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लखनऊ: जल निगम भर्ती घोटाले में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों पर होगी कार्रवाई

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सपा सरकार में हुए भर्ती घोटाले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्रवाई के आदेश दिए हैं. बताया जा रहा है कि 200 से अधिक लोगों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है.

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जल निगम भर्ती घोटाले में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई.
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Published : Mar 4, 2020, 5:28 PM IST

लखनऊ: सपा सरकार में जल निगम भर्ती घोटाले को लेकर प्रदेश सरकार जल निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है. बीते दिवस राज्य सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से निरस्त करने की कार्रवाई की. वहीं अब जल्द ही भर्ती में शामिल हुए अभ्यर्थी, विभागीय अधिकारी व कर्मचारी और इंटरव्यू लेने वाले इंटरव्यू बोर्ड के कई अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं. ऐसे लोगों की संख्या 200 से अधिक बताई जा रही है, जिनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है.

जल निगम भर्ती घोटाले में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी.
जल निगम भर्ती घोटाले में हुई एसआईटी जांच और विभागीय जांच के स्तर पर अब तक 175 से अधिक लोगों के खिलाफ अनियमितता के गंभीर सुबूत मिले हैं. इनकी उत्तर पुस्तिकाओं में नंबरों व अन्य प्रविष्टियों को लेकर छेड़छाड़ की बात भी सामने आई है. वहीं कुछ और भी नाम अभी आने की बात बताई जा रही है. जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठवाल के मुताबिक इन सबको मिलाकर 200 से अधिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
एसआईटी ने पूर्व मंत्री आजम सहित 12 को बनाया था आरोपी
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर विशेष जांच दल यानी एसआईटी ने जांच के बाद अप्रैल 2018 में मुकदमा भी दर्ज किया था. इसमें तत्कालीन विभागीय मंत्री समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान समेत 12 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इनमें तत्कालीन नगर विकास सचिव रहे एसपी सिंह, जल निगम के पूर्व एमडी के आंसू दानी और जल निगम के तत्कालीन मुख्य अभियंता अनिल खरे नामजद किए गए थे. एसआईटी ने भर्ती परीक्षा आयोजित कराने वाली एक लिमिटेड के अज्ञात अधिकारियों को भी अभियुक्त बनाया था.
जल निगम के एमडी विकास गोठवाल ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर दी गई है. जांच चल रही है. जांच में जिन लोगों के भी सबूत मिलेंगे उन लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी. पूरी जांच रिपोर्ट के बाद विभागीय कार्रवाई या अन्य तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई कराई जाएगी. राज्य सरकार द्वारा भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से निरस्त करने और सेवा समाप्त किए जाने के बाद अब भर्ती प्रक्रिया पर खर्च हुई रकम की वसूली भी कराई जाएगी. जल निगम के जिन अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवा समाप्त की गई है, उनसे कोई वसूली नहीं की जाएगी, लेकिन यह तय किया गया है कि भर्ती प्रक्रिया पर हुए खर्च की वसूली जरूर की जाएगी, यह वसूली भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों से की जाएगी.

लखनऊ: सपा सरकार में जल निगम भर्ती घोटाले को लेकर प्रदेश सरकार जल निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है. बीते दिवस राज्य सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से निरस्त करने की कार्रवाई की. वहीं अब जल्द ही भर्ती में शामिल हुए अभ्यर्थी, विभागीय अधिकारी व कर्मचारी और इंटरव्यू लेने वाले इंटरव्यू बोर्ड के कई अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं. ऐसे लोगों की संख्या 200 से अधिक बताई जा रही है, जिनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है.

जल निगम भर्ती घोटाले में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी.
जल निगम भर्ती घोटाले में हुई एसआईटी जांच और विभागीय जांच के स्तर पर अब तक 175 से अधिक लोगों के खिलाफ अनियमितता के गंभीर सुबूत मिले हैं. इनकी उत्तर पुस्तिकाओं में नंबरों व अन्य प्रविष्टियों को लेकर छेड़छाड़ की बात भी सामने आई है. वहीं कुछ और भी नाम अभी आने की बात बताई जा रही है. जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठवाल के मुताबिक इन सबको मिलाकर 200 से अधिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
एसआईटी ने पूर्व मंत्री आजम सहित 12 को बनाया था आरोपी
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर विशेष जांच दल यानी एसआईटी ने जांच के बाद अप्रैल 2018 में मुकदमा भी दर्ज किया था. इसमें तत्कालीन विभागीय मंत्री समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान समेत 12 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इनमें तत्कालीन नगर विकास सचिव रहे एसपी सिंह, जल निगम के पूर्व एमडी के आंसू दानी और जल निगम के तत्कालीन मुख्य अभियंता अनिल खरे नामजद किए गए थे. एसआईटी ने भर्ती परीक्षा आयोजित कराने वाली एक लिमिटेड के अज्ञात अधिकारियों को भी अभियुक्त बनाया था.
जल निगम के एमडी विकास गोठवाल ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर दी गई है. जांच चल रही है. जांच में जिन लोगों के भी सबूत मिलेंगे उन लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी. पूरी जांच रिपोर्ट के बाद विभागीय कार्रवाई या अन्य तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई कराई जाएगी. राज्य सरकार द्वारा भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से निरस्त करने और सेवा समाप्त किए जाने के बाद अब भर्ती प्रक्रिया पर खर्च हुई रकम की वसूली भी कराई जाएगी. जल निगम के जिन अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवा समाप्त की गई है, उनसे कोई वसूली नहीं की जाएगी, लेकिन यह तय किया गया है कि भर्ती प्रक्रिया पर हुए खर्च की वसूली जरूर की जाएगी, यह वसूली भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों से की जाएगी.
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