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ओटीएस के तहत करोड़ों के बिजली बकाए की छूट पर उठ रहे गंभीर सवाल, क्या होगी CBI जांच !

उत्तर प्रदेश पाॅवर काॅरपोरेशन की एकमुश्त समाधान योजना (One Time Settlement Scheme) के तहत बिजली चोरों को भी छूट दिए जाने के प्रावधान पर सवाल उठ रहे हैं. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मामले को लेकर सीबीआई जांच की मांग की है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 15, 2023, 1:32 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पाॅवर काॅरपोरेशन ने पहली बार एकमुश्त समाधान योजना में बिजली चोरों को भी छूट लेने का मौका दिया है, लेकिन अब बिजली विभाग के इस कदम पर सवाल खड़े होने लगे हैं. आरोप लग रहे हैं कि बड़े स्तर की बिजली चोरी करने वाले अमीरों को गरीबों के नाम पर लाभ पहुंचने के लिए ऐसा किया गया है. बड़े-बड़े उद्योगों में बड़े स्तर की बिजली चोरी पकड़ी जा चुकी है. ऐसे में ओटीएस का लाभ उन्हें देने के लिए छोटे-छोटे उपभोक्ताओं को जरिया बनाया गया है. बिजली चोरों को एकमुश्त समाधान योजना में छूट दिए जाने पर इसे कानून का खुला उल्लंघन मानते हुए अब सीबीआई जांच की मांग उठने लगी है.

ओटीएस को लेकर विद्युत नियामक आयोग में शिकायत.
ओटीएस को लेकर विद्युत नियामक आयोग में शिकायत.

उत्तर प्रदेश में बिजली चोरों को छूट दिए जाने का मामला काफी उलझता जा रहा है. पाॅवर कॉरपोरेशन की तरफ से एकमुश्त समाधान योजना के लिए जारी आदेश में बिजली चोरों को 65 प्रतिशत तक छूट दिए जाने के आदेश में एक नया मोड़ आ गया है. उपभोक्ता परिषद ने पाॅवर काॅरपोरेशन प्रबंधन से इस मामले पर बात की है. पाॅवर कॉरपोरेशन व मध्यांचल प्रबंधन ने कहा कि बिजली चोरी में छूट सभी कैटेगरी के उपभोक्ताओं के लिए है. चाहे एक किलोवाट का उपभोक्ता हो या 10 हजार किलोवाट का उपभोक्ता. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पाॅवर कॉरपोरेशन एक करोड़ से लेकर चार करोड़ तक के विद्युत उपभोक्ताओं को भी बिजली चोरी में छूट दे रहा है जो अपने आप में ऊर्जा क्षेत्र के लिए काला अध्याय साबित होगा. गरीब विद्युत उपभोक्ता के नाम पर अमीरों को लाभ देना अपने आप में सीबीआई जांच का मामला है. पूरे उत्तर प्रदेश में पांच किलो वाट के ऊपर जो विद्युत उपभोक्ता बिजली चोरी कर रहे थे उनकी कुल संख्या लगभग 53,011 है. उन पर कुल राजस्व निर्धारण लगभग 1,250 करोड का हुआ है, जो सभी छूट के लेने के लिए लगे हैं. अब तक कुल उपभोक्ता जिन्होंने बिजली चोरी की है उनका राजस्व निर्धारण लगभग 5,252 करोड है, जो अपने आप में चौंकाने वाला है.






उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आज दो बिजली चोरी में संलिप्त उपभोक्ताओं का उदाहरण देते हुए पाॅवर काॅरपोरेशन प्रबंधन से सवाल किया कि प्रबंधन को पता ही होगा कि विद्युत वितरण खंड संडीला में एक उपभोक्ता के परिसर पर 18 अक्टूबर को बिजली चोरी पकड़ी गई और उपभोक्ता ने स्वीकार भी किया. उपभोक्ता के खिलाफ बिजली चोरी में तीन करोड़ 87 लाख 67 हजार 455 रुपये का कुल राजस्व निर्धारण किया गया है. क्या उसको भी छूट दी जाएगी? दूसरा मामला मार्च 2023 में नोएडा में एक विद्युत उपभोक्ता उपभोक्ता के खिलाफ एक करोड़ चार लाख रुपये का कुल राजस्व निर्धारण किया जाएगा. क्या इनको भी छूट दी जाएगी? इसी तरह पूरे प्रदेश में सभी विद्युत उपभोक्ताओं की सूची बनाई जाए तो बिजली चोरी में करोड़ों रुपये का राजस्व निर्धारण जिन पर हुआ है वह सभी बिजली दफ्तरों में छूट लेने के लिए चक्कर काट रहे हैं. वह काटे भी क्यों नहीं, क्योंकि पाॅवर काॅरपोरेशन ने विद्युत अधिनियम 2003 के खिलाफ जाकर बिजली चोरी में छोड़ दिए जाने का जो आदेश कर रखा है.

यह भी पढ़ें : सरचार्ज में 100 प्रतिशत तक छूट, बिजली चोरी FIR होगी रद्द: घरेलू उपभोक्ताओं-किसानों को बड़ी राहत, जानिए कैसे ले सकते हैं ओटीएस का लाभ?

यूपी में पहली बार बिजली चोरी के मामलों में राहत, छह लाख उपभोक्ताओं को सामने दाग मिटाने का मौका

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पाॅवर काॅरपोरेशन ने पहली बार एकमुश्त समाधान योजना में बिजली चोरों को भी छूट लेने का मौका दिया है, लेकिन अब बिजली विभाग के इस कदम पर सवाल खड़े होने लगे हैं. आरोप लग रहे हैं कि बड़े स्तर की बिजली चोरी करने वाले अमीरों को गरीबों के नाम पर लाभ पहुंचने के लिए ऐसा किया गया है. बड़े-बड़े उद्योगों में बड़े स्तर की बिजली चोरी पकड़ी जा चुकी है. ऐसे में ओटीएस का लाभ उन्हें देने के लिए छोटे-छोटे उपभोक्ताओं को जरिया बनाया गया है. बिजली चोरों को एकमुश्त समाधान योजना में छूट दिए जाने पर इसे कानून का खुला उल्लंघन मानते हुए अब सीबीआई जांच की मांग उठने लगी है.

ओटीएस को लेकर विद्युत नियामक आयोग में शिकायत.
ओटीएस को लेकर विद्युत नियामक आयोग में शिकायत.

उत्तर प्रदेश में बिजली चोरों को छूट दिए जाने का मामला काफी उलझता जा रहा है. पाॅवर कॉरपोरेशन की तरफ से एकमुश्त समाधान योजना के लिए जारी आदेश में बिजली चोरों को 65 प्रतिशत तक छूट दिए जाने के आदेश में एक नया मोड़ आ गया है. उपभोक्ता परिषद ने पाॅवर काॅरपोरेशन प्रबंधन से इस मामले पर बात की है. पाॅवर कॉरपोरेशन व मध्यांचल प्रबंधन ने कहा कि बिजली चोरी में छूट सभी कैटेगरी के उपभोक्ताओं के लिए है. चाहे एक किलोवाट का उपभोक्ता हो या 10 हजार किलोवाट का उपभोक्ता. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पाॅवर कॉरपोरेशन एक करोड़ से लेकर चार करोड़ तक के विद्युत उपभोक्ताओं को भी बिजली चोरी में छूट दे रहा है जो अपने आप में ऊर्जा क्षेत्र के लिए काला अध्याय साबित होगा. गरीब विद्युत उपभोक्ता के नाम पर अमीरों को लाभ देना अपने आप में सीबीआई जांच का मामला है. पूरे उत्तर प्रदेश में पांच किलो वाट के ऊपर जो विद्युत उपभोक्ता बिजली चोरी कर रहे थे उनकी कुल संख्या लगभग 53,011 है. उन पर कुल राजस्व निर्धारण लगभग 1,250 करोड का हुआ है, जो सभी छूट के लेने के लिए लगे हैं. अब तक कुल उपभोक्ता जिन्होंने बिजली चोरी की है उनका राजस्व निर्धारण लगभग 5,252 करोड है, जो अपने आप में चौंकाने वाला है.






उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आज दो बिजली चोरी में संलिप्त उपभोक्ताओं का उदाहरण देते हुए पाॅवर काॅरपोरेशन प्रबंधन से सवाल किया कि प्रबंधन को पता ही होगा कि विद्युत वितरण खंड संडीला में एक उपभोक्ता के परिसर पर 18 अक्टूबर को बिजली चोरी पकड़ी गई और उपभोक्ता ने स्वीकार भी किया. उपभोक्ता के खिलाफ बिजली चोरी में तीन करोड़ 87 लाख 67 हजार 455 रुपये का कुल राजस्व निर्धारण किया गया है. क्या उसको भी छूट दी जाएगी? दूसरा मामला मार्च 2023 में नोएडा में एक विद्युत उपभोक्ता उपभोक्ता के खिलाफ एक करोड़ चार लाख रुपये का कुल राजस्व निर्धारण किया जाएगा. क्या इनको भी छूट दी जाएगी? इसी तरह पूरे प्रदेश में सभी विद्युत उपभोक्ताओं की सूची बनाई जाए तो बिजली चोरी में करोड़ों रुपये का राजस्व निर्धारण जिन पर हुआ है वह सभी बिजली दफ्तरों में छूट लेने के लिए चक्कर काट रहे हैं. वह काटे भी क्यों नहीं, क्योंकि पाॅवर काॅरपोरेशन ने विद्युत अधिनियम 2003 के खिलाफ जाकर बिजली चोरी में छोड़ दिए जाने का जो आदेश कर रखा है.

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