लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग ने एक बड़े निजी कंपनी की तरफ से दाखिल की गई याचिका की स्वीकार्यता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अडानी इलेक्ट्रिकल जेवर लिमिटेड अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की तरफ से विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 व 15 के तहत म्युनिसिपल कारपोरेशन गाजियाबाद व गौतमबुद्ध नगर के लिए समानांतर वितरण लाइसेंस की स्वीकार्यता पर विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह, सदस्य वीके श्रीवास्तव और संजय कुमार सिंह ने स्वीकार्यता याचिका पर अनेकों वित्तीय सवाल खड़े किए हैं. अनेकों तकनीकी सवाल भी उठाए. आयोग ने दो सप्ताह में पारदर्शी तरीके से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा को प्रदेश के उपभोक्ताओं की तरफ से बात रखने के लिए स्वीकार्यता याचिका में आयोग ने अनुमोदन भी प्रदान कर दिया है. उपभोक्ता परिषद की तरफ से उठाए गए सवालों को भी स्वीकार्यता याचिका का पार्ट बनाया गया है. बता दें कि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (Uttar Pradesh Power Corporation Limited) का पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम ऐन मौके पर इस याचिका में पार्टी बनने से पीछे हट गया था. विद्युत नियामक आयोग से जारी आदेश में अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड के वर्ष 2021 -22 बैलेंस शीट का हर स्तर पर परीक्षण किया गया है.
आयोग ने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार के विद्युत वितरण लाइसेंसी कैपिटल एडवोकोसी रिक्वायरमेंट रूल 2005, जिसमें यह व्यवस्था है कि कोई भी वितरण लाइसेंस लेने वाली कंपनी की वित्तीय स्थिति इस प्रकार होनी चाहिए कि वह जो भी कुल कैपिटल खर्च करेगी उसका 30 प्रतिशत कंपनी का पूरा असेट होना चाहिए. कहने का अर्थ है कि कंपनी की हैसियत होनी चाहिए. विद्युत नियामक आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की शुद्ध संपत्ति केवल देखी जाएगी उसकी सब्सिडरी कंपनी की नेटवर्थ यानी कि शुद्ध संपत्ति नहीं देखी जाएगी.
अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड ने समानांतर लाइसेंस मिलने के बाद 4865 करोड़ रुपये वितरण नेटवर्क बनाने पर खर्च करने की बात कही है. आदेश में बैलेंस शीट का मिलान करने पर यह पाया गया कि इंडियन अकाउंटिंग स्टैंडर्ड के तहत अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की टोटल असेट 12666.37 करोड़ है, जबकि देनदारी 8689.56 करोड़ है. ट्रांसमिशन कंपनी ने अन सिक्योर इक्विटी इंस्ट्रूमेंट में 3131.28 करोड़ दिखाया है. इस पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं. अडानी ट्रांसमिशन की स्वीकार्यता याचिका में आयोग के आदेशानुसार उपभोक्ताओं की तरफ से अधिकृत विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इस ग्रुप की याचिका भारत सरकार के नोटिफिकेशन में दिए गए प्रावधानों के पूरी तरह विपरीत है, इसे खारिज किया जाना चाहिए.
वर्मा ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में परिभाषित किया गया है कि कोई भी किसी नगर निगम में आने वाला संपूर्ण क्षेत्र या तीन निकटवर्ती राजस्व जिले या कोई छोटा क्षेत्र जिसे समुचित सरकार से अधिसूचित किया गया हो, का वितरण लाइसेंस प्राप्त कर सकता है, लेकिन अडानी ग्रुप ने गाजियाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन और साथ ही गौतम बुद्धनगर के लिए वितरण लाइसेंस मांगा गया जो नोटिफिकेशन का उल्लंघन है, इसलिए अडानी ग्रुप की याचिका स्वीकार करने योग्य नहीं है. इसके बाद अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की मुश्किलें बढ गई हैं क्योंकि उनकी वित्तीय स्थिति का आकलन ही साबित करता है कि अडानी ग्रुप को वितरण का लाइसेंस नहीं दिया जाना चाहिए.
बता दें कि अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय सेन की तरफ से उठाए गए विधिक तथ्यों को भी कमीशन ने अपने आदेश में शामिल किया है. इसमें संजय सेन ने अडानी ट्रांसमिशन की याचिका को स्वीकार करने योग्य बताया है.