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परंपराओं को तोड़ने के लिए जाने जाएंगे पूर्व राज्यपाल राम नाईक

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई परंपराओं को समाप्त किया. उनका कहना था कि ऐसी रूढ़ियों को बचाए रखने का क्या फायदा जो तर्कपूर्ण नहीं हैं और अंग्रेजी औपनिवेशिक साम्राज्य की स्मृतियों को ताजा करती हैं.

अपने कार्यकाल के दौरान परंपराओं के खिलाफ रहे पूर्व राज्यपाल राम नाईक.
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Published : Jul 29, 2019, 11:44 PM IST

लखनऊ: 5 साल 7 दिन तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर काम करने वाले पूर्व राज्यपाल राम नाईक देश में राजभवन की मान्य परंपराओं को तोड़ने के लिए याद किए जाएंगे. आजाद भारत में वह पहले ऐसे राज्यपाल हैं, जिन्होंने हिज एक्सीलेंसी कहने की परंपरा तोड़ी. साथ ही वह जाते-जाते नवागत राज्यपाल के स्वागत करने की परंपरा भी शुरू कर गए.

उत्तर प्रदेश का राजभवन पूर्व राज्यपाल राम नाईक के लोकतांत्रिक मूल्यों और जीवन शैली का साक्षात गवाह है. उन्होंने उत्तर प्रदेश में राज्यपाल बनने के साथ ही तर्कपूर्ण परिवर्तन की शुरुआत की और प्रदेश के नागरिकों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया. राज्यपाल के तौर पर उत्तर प्रदेश में अपना कार्यकाल शुरू करने के पहले दिन ही उन्होंने एलान किया कि उन्हें हिज एक्सीलेंसी या महामहिम संबोधन पसंद नहीं है. इसके बजाय उन्हें मान्यवर राज्यपाल कहा जा सकता है.

अपने कार्यकाल के दौरान परंपराओं के खिलाफ रहे पूर्व राज्यपाल राम नाईक.

प्रदेश सरकार की दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के मौके पर उन्होंने अपने अनुभव खुद ताजा किया. यहां उन्होंने लोगों को बताया कि किस तरह से उन्होंने राज्यपाल के तौर पर काम करते हुए रूढ़ियों को खत्म किया. उनका कहना है कि ऐसी रूढ़ियों को बचाए रखने से क्या फायदा जो तर्कपूर्ण नहीं हैं और अंग्रेजी औपनिवेशिक साम्राज्य की स्मृतियों को ताजा करती हैं.

नवागत राज्यपाल के स्वागत की नई परंपरा शुरू करने का कारण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब देश के राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण होता है तो नवागत राष्ट्रपति और वर्तमान राष्ट्रपति एक साथ कार में सवार होकर संसद में जाते हैं. जब राष्ट्रपति की शपथ हो रही होती है तो विद्यमान राष्ट्रपति अपनी सीट छोड़कर उस सीट पर बैठ जाते हैं, जहां नवागत राष्ट्रपति बैठे थे. इस तरह शपथ के बाद नवागत राष्ट्रपति उस कुर्सी पर आकर विराजमान हो जाते हैं, जो राष्ट्रपति के लिए निर्धारित है. यही इतना नहीं नवागत राष्ट्रपति निवर्तमान को विदा करने के लिए उनके घर तक जाते हैं. इसी वजह से मैंने तय किया है कि जब उत्तर प्रदेश के नए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल लखनऊ में आएगी तो मैं उनका स्वागत करूंगा.

पूर्व राज्यपाल राम नाईक के इस व्यवहार की उत्तर प्रदेश में लोग सराहना भी कर रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह बताते हैं कि किस तरह राज्यपाल ने राजभवन के दरवाजे आम जनता के लिए खोलकर नई परंपरा की शुरुआत की. देश के सभी राज्यों में राजभवन के दरवाजे तो लाड साहब के ऐसे दरवाजे हुआ करते हैं, जहां आमजन का प्रवेश निषेध है. वह पहले ऐसे गवर्नर रहे, जिन्होंने अपने कामकाज का सालाना रिपोर्ट कार्ड भी जारी करना शुरू किया.

लखनऊ: 5 साल 7 दिन तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर काम करने वाले पूर्व राज्यपाल राम नाईक देश में राजभवन की मान्य परंपराओं को तोड़ने के लिए याद किए जाएंगे. आजाद भारत में वह पहले ऐसे राज्यपाल हैं, जिन्होंने हिज एक्सीलेंसी कहने की परंपरा तोड़ी. साथ ही वह जाते-जाते नवागत राज्यपाल के स्वागत करने की परंपरा भी शुरू कर गए.

उत्तर प्रदेश का राजभवन पूर्व राज्यपाल राम नाईक के लोकतांत्रिक मूल्यों और जीवन शैली का साक्षात गवाह है. उन्होंने उत्तर प्रदेश में राज्यपाल बनने के साथ ही तर्कपूर्ण परिवर्तन की शुरुआत की और प्रदेश के नागरिकों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया. राज्यपाल के तौर पर उत्तर प्रदेश में अपना कार्यकाल शुरू करने के पहले दिन ही उन्होंने एलान किया कि उन्हें हिज एक्सीलेंसी या महामहिम संबोधन पसंद नहीं है. इसके बजाय उन्हें मान्यवर राज्यपाल कहा जा सकता है.

अपने कार्यकाल के दौरान परंपराओं के खिलाफ रहे पूर्व राज्यपाल राम नाईक.

प्रदेश सरकार की दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के मौके पर उन्होंने अपने अनुभव खुद ताजा किया. यहां उन्होंने लोगों को बताया कि किस तरह से उन्होंने राज्यपाल के तौर पर काम करते हुए रूढ़ियों को खत्म किया. उनका कहना है कि ऐसी रूढ़ियों को बचाए रखने से क्या फायदा जो तर्कपूर्ण नहीं हैं और अंग्रेजी औपनिवेशिक साम्राज्य की स्मृतियों को ताजा करती हैं.

नवागत राज्यपाल के स्वागत की नई परंपरा शुरू करने का कारण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब देश के राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण होता है तो नवागत राष्ट्रपति और वर्तमान राष्ट्रपति एक साथ कार में सवार होकर संसद में जाते हैं. जब राष्ट्रपति की शपथ हो रही होती है तो विद्यमान राष्ट्रपति अपनी सीट छोड़कर उस सीट पर बैठ जाते हैं, जहां नवागत राष्ट्रपति बैठे थे. इस तरह शपथ के बाद नवागत राष्ट्रपति उस कुर्सी पर आकर विराजमान हो जाते हैं, जो राष्ट्रपति के लिए निर्धारित है. यही इतना नहीं नवागत राष्ट्रपति निवर्तमान को विदा करने के लिए उनके घर तक जाते हैं. इसी वजह से मैंने तय किया है कि जब उत्तर प्रदेश के नए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल लखनऊ में आएगी तो मैं उनका स्वागत करूंगा.

पूर्व राज्यपाल राम नाईक के इस व्यवहार की उत्तर प्रदेश में लोग सराहना भी कर रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह बताते हैं कि किस तरह राज्यपाल ने राजभवन के दरवाजे आम जनता के लिए खोलकर नई परंपरा की शुरुआत की. देश के सभी राज्यों में राजभवन के दरवाजे तो लाड साहब के ऐसे दरवाजे हुआ करते हैं, जहां आमजन का प्रवेश निषेध है. वह पहले ऐसे गवर्नर रहे, जिन्होंने अपने कामकाज का सालाना रिपोर्ट कार्ड भी जारी करना शुरू किया.

Intro:लखनऊ. 5 साल 7 दिन तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर काम करने वाले पूर्व राज्यपाल राम नाईक देश मे राजभवन की मान्य परंपराओं को तोड़ने के लिए याद किए जाएंगे. आजाद भारत में वह पहले ऐसे राज्यपाल हैं जिसने हिज एक्सीलेंसी कहने की परंपरा तोड़ी और जाते-जाते नवागत राज्यपाल के स्वागत करने की परंपरा भी शुरू कर गए.





Body:उत्तर प्रदेश का राज भवन पूर्व राज्यपाल राम नाईक के लोकतांत्रिक मूल्यों और जीवन शैली का साक्षात गवाह है उन्होंने उत्तर प्रदेश में राज्यपाल बनने के साथ ही तर्कपूर्ण परिवर्तन की शुरुआत की और प्रदेश के नागरिकों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया राज्यपाल के तौर पर उत्तर प्रदेश में अपना कार्यकाल शुरू करने के पहले दिन ही उन्होंने एलान किया कि उन्हें हिज एक्सीलेंसी या महामहिम संबोधन पसंद नहीं है इसके बजाय उन्हें मान्यवर राज्यपाल कहा जा सकता है प्रदेश सरकार की दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरिमनी के मौके पर उन्होंने अपने अनुभव खुद ताजा किए और लोगों को बताया कि किस तरह से उन्होंने राज्यपाल के तौर पर काम करते हुए रूढ़ियों को खत्म किया उनका कहना है कि ऐसी रूढ़ि बचाए रखने से क्या फायदा जो तर्कपूर्ण नहीं है और अंग्रेजी औपनिवेशिक साम्राज्य के स्मृतियों को ताजा करती हैं. नवागत राज्यपाल के स्वागत की नई परंपरा शुरू करने का कारण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब देश के राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण होता है तो नवागत राष्ट्रपति और वर्तमान राष्ट्रपति एक साथ कार में सवार होकर संसद में जाते हैं जब राष्ट्रपति की शपथ हो रही होती है तो विद्यमान राष्ट्रपति अपनी सीट छोड़कर उस सीट पर बैठ जाते हैं जहां नवागत राष्ट्रपति बैठे थे इस तरह शपथ के बाद नवागत राष्ट्रपति उस कुर्सी पर आकर विराजमान हो जाते हैं जो राष्ट्रपति के लिए निर्धारित है। यही इतना नहीं नवागत राष्ट्रपति निवर्तमान को विदा करने के लिए उनके घर तक जाते हैं इसी वजह से मैंने तय किया है कि जब उत्तर प्रदेश के नए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल लखनऊ में आएगी तो मैं उनका स्वागत करूंगा.

स्पीच/ राम नाईक पूर्व राज्यपाल उत्तर प्रदेश

पूर्व राज्यपाल राम नाईक के इस व्यवहार की उत्तर प्रदेश में लोक सराहना भी कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह बताते हैं कि किस तरह राज्यपाल ने राजभवन के दरवाजे आम जनता के लिए खुलकर नई परंपरा की शुरुआत की वरना देश के सभी राज्यों में राजभवन के दरवाजे तो लाड साहब के ऐसे दरवाजे हुआ करते हैं जहां आमजन का प्रवेश निषेध है। वह पहले ऐसे गवर्नर हैं जिसने अपने कामकाज का सालाना रिपोर्ट कार्ड भी जारी करना शुरू किया।


बाइट/ सुरेश बहादुर सिंह वरिष्ठ पत्रकार



Conclusion:पूर्व राज्यपाल इसलिए भी किए जाएंगे याद


राज्यपाल के तौर पर उन्होंने उत्तर प्रदेश में यूपी दिवस का आयोजन शुरू कराया।
आगरा में स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के नाम की वर्तनी शुद्ध कराई और उसे आंबेडकर नाम दिया गया । क्योंकि डॉ भीमराव आंबेडकर अपने नाम को इसी तरह लिखा करते थे।

- हिज एक्सीलेंसी कहना बंद कराया .

- राज्यपाल के स्वागत की परंपरा डाली.

- जनता से मिलने का कार्यक्रम शुरू कराया
- मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखने वाले राज्यपाल के तौर पर नहीं जाने गए.

- अपना रिपोर्ट कार्ड जारी करने वाले पहले राज्यपाल बने हर साल बताओ और राज्यपाल अपनी उपलब्धियों को सार्वजनिक करते थे ।

विश्वविद्यालयों का दीक्षांत समारोह नियमित कराया और उनका कैलेंडर यानी शैक्षिक सत्र भी ठीक कराया।


वॉक थ्रू अखिलेश तिवारी
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