लखनऊ: बापू भवन में बुधवार को उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद की 78वीं बैठक की गई. इस दौरान श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुनील भराला ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 15 हजार रूपये से कम वेतन पाने वाले श्रमिकों को श्रम कल्याण परिषद की योजनाओं का लाभ मिल रहा है. परिषद दो वर्षों से लगातार श्रमिकों के कल्याण के लिए कार्य कर रही है और इस कार्य में खरा उतरने की कोशिश की जा रही है. साथ ही योजनाओं का लाभ जरूरतमंद श्रमिक परिवारों तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप पात्रों को लाभ मिले इस पर तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए. साथ ही कहा कि श्रमिक की बच्चियों की शादी करने की व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाए. वहीं बैठक में वित्तीय वर्ष 2021-22 में परिषद की विभिन्न योजनाओं से 25 हजार श्रमिकों को लाभान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया.
बैठक में दिए आवश्यक निर्देश
श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुनील भराला ने कहा की प्रदेश में जितने कारखानें एवं वाणिज्य कर दुकानें हैं, उनका डाटा जीएसटी विभाग से प्राप्त कर लिया जाए और परिषद की योजनाओं को जनहित गारंटी अधिनियम से भी जोड़ने के प्रयास किए जाएं. साथ ही परिषद की ओर से संचालित योजनाओं के ऑनलाइन प्राप्त आवेदन पत्रों की जांच के लिए सभी श्रम प्रवर्तन अधिकारियों की लॉगइन आईडी बनाई जाए. महापुरुषों के जन्म स्थल पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में योजनाओं का प्रचार प्रसार भी किया जाए तथा जन सुनवाई भी की जाए. साथ ही तहसील एवं जिला मुख्यालयों तथा श्रम विभाग के कार्यालयों में भी योजनाओं से संबंधित पोस्टर, बैनर और होर्डिंग लगाई जाए. वहीं उन्होंने श्रम कल्याण परिषद के 1.30 करोड़ रुपये बजट में से मात्र 20 लाख खर्च होने पर नाराजगी भी व्यक्त की.
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इन योजनाओं का मिल रहा लाभ
परिषद की योजनाओं से अब तक 254 लाभार्थी श्रमिकों को लाभान्वित किया गया. उन्होंने परिषद की सभी योजनाओं जिसमें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक शिक्षा सहायता योजना, गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार राशि योजना, स्वामी विवेकानंद धार्मिक पर्यटन यात्रा योजना, महादेवी वर्मा पुस्तक क्रय आर्थिक सहायता योजना, चेतन चौहान क्रीड़ा प्रोत्साहन योजना के लिए लाभार्थियों से अधिक से अधिक आवेदन पत्र प्राप्त करने के भी निर्देश दिए. वहीं महादेवी वर्मा पुस्तक क्रय आर्थिक सहायता योजना का लाभ उत्तर प्रदेश दुकान वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम 1962 से आवर्त श्रमिकों की पुत्रियों को भी प्रदान करने के निर्देश दिए.