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शत्रु संपत्तियों के मामले में देश में यूपी अव्वल, किराए पर चल रहीं सैकड़ों शत्रु संपत्तियां

लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में अगर शत्रु संपत्तियों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा संख्या सीतापुर में है. कहा जाता है कि सीतापुर में सबसे अधिक 850 शत्रु संपत्तियां हैं. वहीं, अब शत्रु संपत्तियों का सर्वे किया जा रहा है. जिन लोगों ने ऐसी संपत्तियों पर कब्जा किया है. उनसे वापस लिया जाएगा और नीलाम किया जाएगा.

शत्रु संपत्तियां
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Published : Mar 25, 2023, 6:16 PM IST

Updated : Mar 26, 2023, 3:30 PM IST

लखनऊ: शत्रु संपत्ति शब्द सुनकर ही लोगों में ये उत्सुकता बढ़ जाती है कि आखिर यह किस तरह की संपत्ति होती है. उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में कहां कहां शत्रु संपत्ति है. पहले तो शत्रु संपत्ति क्या होती है इसके बारे में जान लीजिए. दरअसल, यह ऐसी प्रॉपर्टी होती है जो देश के विभाजन या फिर भारत चीन या भारत पाकिस्तान की जंग के दौरान लोगों ने भारत में ही छोड़ दी. वह स्थाई तौर पर पाकिस्तान चीन या फिर अन्य किसी देश में जाकर बस गए. उन्होंने वहां की नागरिकता ले ली. उनकी जो संपत्ति भारत के विभिन्न राज्यों में है. उसे ही शत्रु संपत्ति कहा जाता है. पूरे देश में शत्रु संपत्ति की कीमत कई लाख करोड़ है. लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में ऐसी तमाम शत्रु संपत्तियां हैं, जिन पर लोगों ने कब्जा भी कर रखा है. अब ऐसी संपत्तियों का सर्वे किया जा रहा है. जिन लोगों ने ऐसी संपत्तियों पर कब्जा किया है. उनसे वापस लिया जाएगा और नीलाम किया जाएगा.

साल 1947 में भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ. उस समय तमाम लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए. इसके अलावा साल 1962 में भारत चीन युद्ध, 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान वार के समय भी देश में रह रहे कई लोग चीन और पाकिस्तान की तरफ निकल गए. केंद्र सरकार इसी तरह के व्यक्तियों को शत्रु का दर्जा देती है. इन लोगों की छोड़ी गई प्रॉपर्टी को ही शत्रु संपत्ति के नाम से जाना जाता है.

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आंकड़ों पर एक नजर

इंडियन डिफेंस एक्ट 1962 के तहत भारत सरकार ने नियम बनाया. जिसमें पाकिस्तान की नागरिकता लेने वालों की संपत्तियों और कंपनियों को अपने कब्जे में ले लिया. इसी तरह की चीन गए लोगों की संपत्ति के साथ भी भारत सरकार ने किया है. कई राज्य में फैली शत्रु संपत्तियों पर केंद्र सरकार कस्टोडियन के माध्यम से कब्जा करती है. अचल संपत्तियों के साथ ही कुछ चल संपत्तियों को भी शत्रु संपत्ति की श्रेणी में शामिल किया गया है. भारत सरकार ने कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग का गठन किया. यही विभाग संपत्तियों को अधिग्रहित करता है. इसके तहत घर जमीन कंपनियों के शेयर, गहने और दूसरी तरह की संपत्ति को भी भारत सरकार को लेने का अधिकार है.

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आंकड़ों पर एक नजर

जो लोग भारत चीन युद्ध के समय चीन चले गए उनकी उत्तर प्रदेश में एक भी शत्रु संपत्ति नहीं है. देश में लगभग ऐसी 127 शत्रु संपत्ति है. जिनमें बंगाल में चीन के लोगों की शत्रु संपत्ति दर्ज की गई हैं. 1947 के बाद अब तक जो लोग पाकिस्तान गए. उनकी शत्रु संपत्तियां उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न राज्यों में है. लखनऊ में पाकिस्तान जाने वालों की कुल 115 शत्रु संपत्तियां किराए पर हैं.

शत्रु संपत्ति सर्वेयर वैभव अवस्थी का कहना है कि जो भी शत्रु संपत्ति है. उसकी नीलामी की जाएगी. उत्तर प्रदेश में एक करोड़ से अधिक की संपत्तियों की ई पोर्टल से नीलामी होगी. एक करोड़ से कम की प्रॉपर्टी जो भी खरीदना चाहे वह खरीद सकता है. शत्रु संपत्ति के सर्वेयर वैभव अवस्थी का कहना है कि सभी शत्रु संपत्तियों का सर्वे का काम तेजी से कराया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में जो भी शत्रु संपत्ति है वह सभी पाकिस्तान जाने वाले लोगों की है. चीन की कोई भी शत्रु संपत्ति उत्तर प्रदेश में नहीं है.


यह भी पढ़ें- आगरा में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, आरोपी विदेशी नागरिकों से कर रहे थे ऑनलाइन ठगी

लखनऊ: शत्रु संपत्ति शब्द सुनकर ही लोगों में ये उत्सुकता बढ़ जाती है कि आखिर यह किस तरह की संपत्ति होती है. उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में कहां कहां शत्रु संपत्ति है. पहले तो शत्रु संपत्ति क्या होती है इसके बारे में जान लीजिए. दरअसल, यह ऐसी प्रॉपर्टी होती है जो देश के विभाजन या फिर भारत चीन या भारत पाकिस्तान की जंग के दौरान लोगों ने भारत में ही छोड़ दी. वह स्थाई तौर पर पाकिस्तान चीन या फिर अन्य किसी देश में जाकर बस गए. उन्होंने वहां की नागरिकता ले ली. उनकी जो संपत्ति भारत के विभिन्न राज्यों में है. उसे ही शत्रु संपत्ति कहा जाता है. पूरे देश में शत्रु संपत्ति की कीमत कई लाख करोड़ है. लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में ऐसी तमाम शत्रु संपत्तियां हैं, जिन पर लोगों ने कब्जा भी कर रखा है. अब ऐसी संपत्तियों का सर्वे किया जा रहा है. जिन लोगों ने ऐसी संपत्तियों पर कब्जा किया है. उनसे वापस लिया जाएगा और नीलाम किया जाएगा.

साल 1947 में भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ. उस समय तमाम लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए. इसके अलावा साल 1962 में भारत चीन युद्ध, 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान वार के समय भी देश में रह रहे कई लोग चीन और पाकिस्तान की तरफ निकल गए. केंद्र सरकार इसी तरह के व्यक्तियों को शत्रु का दर्जा देती है. इन लोगों की छोड़ी गई प्रॉपर्टी को ही शत्रु संपत्ति के नाम से जाना जाता है.

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आंकड़ों पर एक नजर

इंडियन डिफेंस एक्ट 1962 के तहत भारत सरकार ने नियम बनाया. जिसमें पाकिस्तान की नागरिकता लेने वालों की संपत्तियों और कंपनियों को अपने कब्जे में ले लिया. इसी तरह की चीन गए लोगों की संपत्ति के साथ भी भारत सरकार ने किया है. कई राज्य में फैली शत्रु संपत्तियों पर केंद्र सरकार कस्टोडियन के माध्यम से कब्जा करती है. अचल संपत्तियों के साथ ही कुछ चल संपत्तियों को भी शत्रु संपत्ति की श्रेणी में शामिल किया गया है. भारत सरकार ने कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग का गठन किया. यही विभाग संपत्तियों को अधिग्रहित करता है. इसके तहत घर जमीन कंपनियों के शेयर, गहने और दूसरी तरह की संपत्ति को भी भारत सरकार को लेने का अधिकार है.

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जो लोग भारत चीन युद्ध के समय चीन चले गए उनकी उत्तर प्रदेश में एक भी शत्रु संपत्ति नहीं है. देश में लगभग ऐसी 127 शत्रु संपत्ति है. जिनमें बंगाल में चीन के लोगों की शत्रु संपत्ति दर्ज की गई हैं. 1947 के बाद अब तक जो लोग पाकिस्तान गए. उनकी शत्रु संपत्तियां उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न राज्यों में है. लखनऊ में पाकिस्तान जाने वालों की कुल 115 शत्रु संपत्तियां किराए पर हैं.

शत्रु संपत्ति सर्वेयर वैभव अवस्थी का कहना है कि जो भी शत्रु संपत्ति है. उसकी नीलामी की जाएगी. उत्तर प्रदेश में एक करोड़ से अधिक की संपत्तियों की ई पोर्टल से नीलामी होगी. एक करोड़ से कम की प्रॉपर्टी जो भी खरीदना चाहे वह खरीद सकता है. शत्रु संपत्ति के सर्वेयर वैभव अवस्थी का कहना है कि सभी शत्रु संपत्तियों का सर्वे का काम तेजी से कराया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में जो भी शत्रु संपत्ति है वह सभी पाकिस्तान जाने वाले लोगों की है. चीन की कोई भी शत्रु संपत्ति उत्तर प्रदेश में नहीं है.


यह भी पढ़ें- आगरा में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, आरोपी विदेशी नागरिकों से कर रहे थे ऑनलाइन ठगी

Last Updated : Mar 26, 2023, 3:30 PM IST
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