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दो नेताओं का भविष्य जल्द तय करेगी भारतीय जनता पार्टी, परिवार चुनें या पार्टी

भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अपने कई मोहरों को फेंटने के मूड में है. जिनमें प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी और बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य के नामों को लेकर सियासी गलियारों में सुगबुगाहट है. इन दोनों नेताओं के विपक्ष से संपर्क को लेकर भाजपा में दो धड़े हो गए हैं. देखें विस्तृत खबर.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2023, 9:19 PM IST

राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय.

लखनऊ : प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी और बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य का भविष्य निकट भविष्य में भाजपा तय कर सकती है. रीता के पुत्र मयंक जोशी और संघमित्रा मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं. दोनों ही भारतीय जनता पार्टी के खिलाफत में लगे हुए हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव में इन दोनों को टिकट मिलेगा या नहीं मिलेगा पार्टी में का क्या भविष्य होगा निकट भविष्य में तय हो सकता है. जिसको लेकर भाजपा के भीतर दोनों नेताओं को लेकर निर्णायक चर्चा शुरू की जा चुकी हैं. एक धड़ा यह मान रहा है कि इन दोनों नेताओं के विपक्ष से संपर्क हैं, जबकि दूसरा धड़े का कहना है कि उनकी सेवाओं को देखते हुए दोनों के टिकट को बरकरार रखा जाना चाहिए. फिलहाल पार्टी नेतृत्व इस इस आकलन में लगा हुआ है कि दोनों का प्रदर्शन अपने-अपने क्षेत्र में कैसा है और इसके अतिरिक्त संगठन के कार्यों में योगदान किस तरह से दिया जा रहा है.

रीताबहुगुणा जोशी और मयंक जोशी.
रीताबहुगुणा जोशी और मयंक जोशी.



स्वामी प्रसाद मौर्य जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के मंत्री थे उसे समय उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बहराइच से भाजपा की संसद थी जो कि अब भी हैं स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधानसभा चुनाव 2022 से पहले समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था. वह अपना चुनाव जरूर हार गए थे. हाालांकि समाजवादी पार्टी ने उनको एमएलसी बना दिया. मौर्य लगातार सनातन विरोधी बयान देकर विवादों में घिरे हुए हैं. दूसरी और रीता बहुगुणा जोशी प्रयागराज से सांसद हैं और उनके बेटे मयंक जोशी को वह लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट दिलाना चाहती थी. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में जब कैंट विधानसभा से ब्रजेश पाठक को टिकट मिला तो मयंक जोशी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. इसके बाद से ही रीता बहुगुणा जोशी को लेकर भारतीय जनता पार्टी के भीतर सहज स्थितियां नहीं हैं.

स्वामी प्रसाद मौर्य व संघमित्रा मौर्य.
स्वामी प्रसाद मौर्य व संघमित्रा मौर्य.



भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं. बहराइच और प्रयागराज सीटों का आंकलन शुरू कर दिया गया है. इस क्षेत्र में किए गए कामों और संगठन के प्रति उनकी निष्ठा की जांच की जा रही है. संगठन के कार्यक्रमों में संसद के योगदान पर नजर डाली जा रही है. इसके अलावा स्थानीय नेताओं की फीडबैक के आधार पर भविष्य में किया जाएगा कि इन दोनों नेताओं को टिकट मिलेगा या नहीं मगर कहा या जा रहा है कि उनके रिश्तेदार का विपक्षी पार्टी में होना उतना बड़ा फैक्टर साबित नहीं होगा जितना इनका क्षेत्र में किया गया प्रदर्शन. ऐसे में एक बार फिर से संघमित्रा मौर्य और रीता बहुगुणा जोशी को पार्टी चुन सकती है. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय ने बताया कि निश्चित तौर पर यह विषय इतना बड़ा नहीं है. जितना बड़ा इन दोनों नेताओं का प्रदर्शन होगा. उन्होंने कहा कि भारतीय व्यवस्था में बाली होने के बाद बच्चे अपने हिसाब से अपना कॅरियर चुन सकते हैं उनको रोक नहीं जा सकता.

यह भी पढ़ें : जानें क्यों विमोचन से पहले ही विवादों में घिरी भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी की किताब...

प्रियंका गांधी पर रीता बहुगुणा जोशी का हमला, कहा- कांग्रेस में सेवा पर म‍िलता है स‍िर्फ अपमान और तिरस्कार

राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय.

लखनऊ : प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी और बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य का भविष्य निकट भविष्य में भाजपा तय कर सकती है. रीता के पुत्र मयंक जोशी और संघमित्रा मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं. दोनों ही भारतीय जनता पार्टी के खिलाफत में लगे हुए हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव में इन दोनों को टिकट मिलेगा या नहीं मिलेगा पार्टी में का क्या भविष्य होगा निकट भविष्य में तय हो सकता है. जिसको लेकर भाजपा के भीतर दोनों नेताओं को लेकर निर्णायक चर्चा शुरू की जा चुकी हैं. एक धड़ा यह मान रहा है कि इन दोनों नेताओं के विपक्ष से संपर्क हैं, जबकि दूसरा धड़े का कहना है कि उनकी सेवाओं को देखते हुए दोनों के टिकट को बरकरार रखा जाना चाहिए. फिलहाल पार्टी नेतृत्व इस इस आकलन में लगा हुआ है कि दोनों का प्रदर्शन अपने-अपने क्षेत्र में कैसा है और इसके अतिरिक्त संगठन के कार्यों में योगदान किस तरह से दिया जा रहा है.

रीताबहुगुणा जोशी और मयंक जोशी.
रीताबहुगुणा जोशी और मयंक जोशी.



स्वामी प्रसाद मौर्य जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के मंत्री थे उसे समय उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बहराइच से भाजपा की संसद थी जो कि अब भी हैं स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधानसभा चुनाव 2022 से पहले समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था. वह अपना चुनाव जरूर हार गए थे. हाालांकि समाजवादी पार्टी ने उनको एमएलसी बना दिया. मौर्य लगातार सनातन विरोधी बयान देकर विवादों में घिरे हुए हैं. दूसरी और रीता बहुगुणा जोशी प्रयागराज से सांसद हैं और उनके बेटे मयंक जोशी को वह लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट दिलाना चाहती थी. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में जब कैंट विधानसभा से ब्रजेश पाठक को टिकट मिला तो मयंक जोशी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. इसके बाद से ही रीता बहुगुणा जोशी को लेकर भारतीय जनता पार्टी के भीतर सहज स्थितियां नहीं हैं.

स्वामी प्रसाद मौर्य व संघमित्रा मौर्य.
स्वामी प्रसाद मौर्य व संघमित्रा मौर्य.



भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं. बहराइच और प्रयागराज सीटों का आंकलन शुरू कर दिया गया है. इस क्षेत्र में किए गए कामों और संगठन के प्रति उनकी निष्ठा की जांच की जा रही है. संगठन के कार्यक्रमों में संसद के योगदान पर नजर डाली जा रही है. इसके अलावा स्थानीय नेताओं की फीडबैक के आधार पर भविष्य में किया जाएगा कि इन दोनों नेताओं को टिकट मिलेगा या नहीं मगर कहा या जा रहा है कि उनके रिश्तेदार का विपक्षी पार्टी में होना उतना बड़ा फैक्टर साबित नहीं होगा जितना इनका क्षेत्र में किया गया प्रदर्शन. ऐसे में एक बार फिर से संघमित्रा मौर्य और रीता बहुगुणा जोशी को पार्टी चुन सकती है. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय ने बताया कि निश्चित तौर पर यह विषय इतना बड़ा नहीं है. जितना बड़ा इन दोनों नेताओं का प्रदर्शन होगा. उन्होंने कहा कि भारतीय व्यवस्था में बाली होने के बाद बच्चे अपने हिसाब से अपना कॅरियर चुन सकते हैं उनको रोक नहीं जा सकता.

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