लखनऊ: यूपी के सनसनीखेज अवैध धर्मांतरण के मामले में कोर्ट ने अभियुक्त उमर गौतम और जहांगीर को सात दिनों की रिमांड पर एटीएस को सौंप दिया है. यह आदेश प्रभारी सीजेएम सागर सिंह ने एटीएस के विवेचना अधिकारी के प्रार्थना पत्र पर दिया. उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद जांच में कई नए खुलासे हुए हैं. एटीएस को शक है कि धर्मांतरण कराने वाले इस रैकेट को विदेशों से भी अनुदान मिलता था.
अन्य संगठनों के भी शामिल होने का शक
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अभियुक्तों के रिमांड की यह अवधि बुधवार को सुबह 11:00 बजे से शुरू होकर 30 जून की सुबह तक होगी. विवेचना अधिकारी की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि मामले में न सिर्फ अन्य अपराधियों के शामिल होने बल्कि अन्य संगठनों के भी शामिल होने का शक है. लिहाजा आरोपियों से पूछताछ आवश्यक है.
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चौंकाने वाले खुलासे
यूपी पुलिस को धर्म परिवर्तन कराने वाले गिरोह के बारे में सूचनाएं मिल रहीं थी. उन्ही सूचनाओं के आधार पर यूपी एटीएस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में पता चला कि दोनों आरोपी मूक-बधिर बच्चों और महिलाओं का धर्म परिवर्तन कराते थे. जैसे-जैसे मामले की जांच आगे बढ़ रही है, कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं.
एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि इस रैकेट के लोगों को लालच और डरा-धमकाकर भी धर्मांतरण कराते थे. पकड़े गए दोनों आरोपी मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी दिल्ली के रहने वाले हैं. इनके ऊपर सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश में धर्मांतरण कराने का आरोप है. इस मामले में एटीएस ने लखनऊ के गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है.