीद के मौके पर नमाज अदा की गई. बकरीद पर हजारों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोगों ने अकीदत के साथ नमाज पढ़ी. इस दौरान जिला प्रशासन ने नमाजियों के स्वागत के लिए खास इंतजाम किए थे. नमाज अदा करने के बाद हिंदू समाज के लोगों ने और प्रशासन ने मुस्लिम समाज के लोगों को गले लगाकर बकरीद की मुबारकबाद दी. इसका मकसद यह था मुल्क में अमन चैन कायम रहे और सौहार्द पूर्ण वातावरण बना रहे.

बकरीद पर नमाजियों ने मुल्क की सलामती के लिए मांगी दुआ.

अकीदत और एहतराम के साथ सीतापुर में नमाजियों ने अदा की नमाज
सीतापुर में खुदा की राह में कुर्बानी देने का त्योहार ईद-उल-अजहा पूरे जिले में अकीदत और एहतराम के साथ मनाया गया. इस मौके पर ईदगाह और मस्जिदों में नमाज अदा की गई. मुख्य ईदगाह में शहर के पेश ईमाम मौलाना शौकत कासमी ने सभी को नमाज अदा कराई. फिर देश और समाज के हित में दुआएं मांगी गई.

सोमवार और बकरीद त्योहार एक साथ पड़ने से प्रशासन की बढ़ी दिक्कतें
सावन का आखिरी सोमवार और ईद-उल-अजहा का त्योहार एक साथ पड़ने के कारण सीतापुर प्रशासन के लिए खासा मुश्किल भरा रहा. क्योंकि सीतापुर मुख्यालय का सबसे प्राचीन मंदिर और ईदगाह एक ही रास्ते पर थे और कांवड़ियों-नमाजियों को एक ही रास्ते से गुजरना था. हांलाकि प्रशासन ने काफी सतर्कता बरतते हुए पूरे मामले को शांतिपूर्ण ढंग से निपटा लिया.

प्रयागराज में नमाजियों ने कश्मीर और श्रीनगर के अच्छे हालात के लिए मांगी दुआ
प्रयागराज में बकरीद का पर्व सोमवार को बड़ी अकीदत से मनाई गई. सुबह नमाजियों ने सबसे पहले नमाज अदा की उसके बाद गले मिलकर एक-दूसरे को बधाइयां दी. साथ ही नमाज अदा करते हुए नमाजियों ने कश्मीर और श्रीनगर के अच्छे हालात के लिए दुआ मांगी. नमाज के बाद हमेशा की तरह गरीबों को पैसे और खाने की सामग्रियां बांटी गई. वहीं सावन के अंतिम सोमवार और बकरीद को सकुशल संम्पन कराने को लेकर जिले प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हुए थे.

पढ़ें:- बरेलीः मंदिर-मस्जिद से एक साथ गूंजी श्रद्धा-अकीदत की सदा

बलिदान और त्याग का महापर्व ईद-उल-अजहा त्योहार क्यों है खास
बकरीद इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है. रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद बकरीद मनाया जाता है. इस त्योहार पर एक-दूसरे के गले लगकर बधाई देने की परंपरा है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को बकरीद के दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया. इसकी याद में ईद-उल-अजहा त्योहार मनाया जाता है.

ईद-उल-अजहा को क्यों बोला जाता है 'बकरीद' का त्योहार
अरबी में 'बकर' का अर्थ है बड़ा जानवर जो जिबह (काटा) किया जाता है. उसी से अपभ्रंश होकर आज भारत, पाकिस्तान व बांग्ला देश में इसे 'बकरा ईद' बोलते हैं. ईद-ए-कुर्बा का मतलब है 'बलिदान की भावना' अरबी में 'कर्ब' नजदीकी या बहुत पास रहने को कहते हैं. मतलब इस मौके पर खुदा इंसान के बहुत करीब हो जाता है. कुर्बानी उस पशु के जिबह करने को कहते हैं, जिसे 10, 11, 12 या 13 जिलहिज्ज (हज का महीना) को खुदा को खुश करने के लिए जिबिह किया जाता है.

लखनऊ: देश भर में ईद-उल-अजहा का त्योहार बड़ी शिद्त से मनाया जा रहा है. बकरीद का त्योहार कुर्बानी के त्योहार के रूप में जाना जाता है. प्रदेश भर में ईद-उल-अजहा के मौके पर मुस्लिम समाज के लोगों ने हजारों की संख्या में ईदगाह और मस्जिदों में नमाज पढ़ी. इस दौरान बच्चे, बूढ़े और बुजुर्गों ने एक-दूसरे को गले लगाकर और मिठाई खिलाकर बकरीद की मुबारकबाद दी. साथ ही सभी नमाजियों ने मुल्क की सलामती, अमन चैन और प्रदेश की सलामती के लिए खुदा से दुआ मांगी.

हरदोई में खास अंदाज में मनाया गया ईद-उल-अजहा
हरदोई के कौमी एकता की मिसाल ईदगाह में बकरीद के मौके पर नमाज अदा की गई. बकरीद पर हजारों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोगों ने अकीदत के साथ नमाज पढ़ी. इस दौरान जिला प्रशासन ने नमाजियों के स्वागत के लिए खास इंतजाम किए थे. नमाज अदा करने के बाद हिंदू समाज के लोगों ने और प्रशासन ने मुस्लिम समाज के लोगों को गले लगाकर बकरीद की मुबारकबाद दी. इसका मकसद यह था मुल्क में अमन चैन कायम रहे और सौहार्द पूर्ण वातावरण बना रहे.

बकरीद पर नमाजियों ने मुल्क की सलामती के लिए मांगी दुआ.

अकीदत और एहतराम के साथ सीतापुर में नमाजियों ने अदा की नमाज
सीतापुर में खुदा की राह में कुर्बानी देने का त्योहार ईद-उल-अजहा पूरे जिले में अकीदत और एहतराम के साथ मनाया गया. इस मौके पर ईदगाह और मस्जिदों में नमाज अदा की गई. मुख्य ईदगाह में शहर के पेश ईमाम मौलाना शौकत कासमी ने सभी को नमाज अदा कराई. फिर देश और समाज के हित में दुआएं मांगी गई.

सोमवार और बकरीद त्योहार एक साथ पड़ने से प्रशासन की बढ़ी दिक्कतें
सावन का आखिरी सोमवार और ईद-उल-अजहा का त्योहार एक साथ पड़ने के कारण सीतापुर प्रशासन के लिए खासा मुश्किल भरा रहा. क्योंकि सीतापुर मुख्यालय का सबसे प्राचीन मंदिर और ईदगाह एक ही रास्ते पर थे और कांवड़ियों-नमाजियों को एक ही रास्ते से गुजरना था. हांलाकि प्रशासन ने काफी सतर्कता बरतते हुए पूरे मामले को शांतिपूर्ण ढंग से निपटा लिया.

प्रयागराज में नमाजियों ने कश्मीर और श्रीनगर के अच्छे हालात के लिए मांगी दुआ
प्रयागराज में बकरीद का पर्व सोमवार को बड़ी अकीदत से मनाई गई. सुबह नमाजियों ने सबसे पहले नमाज अदा की उसके बाद गले मिलकर एक-दूसरे को बधाइयां दी. साथ ही नमाज अदा करते हुए नमाजियों ने कश्मीर और श्रीनगर के अच्छे हालात के लिए दुआ मांगी. नमाज के बाद हमेशा की तरह गरीबों को पैसे और खाने की सामग्रियां बांटी गई. वहीं सावन के अंतिम सोमवार और बकरीद को सकुशल संम्पन कराने को लेकर जिले प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हुए थे.

पढ़ें:- बरेलीः मंदिर-मस्जिद से एक साथ गूंजी श्रद्धा-अकीदत की सदा

बलिदान और त्याग का महापर्व ईद-उल-अजहा त्योहार क्यों है खास
बकरीद इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है. रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद बकरीद मनाया जाता है. इस त्योहार पर एक-दूसरे के गले लगकर बधाई देने की परंपरा है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को बकरीद के दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया. इसकी याद में ईद-उल-अजहा त्योहार मनाया जाता है.

ईद-उल-अजहा को क्यों बोला जाता है 'बकरीद' का त्योहार
अरबी में 'बकर' का अर्थ है बड़ा जानवर जो जिबह (काटा) किया जाता है. उसी से अपभ्रंश होकर आज भारत, पाकिस्तान व बांग्ला देश में इसे 'बकरा ईद' बोलते हैं. ईद-ए-कुर्बा का मतलब है 'बलिदान की भावना' अरबी में 'कर्ब' नजदीकी या बहुत पास रहने को कहते हैं. मतलब इस मौके पर खुदा इंसान के बहुत करीब हो जाता है. कुर्बानी उस पशु के जिबह करने को कहते हैं, जिसे 10, 11, 12 या 13 जिलहिज्ज (हज का महीना) को खुदा को खुश करने के लिए जिबिह किया जाता है.

Intro:एंकर--यूपी के हरदोई में कौमी एकता की मिसाल ईदगाह में बकरीद के मौके पर नमाज अदा की गई साथ ही मुल्क की सलामती और अमन-चैन की दुआ मांगी गई इस दौरान हजारों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोगों ने अकीदत के साथ नमाज पढ़ी। जिला प्रशासन ने नमाजियों के स्वागत के लिए खास इंतजाम किए थे नमाज अदा करने के बाद हिंदू समाज के लोगों ने और प्रशासन ने मुस्लिम समाज के लोगों को गले लगाकर बकरीद की मुबारकबाद दी।Body:Vo--हरदोई में बिलग्राम चुंगी स्थित ईदगाह में ईद-उल-जुहा के मौके पर मुस्लिम समाज के लोगों ने हजारों की संख्या में पहुंचकर नमाज पड़ी बच्चे बूढ़े और बुजुर्गों ने ईदगाह पहुंचकर नमाज अदा की और एक दूसरे को मुबारकबाद दी इस दौरान सभी ने मुल्क की सलामती अमन चैन और शहर की सलामती के लिए नमाज़ पढ़ कर अपने अल्लाह से दुआ मांगी इस दौरान प्रशासन ने नमाजियों के स्वागत के लिए खासर तैयारियां कर रखी थी ईद-उल-जुहा के मौके पर प्रशासन ने मुस्लिम समाज के लोगों को गले लगा कर उन्हें उनके त्यौहार की बधाई दी इस दौरान मौके पर मौजूद हिंदू समाज के लोगों ने मुस्लिम समाज के लोगों के गले लग कर उन्हें बधाईयां दीं ताकि सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल हरदोई की ईदगाह नजीर बने और शहर मुल्क मैं अमन चैन कायम रहे और सौहार्द पूर्ण वातावरण बना रहे।
बाइट-- पुलकित खरे जिलाधिकारी हरदोई
बाइट-- मोहम्मद खालिद सदर अंजुमन इस्लामियाConclusion:Voc--कौमी एकता की मिसाल हरदोई की ईदगाह का इतिहास बड़ा ही पुराना है करीब 100 वर्ष पूर्व यह ईदगाह आज के दौर की ईदगाह की आधे जमीन में थी नमाजियों के लिए नमाज अदा करने के लिए जब जमीन कम पड़ी तो शाहजहांपुर जिले के रहने वाले पंडित इकबाल नारायण ने अंजुमन इस्लामिया के लोगों के आग्रह पर अपनी जमीन नमाजियों के नमाज अदा करने के लिए अंजुमन इस्लामिया को दान में दे दी थी तब से मुल्क के अमन सलामती के साथ साथ पंडित इकबाल नारायण को आज भी याद किया जाता है।
आशीष द्विवेदी
हरदोई up
9918740777,8115353000
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.