लखनऊ : उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग में लगातार बाबूओं का निलंबन हो रहा है. खासतौर पर कानपुर क्षेत्र में जहां पांच बाबुओं को निलंबित किया है. एक महिला लिपिक ने अफसर के कमरे में आत्महत्या की कोशिश की. इसके बावजूद महिला के खिलाफ एक्शन लेते हुए उसे निलंबित कर दिया गया. बहरहाल अभियंता और लिपिक संवर्ग आमने-सामने हैं. आंदोलन भले ही तीन दिन के बाद समाप्त हो गया है, मगर आक्रोश की आग अंदर अंदर सुलग रही है. वहीं इस मामले में लोक निर्माण विभाग के अफसरों ने चुप्पी साध रखी है. केवल कर्मचारियों के सिर पर ही ठीकरा फोड़ा जा रहा है. जिससे नाराजगी बढ़ती जा रही है.
कार्यालय अधीक्षण अभियंता कानपुर वृत्त की महिला कर्मचारी पर आरोप
आरोपित, वरिष्ठ सहायक प्रान्तीय खंड, कानपुर नगर द्वारा प्रान्तीय खंड, लोनिवि, कानपुर नगर में कार्यरत अधिशासी अभियंता, अवर अभियन्ताओं, कार्यालय के मिनिस्ट्रियल स्टाफ एवं ठेकेदारों से बदसलूकी की है. कार्यालय में प्रायः असंसदीय एवं अभद्र भाषा का उपयोग करती हैं. अधिशासी अभियंता पर असम्यक प्रभाव बनाने के उद्देश्य से कार्यालय कक्ष में मेज पर खड़ी होकर अपने दुपट्टा को छत में लगे पंखे में फंसाकर आत्महत्या का प्रयास किया. जिसके बाद में उन्होंने अधिशासी अभियंता पर आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने का आरोप लगाया. व्हाट्सएप पर दुष्प्रचार-प्रसार करके सरकारी कार्यों बाधा पहुंचाई. यह घोर अनुशासनहीनता, दुराचरण एवं तथा सरकारी कार्य में निष्ठापूर्वक रुचि न लेने का परिचायक है. जो उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के नियम-3 का उल्लंघन है.
इसके बाद में पांच अन्य बाबू भी अलग कारणों के चलते निलंबित कर दिए गए थे. जिसके बाद से कर्मचारियों ने आंदोलन छेड़ दिया गया है. कई दिनों तक हड़ताल हुई है. आगे भी आंदोलन की तैयारी है. उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री जेपी पांडेय ने बताया कि निश्चित तौर पर महिला कर्मचारी के उत्पीड़न का मामला विशाखा कमेटी में जांच के लिए जाना चाहिए था. अभियंता संवर्ग में कुछ अफसर खुद को राजा और हमको अपनी प्रजा मान रहे हैं. कर्मचारियों का लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है. इसके बावजूद सुनवाई नहीं की जा रही है.