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दो हजार टन से अधिक थाई मांगुर मछलियों को किया गया नष्ट

उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग ने प्रतिबंधित थाई मांगुर मछलियों के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है. इसी क्रम में विगत एक साल में दो हजार टन से अधिक मछलियों को नष्ट किया गया. यह जानकारी विभाग के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने दी.

uttar pradesh fisheries department
प्रतिबंधित थाई मांगुर मछलियां.
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Published : Feb 17, 2021, 5:35 PM IST

लखनऊ : पश्चिम बंगाल से आने वाली थाई मांगुर मछलियों की खरीद फरोख्त रोकने के लिए उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग गंभीर है. यही कारण है कि विगत 1 वर्ष में 2000 टन से अधिक थाई मांगुर मछलियों को नष्ट किया गया, जिससे गंभीर खतरा हो सकता था. इन मछलियों के सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है.

प्रतिबंधित थाई मांगुर मछलियों के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने बताया कि थाई मांगुर मछली मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है. गंदे वातावरण में पलने वाली यह मछलियां गंभीर बीमारियों का कारण बनती हैं और इनके सेवन से तरह-तरह की बीमारियां फैलती हैं. यही कारण है कि एनजीटी ने इसकी बिक्री व आयात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.

लोगों में प्रचार-प्रसार व जागरूकता की जरूरत

मत्स्य विभाग के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने बताया कि थाई मांगुर मछली के सेवन से गंभीर बीमारियों का खतरा बना रहता है. यही कारण है कि लगातार प्रचार प्रसार किया जा रहा है, जिससे लोग इसके सेवन से बच सकें. इसके साथ ही जहां कहीं भी इस मछली का व्यापार व पालन होता है, उस पर मत्स्य विभाग नजर रख रहा है और वहां पर इन मछलियों के विनिस्ट्रीकरण की कार्रवाई की जा रही है.

uttar pradesh fisheries department
प्रतिबंधित थाई मांगुर मछलियां.

जनता का सहयोग अपेक्षित

डॉ. एसके सिंह ने बताया कि थाई मांगुर मछली देसी मांगुर मछलियों की तरह ही होती हैं और यह बहुत तेजी से बढ़ती हैं. यही कारण है कि इन मछलियों की बिक्री अधिक बढ़ जाती है. पर यह मछलियां बहुत ही गंभीर बीमारियों का कारण बनती है.

जिला प्रशासन के सहयोग से की जाती है छापेमारी

मत्स्य विभाग के निदेशक ने बताया कि जहां पर भी इन मछलियों की बिक्री व पालन की जानकारी होती है, वहां पर जिला प्रशासन के सहयोग से मत्स्य विभाग की टीम छापेमारी कर इन मछलियों को नष्ट कर आती है. ताकि प्रदेश की जनता को गंभीर बीमारियों के संक्रमण से बचाया जा सके.

uttar pradesh fisheries department
उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग के निदेशक.

2000 टन से अधिक मछलियों को किया जा चुका है नष्ट

मत्स्य विभाग के डायरेक्टर डॉ. एसके सिंह ने बताया कि अभी तक प्रदेश के विभिन्न जनपदों में छापेमारी कर 2000 टन से अधिक मछलियों को नष्ट कराया जा चुका है. उन्होंने बताया कि वाराणसी व लखनऊ में लगातार छापेमारी की जा रही है. इसके साथ ही इसके लिए कंट्रोल रूम नंबर भी बनाया गया है, जहां पर कोई भी व्यक्ति इस बारे में गोपनीय सूचना दे सकता है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

खतरनाक है थाई मांगुर

बता दें कि थाई मांगुर मछली गंदे वातावरण में रहने के कारण कई गंभीर बीमारियों को जन्म देती हैं. ऐसे में सरकार ने इन मछलियों के आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ है. बावजूद इसके पश्चिम बंगाल के रास्ते यह मछलियां देश के कई राज्यों में चोरी छुपे आती हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग ने यूपी में अभियान चलाया हुआ है, जिससे यूपी में इन मछलियों की खरीद फरोख्त व बिक्री पर रोक लगाई जा सके.

लखनऊ : पश्चिम बंगाल से आने वाली थाई मांगुर मछलियों की खरीद फरोख्त रोकने के लिए उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग गंभीर है. यही कारण है कि विगत 1 वर्ष में 2000 टन से अधिक थाई मांगुर मछलियों को नष्ट किया गया, जिससे गंभीर खतरा हो सकता था. इन मछलियों के सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है.

प्रतिबंधित थाई मांगुर मछलियों के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने बताया कि थाई मांगुर मछली मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है. गंदे वातावरण में पलने वाली यह मछलियां गंभीर बीमारियों का कारण बनती हैं और इनके सेवन से तरह-तरह की बीमारियां फैलती हैं. यही कारण है कि एनजीटी ने इसकी बिक्री व आयात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.

लोगों में प्रचार-प्रसार व जागरूकता की जरूरत

मत्स्य विभाग के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने बताया कि थाई मांगुर मछली के सेवन से गंभीर बीमारियों का खतरा बना रहता है. यही कारण है कि लगातार प्रचार प्रसार किया जा रहा है, जिससे लोग इसके सेवन से बच सकें. इसके साथ ही जहां कहीं भी इस मछली का व्यापार व पालन होता है, उस पर मत्स्य विभाग नजर रख रहा है और वहां पर इन मछलियों के विनिस्ट्रीकरण की कार्रवाई की जा रही है.

uttar pradesh fisheries department
प्रतिबंधित थाई मांगुर मछलियां.

जनता का सहयोग अपेक्षित

डॉ. एसके सिंह ने बताया कि थाई मांगुर मछली देसी मांगुर मछलियों की तरह ही होती हैं और यह बहुत तेजी से बढ़ती हैं. यही कारण है कि इन मछलियों की बिक्री अधिक बढ़ जाती है. पर यह मछलियां बहुत ही गंभीर बीमारियों का कारण बनती है.

जिला प्रशासन के सहयोग से की जाती है छापेमारी

मत्स्य विभाग के निदेशक ने बताया कि जहां पर भी इन मछलियों की बिक्री व पालन की जानकारी होती है, वहां पर जिला प्रशासन के सहयोग से मत्स्य विभाग की टीम छापेमारी कर इन मछलियों को नष्ट कर आती है. ताकि प्रदेश की जनता को गंभीर बीमारियों के संक्रमण से बचाया जा सके.

uttar pradesh fisheries department
उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग के निदेशक.

2000 टन से अधिक मछलियों को किया जा चुका है नष्ट

मत्स्य विभाग के डायरेक्टर डॉ. एसके सिंह ने बताया कि अभी तक प्रदेश के विभिन्न जनपदों में छापेमारी कर 2000 टन से अधिक मछलियों को नष्ट कराया जा चुका है. उन्होंने बताया कि वाराणसी व लखनऊ में लगातार छापेमारी की जा रही है. इसके साथ ही इसके लिए कंट्रोल रूम नंबर भी बनाया गया है, जहां पर कोई भी व्यक्ति इस बारे में गोपनीय सूचना दे सकता है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

खतरनाक है थाई मांगुर

बता दें कि थाई मांगुर मछली गंदे वातावरण में रहने के कारण कई गंभीर बीमारियों को जन्म देती हैं. ऐसे में सरकार ने इन मछलियों के आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ है. बावजूद इसके पश्चिम बंगाल के रास्ते यह मछलियां देश के कई राज्यों में चोरी छुपे आती हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग ने यूपी में अभियान चलाया हुआ है, जिससे यूपी में इन मछलियों की खरीद फरोख्त व बिक्री पर रोक लगाई जा सके.

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