लखनऊ: उत्तर प्रदेश गन्ना पर्यवेक्षक संघ के बैनर तले प्रदेश से आए सैकड़ों पर्यवेक्षकों ने बुधवार को लखनऊ में गन्ना आयुक्त कार्यालय के बाहर घेरा डाल दिया. प्रदर्शनकारियों ने अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर एक पत्र गन्ना आयुक्त को सौंपा है. संघ के नेताओं की गणना गन्ना आयुक्त से समझौता वार्ता भी हो रही है.
पर्यवेक्षकों का आरोप-
प्रदेश के गन्ना पर्यवेक्षक सरकारी नीतियों को लेकर आक्रोशित हैं. पर्यवेक्षकों का आरोप है कि गन्ना विभाग में उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. विभाग के क्लर्क भी उनसे अच्छी जिंदगी जी रहे हैं, जबकि उनके लिए नियम का ऐसा जाल बिछाया गया है कि फील्ड में काम करना मुश्किल हो रहा है.
आंदोलित पर्यवेक्षकों ने बताया कि उनसे ऐसे काम भी कराए जा रहे हैं, जिनका पर्यवेक्षकों से सीधा रिश्ता नहीं है. किसान की खतौनी सत्यापन का कार्य भी उन से कराया जा रहा है, जबकि यह काम राजस्व विभाग का है. गन्ना पर्यवेक्षकों के लिए गृह जिले में तैनाती पर रोक लगा दी गई है. संघ की ओर से 12 सूत्री मांग पत्र गन्ना आयुक्त को सौंपा गया है. संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार राय और महामंत्री सुशील कुमार यादव के साथ गन्ना आयुक्त की समझौता वार्ता भी बुधवार दोपहर बाद शुरू हुई है. आंदोलित कर्मचारियों ने बताया कि अगर उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्ण विचार नहीं किया गया तो प्रदेश स्तरीय आंदोलन को और तेज किया जाएगा.
गन्ना पर्यवेक्षक संघ की मांग-
गन्ना पर्यवेक्षक अपने गृह जनपद में तैनात नहीं होंगे, इसे सेवा नियमावली से हटाया जाए.
गन्ना विकास निरीक्षक के पदों की चल रही पुनर्गठन प्रक्रिया पूर्ण कर पदोन्नत के अवसर सृजित किए जाएं.
गन्ना पर्यवेक्षकों की वेतन विसंगति दूर की जाए.
गन्ना पर्यवेक्षकों को वाहन भत्ता बहाल कर लाभ दिलाया जाए.
गन्ना पर्यवेक्षकों के पिछले साल हुए तबादलों का यात्रा भत्ता उन्हें दिलाया जाए.
खतौनी सत्यापन और हिस्सा निर्धारण प्रक्रिया से गन्ना पर्यवेक्षक को मुक्त किया जाए.
दवाओं का वितरण, रजिस्टर फर्म समिति से स्वतंत्र रूप से डीबीटी योजना के द्वारा कराया जाए.
गन्ना पर्यवेक्षक पद को तकनीकी घोषित किया जाए.
स्थानांतरित गन्ना पर्यवेक्षक में विकलांग, असहाय पति-पत्नी को सरकारी नौकरी के प्रत्यावेदन पर सहन भूतपूर्व विचार कर तैनाती दी जाए.
गन्ना पर्यवेक्षक तृतीय श्रेणी का कर्मचारी है, उसके स्थानांतरण की स्थिति में उसे तीन तीन विकल्प लेकर स्थानांतरित किया जाए.
जिन गन्ना पर्यवेक्षकों की सेवा 26 साल की हो गई है उन्हें तृतीय एसीपी स्वीकृत किया जाए.
42 दिनों का उपार्जित अवकाश जिला गन्ना अधिकारी द्वारा स्वीकृत करने की व्यवस्था लागू की जाए.