लखनऊः उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल एवं फिक्की के संयुक्त तत्वाधान में बजट पर चर्चा की गई. इसमें राजधानी लखनऊ के व्यापारियों, उद्योगपतियों, चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं महिला व्यापारियों ने होटल इंडिया अवध में बजट चर्चा कार्यक्रम के दौरान बजट का आकलन किया. साथ ही समीक्षा करते हुए कहा उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा कि बजट व्यापारियों की आशा को निराशा में बदलता हुआ दिखाई दिया. बजट से व्यापारियों को बड़ा उम्मीद थी, लेकिन वित्त मंत्री ने देश के व्यापारियों को अपने बजट में कुछ भी नहीं दिया.
e-commerce नीति की नहीं हुई घोषणा
उन्होंने कहा कि व्यापारियों को विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के चंगुल से छुटकारा पाने के लिए e-commerce नीति की घोषणा की उम्मीद थी. वित्त मंत्री ने इसकी कोई घोषणा नहीं की और आयकर के स्लैब में भी किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं किया. न ही व्यापारियों के लिए किसी प्रकार के ऋण की व्यवस्था की. न ही जीएसटी में कोई व्यापक फेरबदल या सुधार किया. इससे व्यापारियों को निराशा हुई.
ये रहे मौजूद
बजट चर्चा कार्यक्रम में संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष अविनाश त्रिपाठी, संगठन के प्रदेश कोषाध्यक्ष मोहम्मद अफजल, युवा इकाई अध्यक्ष आशीष गुप्ता, महिला इकाई अध्यक्ष अनिला अग्रवाल, ट्रांस गोमती के अध्यक्ष अनिरुद्ध निगम, लखनऊ के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह, लखनऊ के उपाध्यक्ष मोहित कपूर, संजय गुप्ता, गोपाल जालान, मनीष जैन, लखनऊ के महामंत्री विजय कनौजिया, अशोक भाटिया, रोहित जयासवाल आदि मौजूद रहे.
मांगों की हुई अनदेखी
लखनऊ व्यापार मंडल के वरिष्ठ महामंत्री अमरनाथ मिश्रा ने कहा कि बजट में कई बातें स्वागत के योग्य है. साथ ही यह भी कहा कि सरकार की तरफ से व्यापारियों के हित में कोई भी बड़ी घोषणा नहीं की गई है. GST पर बहुत सी चीजें थीं. जैसे रेट ऑफ टैक्स को कम करना है, एक ट्रेड में एक टैक्स की रेट होना, नौकरशाही और इंस्पेक्टर राज को ख़त्म करना है. सहित सभी मांगो की अनदेखी की गई है.
GST में मूलभूत सुधार की थी मांग
व्यापार मंडल के महामंत्री अमरनाथ मिश्रा ने बताया कि बैंकिंग ट्रांजेक्शन शुल्क को खत्म करने की मांग की गई थी. इनकम टैक्स टैक्सेबल लिमिट बढ़ाने की मांग और GST में मूलभूत सुधार करने की मांग व्यापारियों ने की थी. जैसा की अपेक्षित था कि प्रधानमंत्री के बयान से कि पिछले साल में तीन चार बार छोटे-छोटे बजट बनाने पढ़े. उसी के अनुसार इस बजट में वित्त मंत्री ने आंकड़ों का एक समूह प्रस्तुत किया है. इसमें व्यापार को कोई सहूलियत नहीं मिली है. 95 प्रतिशत डिजिटल पेमेंट करने वाले को 10 करोड़ तक की इनकम टैक्स में आडिट की छूट दी है. परंतु जब बैंकिंग चार्जर्स इतने अधिक हैं तो डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा कैसे मिलेगा. जांच के दायरे को छह साल से घटाकर तीन साल करना स्वागत योग्य है.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने जताई नराजगी
देश के आम बजट 2021-22 को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने नाराजगी जाहिर की है. राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष इंजीनियर हरिकिशोर तिवारी ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि कर्मचारियों के लिए यह बजट काफी निराशा पूर्ण हैं. इस बजट में सीज किए गए भत्तों की चर्चा की गई, न ही केसलैस इलाज और न ही पुरानी पेंशन व्यवस्था का कोई प्राविधान किया गया.
कर्मचारियों ने कहा निराशाजनक
इंजीनियर हरि किशोर तिवारी ने कहा कि जिस कर्मचारी समाज ने कोरोना जैसे आपातकाल में सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर काम किया. जो सरकार के निर्णय पर अमल के लिए और विकास कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा हो. उसके समाज के लिए बजट में निराशा हाथ लगी है. उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह से कॉरपोरेट घरानों के मार्ग दर्शन में बना कर्मचारी विरोधी और निराशाजनक बजट है.