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यूपी में दूध कारोबार की बदल रही फिजा, देश में 17 फीसदी से ज्यादा का योगदान

वर्ष 2016-17 में यूपी में 277.697 लाख मीट्रिकटन दूध का उत्पादन हुआ था, जो 2019-20 में बढ़कर 318.630 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है. विगत चार वर्षों में 1242.37 लाख मीट्रिक टन दूध उत्पादन राज्य में हुआ है. आंकड़े बताते हैं कि देश में उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है. यूपी का भारत में कुल दूध उत्पादन में 17 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है. प्रदेश सरकार के प्रयासों से दुग्ध उत्पादन में यूपी पूरे देश में अव्वल है.

यूपी में दूध कारोबार की बदल रही फिजा
यूपी में दूध कारोबार की बदल रही फिजा
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Published : Aug 27, 2021, 7:40 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश में दूध का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. दूध उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश अब देश में पहले स्थान पर है. हर वर्ष राज्य में नौ लाख मीट्रिक टन की औसत से दूध उत्पादन बढ़ रहा है. इसके चलते दूध का कारोबार करने वाली बड़ी -बड़ी कंपनियां यूपी में अपनी डेयरी स्थापित करने में रूचि दिखा रहीं हैं. बीते चार वर्षों में 172 करोड़ का निवेश कर अमूल सहित छह निवेशकों ने अपने डेयरी प्लांट स्थापित किए हैं. सात डेयरी प्लांट लगाए जाने की कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा 15 निवेशकों ने अपनी यूनिट लगाने के लिए योगी सरकार को प्रस्ताव दिया.

विभागीय अधिकारी का कहना है दूध उत्पादन के क्षेत्र में बड़े निवेशकों के उद्यम लगाने के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजागर मिला है. अब गांव -गांव में गाय तथा भैंस पालकर दूध का कारोबार करने वालों की संख्या बढ़ रही हैं. कुल मिलाकर अब यह दावा किया जा सकता है कि यूपी में दूध का कारोबार ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करा रहा है. आंकड़े बताते हैं कि देश में उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है. यूपी का भारत में कुल दूध उत्पादन में 17 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है. प्रदेश सरकार के प्रयासों से दुग्ध उत्पादन में यूपी पूरे देश में अव्वल है.

चार वर्षों में 1242.37 लाख मीट्रिक टन दूध उत्पादन हुआ

वर्ष 2016-17 में यूपी में 277.697 लाख मीट्रिकटन दूध का उत्पादन हुआ था, जो 2019-20 में बढ़कर 318.630 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है. विगत चार वर्षों में 1242.37 लाख मीट्रिक टन दूध उत्पादन राज्य में हुआ है. अधिकारियों के अनुसार, राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने दुधारू पशुओं के संरक्षण के साथ ग्रीनफील्ड डेयरियों की स्थापना करने की शुरुआत की. गोवंश संरक्षण की सरकारी योजनाओं के चलते राज्य के सभी जिलों में गोवंश संरक्षक केंद्रों की स्थापना के लिए 272 करोड़ रुपते स्वीकृत किए गए. बेसहारा और निराश्रित गोवंशीय पशुओं के भरण पोषण का प्रबंध किया गया.

इसके साथ ही लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मेरठ, बरेली, कन्नौज, फिरोजाबाद, गोरखपुर, अयोध्या और मुरादाबाद में ग्रीन फील्ड डेयरियां स्थापित की जा रही हैं. नोएडा, अलीगढ़, झांसी और प्रयागराज की चार पुरानी डेयरियों के उच्चीकरण का कार्य भी कराया जा रहा है. सरकार के ऐसे प्रयासों के बीच देश के बड़े निवेशकों ने राज्य में अपनी डेयरी यूनिट लगाने की पहल की. देखते ही देखते गाजीपुर में पूर्वांचल अग्रिको, बिजनौर में श्रेष्ठा फूड, मेरठ में देसी डेयरी, गोंडा में न्यू अमित फूड, बुलंदशहर में क्रीमी फूड और लखनऊ में सीपी मिल्क फ़ूड की डेयरी यूनिट लग गई है और अन्य लोगों की डेयरी यूनिट लग रही हैं.


प्रदेश सरकार गोवंश संरक्षण केंद्र एवं गोवंश वन्य बिहार का करा रही निर्माण


राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार गोवंश संरक्षण केंद्र एवं गोवंश वन्य बिहार का निर्माण करा रही है. इनमें से 118 केंद्र का निर्माण कार्य पूरा भी हो चुका है. इसके अलावा मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के अंतर्गत 66 हजार से अधिक गोवंश, इच्छुक पशु पालकों की सुपुर्दगी में दिए गए हैं. सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि गोवंश पालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने गोकुल पुरस्कार और देशी गोवंश की गाय से सर्वाधिक दूध उत्पादक को नंदबाबा पुरस्कार देना शुरू किया है. गांवों में ग्रामीण दूध कारोबार से जुड़ें, इसके लिए सरकार प्रदेश में पंजीकृत 12 लाख से अधिक दूध किसानों को क्रेडिट कार्ड दे रही है. सरकार की इस योजना को ग्रामीण हाथो-हाथ ले रहें हैं और राज्य में गौवंशीय पशुओं की संख्या में इजाफा हों रहा है.

सरकार द्वारा कराई गई 20वीं पशुगणना के अनुसार, यूपी में 202.04 लाख गौवंशीय पशु हैं. इन पशुओं के चलते ही यूपी दूध उत्पादन के मामले में लगातार आगे बढ़ता जा रहा है. सरकार भी दूध के कारोबार को बेहतर करने के लिए दुग्ध समितियों के ढ़ांचे को मजबूत करने में जुटी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दुग्ध समितियों को मजबूत करने और उन्हें बढ़ावा देने के कई बार निर्देश दे चुके हैं. यूपी के 75 जिलों में करीब 21 हजार 537 दूध समितियां हैं. इसमें लगभग 12 लाख 79 हजार 560 पंजीकृत दूध उत्पादक जुड़े हुए हैं. यह सभी लोग किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ लेने में रुचि ले रहे हैं.

पढ़ें- धर्म और शिक्षा के जागरण का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है 'गोरक्षपीठ'

किसानों को दूध कारोबार के प्रति प्रोत्साहित करने के साथ ही प्रदेश सरकार पशुओं की नस्ल सुधार के लिए पशुओं का टीकाकरण करा रही है. सरकार के इन प्रयासों के चलते राज्य के हर गांव में दूध गाय -भैस पालकर दूध बेचने वाले ग्रामीणों की संख्या बढ़ रही है और दुधारू पशुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. ग्रामीण इलाकों में अब दूध के कारोबार से लोगों को रोजगार मिल रहा है.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में दूध का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. दूध उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश अब देश में पहले स्थान पर है. हर वर्ष राज्य में नौ लाख मीट्रिक टन की औसत से दूध उत्पादन बढ़ रहा है. इसके चलते दूध का कारोबार करने वाली बड़ी -बड़ी कंपनियां यूपी में अपनी डेयरी स्थापित करने में रूचि दिखा रहीं हैं. बीते चार वर्षों में 172 करोड़ का निवेश कर अमूल सहित छह निवेशकों ने अपने डेयरी प्लांट स्थापित किए हैं. सात डेयरी प्लांट लगाए जाने की कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा 15 निवेशकों ने अपनी यूनिट लगाने के लिए योगी सरकार को प्रस्ताव दिया.

विभागीय अधिकारी का कहना है दूध उत्पादन के क्षेत्र में बड़े निवेशकों के उद्यम लगाने के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजागर मिला है. अब गांव -गांव में गाय तथा भैंस पालकर दूध का कारोबार करने वालों की संख्या बढ़ रही हैं. कुल मिलाकर अब यह दावा किया जा सकता है कि यूपी में दूध का कारोबार ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करा रहा है. आंकड़े बताते हैं कि देश में उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है. यूपी का भारत में कुल दूध उत्पादन में 17 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है. प्रदेश सरकार के प्रयासों से दुग्ध उत्पादन में यूपी पूरे देश में अव्वल है.

चार वर्षों में 1242.37 लाख मीट्रिक टन दूध उत्पादन हुआ

वर्ष 2016-17 में यूपी में 277.697 लाख मीट्रिकटन दूध का उत्पादन हुआ था, जो 2019-20 में बढ़कर 318.630 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है. विगत चार वर्षों में 1242.37 लाख मीट्रिक टन दूध उत्पादन राज्य में हुआ है. अधिकारियों के अनुसार, राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने दुधारू पशुओं के संरक्षण के साथ ग्रीनफील्ड डेयरियों की स्थापना करने की शुरुआत की. गोवंश संरक्षण की सरकारी योजनाओं के चलते राज्य के सभी जिलों में गोवंश संरक्षक केंद्रों की स्थापना के लिए 272 करोड़ रुपते स्वीकृत किए गए. बेसहारा और निराश्रित गोवंशीय पशुओं के भरण पोषण का प्रबंध किया गया.

इसके साथ ही लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मेरठ, बरेली, कन्नौज, फिरोजाबाद, गोरखपुर, अयोध्या और मुरादाबाद में ग्रीन फील्ड डेयरियां स्थापित की जा रही हैं. नोएडा, अलीगढ़, झांसी और प्रयागराज की चार पुरानी डेयरियों के उच्चीकरण का कार्य भी कराया जा रहा है. सरकार के ऐसे प्रयासों के बीच देश के बड़े निवेशकों ने राज्य में अपनी डेयरी यूनिट लगाने की पहल की. देखते ही देखते गाजीपुर में पूर्वांचल अग्रिको, बिजनौर में श्रेष्ठा फूड, मेरठ में देसी डेयरी, गोंडा में न्यू अमित फूड, बुलंदशहर में क्रीमी फूड और लखनऊ में सीपी मिल्क फ़ूड की डेयरी यूनिट लग गई है और अन्य लोगों की डेयरी यूनिट लग रही हैं.


प्रदेश सरकार गोवंश संरक्षण केंद्र एवं गोवंश वन्य बिहार का करा रही निर्माण


राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार गोवंश संरक्षण केंद्र एवं गोवंश वन्य बिहार का निर्माण करा रही है. इनमें से 118 केंद्र का निर्माण कार्य पूरा भी हो चुका है. इसके अलावा मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के अंतर्गत 66 हजार से अधिक गोवंश, इच्छुक पशु पालकों की सुपुर्दगी में दिए गए हैं. सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि गोवंश पालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने गोकुल पुरस्कार और देशी गोवंश की गाय से सर्वाधिक दूध उत्पादक को नंदबाबा पुरस्कार देना शुरू किया है. गांवों में ग्रामीण दूध कारोबार से जुड़ें, इसके लिए सरकार प्रदेश में पंजीकृत 12 लाख से अधिक दूध किसानों को क्रेडिट कार्ड दे रही है. सरकार की इस योजना को ग्रामीण हाथो-हाथ ले रहें हैं और राज्य में गौवंशीय पशुओं की संख्या में इजाफा हों रहा है.

सरकार द्वारा कराई गई 20वीं पशुगणना के अनुसार, यूपी में 202.04 लाख गौवंशीय पशु हैं. इन पशुओं के चलते ही यूपी दूध उत्पादन के मामले में लगातार आगे बढ़ता जा रहा है. सरकार भी दूध के कारोबार को बेहतर करने के लिए दुग्ध समितियों के ढ़ांचे को मजबूत करने में जुटी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दुग्ध समितियों को मजबूत करने और उन्हें बढ़ावा देने के कई बार निर्देश दे चुके हैं. यूपी के 75 जिलों में करीब 21 हजार 537 दूध समितियां हैं. इसमें लगभग 12 लाख 79 हजार 560 पंजीकृत दूध उत्पादक जुड़े हुए हैं. यह सभी लोग किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ लेने में रुचि ले रहे हैं.

पढ़ें- धर्म और शिक्षा के जागरण का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है 'गोरक्षपीठ'

किसानों को दूध कारोबार के प्रति प्रोत्साहित करने के साथ ही प्रदेश सरकार पशुओं की नस्ल सुधार के लिए पशुओं का टीकाकरण करा रही है. सरकार के इन प्रयासों के चलते राज्य के हर गांव में दूध गाय -भैस पालकर दूध बेचने वाले ग्रामीणों की संख्या बढ़ रही है और दुधारू पशुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. ग्रामीण इलाकों में अब दूध के कारोबार से लोगों को रोजगार मिल रहा है.

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