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मस्जिदों में सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर क्यों मचा घमासान! - use of sanitizer in islam

मस्जिदों में अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर के इस्तेमाल को लेकर बरेलवी और देवबंदी उलेमाओं में विवाद की स्थिति बन गई है. एक ओर जहां देवबंदी उलेमाओं का कहना है कि कोरोना के संकटकाल में मस्जिदों को साफ करने के लिए सैनिटाइजर का प्रयोग किया जा सकता है तो वहीं, बरेलवी उलेमाओं की इस बारे में राय बिल्कुल अलग है.

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मस्जिदों में सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर क्यों मचा बवाल
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Published : Jun 12, 2020, 8:58 PM IST

लखनऊ: यूपी के बरेली जिले में मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारूक़ी ने मस्जिदों में सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि मस्जिदों पर अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का छिड़काव सही नहीं है. उन्होंने बताया कि कुरान शरीफ में अल्कोहल के इस्तेमाल को हराम बताया गया है. वहीं, फतवों की नगरी एवं विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर फतवा जारी किया है. फतवा विभाग की खंडपीठ ने देश के मौजूदा हालात और कोरोना वायरस से बचाव के लिए सैनिटाइजर के प्रयोग को सही करार दिया है.

मस्जिदों में सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर मचा बवाल.

शासन की तरफ से जो गाइडलाइन जारी की गई है, उसके मुताबिक अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर से मस्जिदों पर छिड़काव के लिए निर्देश दिए गए. इस बात को लेकर सुन्नी मरकजी दारूल इफ्ता दरगाह आला हज़रत के मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारूक़ी ने सरकारी आदेश की पुरजोर मजम्मत की है. मुफ्ती ने कहा कि इस्लाम में अल्कोहल हराम है. उन्होंने कहा कि अल्लाह के घर को अल्कोहल वाले सैनिटाइजर से नापाक नहीं होने देंगे.

वहीं, दारूल उलूम द्वारा जारी फतवे में बताया गया है कि देश में इस समय कोरोना महामारी फैली हुई है और ऐसे में मस्जिदों के अंदर अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का छिड़काव करना गलत नहीं है. दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी ने बताया कि दारुल उलूम ने माहमारी के हालात में फतवा जारी किया है. इस वक्त देश में कोरोना वायरस ने महामारी बनकर अपना कहर बरपा रखा है. सरकार ने ढाई महीने बाद सशर्त मस्जिदों को खोलने के निर्देश दिए हैं. नमाजियों के पहुंचने से पहले न सिर्फ पूरी मस्जिद को सैनिटाइज किया जा रहा है, बल्कि नमाजियों के हाथों पर सैनिटाइजर भी लगाया जा रहा है.

दरअसल बरेली से जारी फतवे में सैनिटाइज के प्रयोग को नाजायज करार दिया गया था, जबकि दारुल उलूम ने हालात और मजबूरी के मद्देनजर सैनिटाइजर के प्रयोग को सही ठहराया है. दारुल उलूम द्वारा जारी फतवे में यह भी कहा गया कि कपड़ों या बदन पर सैनिटाइजर के छींटे पड़ जाने से कपड़े या बदन नापाक नहीं होते हैं.

लखनऊ: यूपी के बरेली जिले में मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारूक़ी ने मस्जिदों में सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि मस्जिदों पर अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का छिड़काव सही नहीं है. उन्होंने बताया कि कुरान शरीफ में अल्कोहल के इस्तेमाल को हराम बताया गया है. वहीं, फतवों की नगरी एवं विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर फतवा जारी किया है. फतवा विभाग की खंडपीठ ने देश के मौजूदा हालात और कोरोना वायरस से बचाव के लिए सैनिटाइजर के प्रयोग को सही करार दिया है.

मस्जिदों में सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर मचा बवाल.

शासन की तरफ से जो गाइडलाइन जारी की गई है, उसके मुताबिक अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर से मस्जिदों पर छिड़काव के लिए निर्देश दिए गए. इस बात को लेकर सुन्नी मरकजी दारूल इफ्ता दरगाह आला हज़रत के मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारूक़ी ने सरकारी आदेश की पुरजोर मजम्मत की है. मुफ्ती ने कहा कि इस्लाम में अल्कोहल हराम है. उन्होंने कहा कि अल्लाह के घर को अल्कोहल वाले सैनिटाइजर से नापाक नहीं होने देंगे.

वहीं, दारूल उलूम द्वारा जारी फतवे में बताया गया है कि देश में इस समय कोरोना महामारी फैली हुई है और ऐसे में मस्जिदों के अंदर अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का छिड़काव करना गलत नहीं है. दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी ने बताया कि दारुल उलूम ने माहमारी के हालात में फतवा जारी किया है. इस वक्त देश में कोरोना वायरस ने महामारी बनकर अपना कहर बरपा रखा है. सरकार ने ढाई महीने बाद सशर्त मस्जिदों को खोलने के निर्देश दिए हैं. नमाजियों के पहुंचने से पहले न सिर्फ पूरी मस्जिद को सैनिटाइज किया जा रहा है, बल्कि नमाजियों के हाथों पर सैनिटाइजर भी लगाया जा रहा है.

दरअसल बरेली से जारी फतवे में सैनिटाइज के प्रयोग को नाजायज करार दिया गया था, जबकि दारुल उलूम ने हालात और मजबूरी के मद्देनजर सैनिटाइजर के प्रयोग को सही ठहराया है. दारुल उलूम द्वारा जारी फतवे में यह भी कहा गया कि कपड़ों या बदन पर सैनिटाइजर के छींटे पड़ जाने से कपड़े या बदन नापाक नहीं होते हैं.

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