लखनऊ : यूपीपीसीएल के कर्मचारियों के जीपीएफ और पीएफ के धन को डीएचएफएल में निवेश कर करोड़ों का घोटाला करने के मामले में आरोपी डीएचएफएल के निदेशक धीरज वधावन व सीएमडी कपिल वधावन जमानत अर्जियों को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अपराध गम्भीर प्रकृति का है व इस मामले के दूसरे अभियुक्तों की जमानत अर्जियां भी खारिज की जा चुकी हैं. लिहाजा वर्तमान अभियुक्तों को भी जमानत पर रिहाई नहीं दी जा सकती.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यूपीपीसीएल के 42 हजार कर्मचारियों के जीपीएफ और सीपीएफ के जमा धनराशि में से 2267 करोड़ रुपये अभियुक्तों ने अब तक वापस नहीं किया है. वहीं अभियुक्तों की कम्पनी दिवालिया भी चुकी है. कोर्ट ने आगे कहा कि अभियुक्तों का आपराधिक इतिहास है और वे इतने प्रभावशाली भी हैं कि गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. वहीं अभियुक्तों कपिल और धीरज वधावन की ओर से दलील दी गई थी कि यह मामला 2 नवम्बर 2019 को हजरतगंज थाने में सुधांशु द्विवेदी और प्रवीण कुमार गुप्ता के खिलाफ दर्ज किया गया था. बाद में मामला ईओडब्ल्यू को सौप दिया गया. कहा गया ईओडब्ल्यू ने मामले में चार्जशीट लगाई, लेकिन उसमें वर्तमान अभियुक्तों को आरोपी नहीं बनाया गया.
कहा गया कि 20 फरवरी 2020 को मामले की विवेचना सीबीआई को दी गई. सीबीआई ने भी मामले में पूरक चार्जशीट दायर की, लेकिन उसमें भी उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया. आगे कहा गया कि सीबीआई ने आरोपियों को इस मामले में प्रोडक्शन वारंट के जरिये तलब कर के 26 मई 2022 को मामले में निरुद्ध किया गया. पत्रावली के अनुसार इस मामले की शुरुआती जांच में पता चला था कि यूपीपीसीएल कर्मचारियों के भविष्य निधि का कुल 2631. 20 करोड़ की राशि का दुरुपयोग किया गया है. वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के बावजूद यूपीपीसीएल कर्मियों के भविष्य निधि के धन को डीएचएफएल में निवेश करके करोड़ों का कमीशन प्राप्त किया गया.
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