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UP News : IGRS जिसके कारण पुलिस कप्तानों को पड़ती है सीएम योगी की फटकार

उत्तर प्रदेश में लागू की गई सीसीटीएनएस और आईजीआरएस व्यवस्था लापरवाह पुलिस अधिकारियों के मुसीबत का सबब बनी हुई है. इस व्यवस्था के तहत शिकायतों की माॅनिटरिंग व समीक्षा सीएम खुद करते हैं. आइए जानें क्या है IGRS सिस्टम जिसके चलते पुलिस कप्तानों को सीएम योगी की फटकार सुननी पड़ती है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 28, 2023, 12:28 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ बीते सोमवार को बल्कि हर बार जब जिलों के पुलिस कप्तानों के साथ समीक्षा बैठक की तो अधिकांश कप्तानों को फटकार लगाई. यह फटकार समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) और क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) को लेकर पड़ती है. सीसीटीएनएस और आईजीआरएस पर ध्यान न देना हर बार पुलिस कप्तानों पर भारी पड़ती है.

आईजीआरएस मामलों की समीक्षा करते सीएम योगी आदित्यनाथ. फाइल फोटो
आईजीआरएस मामलों की समीक्षा करते सीएम योगी आदित्यनाथ. फाइल फोटो





IGRS की शिकायतों के निस्तारण की कितनी होती है मियाद : IGRS पोर्टल पर दर्ज होने वाली हर शिकायत के निस्तारण करने की मियाद शासन ने तय कर रखी है. पुलिस विभाग के लिए यह मियाद 15 दिनों की होती है. इसमें वे शिकायतें होती हैं जो पीड़ित द्वारा IGRS पोर्टल में दर्ज की गई हो. थाना दिवस में आई शिकायत, डीआईजी या आईजी के जनसुनवाई में आई शिकायत. ये सभी शिकायतें IGRS पोर्टल में अपलोड को जाती हैं और फिर 15 दिनों में जांच कर निस्तारित की जाती हैं. यदि शिकायत के निस्तारण से प्रार्थी असंतुष्ट होता है तो उसे फिर से जांच करने के लिए सात दिन की मियाद होती है.

आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.
आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.


IGRS में दर्ज शिकायतों की ये अधिकारी करते हैं जांच

पुलिस विभाग से जुड़ी IGRS में दर्ज होने वाली शिकायतों के निस्तारण करने, फिर उसकी मॉनिटरिंग करने की अलग अलग अधिकारियों पर जिम्मेदारी है. थाना दिवस या समाधान दिवस में आने वाली पुलिस विभाग की शिकायतों का अनुमोदन डिप्टी एसपी रैंक का अधिकारी करता है. यदि फीडबैक लेने पर शिकायतकर्ता असंतुष्ट मिलता है तो पुलिस अधीक्षक या डीसीपी कार्रवाई करता है. शिकायत निस्तारण की औचक जांच एसपी, आईजी, एडीजी जोन, डीजीपी या फिर मुख्यमंत्री कार्यालय करता है.

आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.
आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.


शिकायत पुलिस अधिक्षक के पास आती है और उसे आईजीआरएस में दर्ज की जाती है तो उसका अनुमोदन पुलिस कप्तान या डीसीपी करता है. फीडबैक लेने पर शिकायतकर्ता असंतुष्ट मिलता है तो डीआईजी या संयुक्त पुलिस आयुक्त कार्रवाई करता है. शिकायत निस्तारण की औचक जांच आईजी, एडीजी जोन, पुलिस कमिश्नर, डीजीपी या फिर मुख्यमंत्री कार्यालय करता है. शिकायत यदि IGRS में आती है तो उसका अनुमोदन पुलिस अधीक्षक या डीसीपी करता है. शिकायत निस्तारण की औचक जांच आईजी, एडीजी जोन, पुलिस कमिश्नर, डीजीपी या फिर मुख्यमंत्री कार्यालय करता है.

आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.
आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.


मुख्यमंत्री कार्यालय ने शिकायतकर्ताओं से लिया था फीडबैक

बीते सोमवार तीन घंटे तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के सभी पुलिस कप्तानों और थानेदारों के साथ समीक्षा बैठक की. मुख्यमंत्री कार्यालय ने समीक्षा बैठक से पहले आईजीआरएस में दर्ज हुई शिकायतों के निस्तारण की रिपोर्ट बनाई और शिकायतकर्ताओं से फीडबैक लिया. इसमें कई जिलों के शिकायतकर्ता निस्तारण से असंतुष्ट दिखे बावजूद इसके जिले की पुलिस ने क्लोजर लगा दिया था. बैठक में इसी रिपोर्ट के आधार पर एक दर्जन जिलों के पुलिस कप्तानों को आईजीआरएस को गंभीरता से न लेने पर खूब फटकार लगाई गई. इतना ही नहीं जिन जिलों में या जिन थानों द्वारा आईजीआरएस की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए उसका निस्तारण किया गया उनकी मुख्यमंत्री ने तारीफ भी की. खराब प्रदर्शन करने वालों में राजधानी लखनऊ समेत एक दर्जन जिले शामिल रहे.








यह भी पढ़ें : योगी सरकार का कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बताएगा कहां क्लियर है ट्रैफिक, कहां लगा है जाम, जानिए कैसे करेगा काम

IGRS पोर्टल पर युवती ने की शिकायत, दारोगा पर लगाया शारीरिक शोषण करने का आरोप

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ बीते सोमवार को बल्कि हर बार जब जिलों के पुलिस कप्तानों के साथ समीक्षा बैठक की तो अधिकांश कप्तानों को फटकार लगाई. यह फटकार समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) और क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) को लेकर पड़ती है. सीसीटीएनएस और आईजीआरएस पर ध्यान न देना हर बार पुलिस कप्तानों पर भारी पड़ती है.

आईजीआरएस मामलों की समीक्षा करते सीएम योगी आदित्यनाथ. फाइल फोटो
आईजीआरएस मामलों की समीक्षा करते सीएम योगी आदित्यनाथ. फाइल फोटो





IGRS की शिकायतों के निस्तारण की कितनी होती है मियाद : IGRS पोर्टल पर दर्ज होने वाली हर शिकायत के निस्तारण करने की मियाद शासन ने तय कर रखी है. पुलिस विभाग के लिए यह मियाद 15 दिनों की होती है. इसमें वे शिकायतें होती हैं जो पीड़ित द्वारा IGRS पोर्टल में दर्ज की गई हो. थाना दिवस में आई शिकायत, डीआईजी या आईजी के जनसुनवाई में आई शिकायत. ये सभी शिकायतें IGRS पोर्टल में अपलोड को जाती हैं और फिर 15 दिनों में जांच कर निस्तारित की जाती हैं. यदि शिकायत के निस्तारण से प्रार्थी असंतुष्ट होता है तो उसे फिर से जांच करने के लिए सात दिन की मियाद होती है.

आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.
आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.


IGRS में दर्ज शिकायतों की ये अधिकारी करते हैं जांच

पुलिस विभाग से जुड़ी IGRS में दर्ज होने वाली शिकायतों के निस्तारण करने, फिर उसकी मॉनिटरिंग करने की अलग अलग अधिकारियों पर जिम्मेदारी है. थाना दिवस या समाधान दिवस में आने वाली पुलिस विभाग की शिकायतों का अनुमोदन डिप्टी एसपी रैंक का अधिकारी करता है. यदि फीडबैक लेने पर शिकायतकर्ता असंतुष्ट मिलता है तो पुलिस अधीक्षक या डीसीपी कार्रवाई करता है. शिकायत निस्तारण की औचक जांच एसपी, आईजी, एडीजी जोन, डीजीपी या फिर मुख्यमंत्री कार्यालय करता है.

आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.
आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.


शिकायत पुलिस अधिक्षक के पास आती है और उसे आईजीआरएस में दर्ज की जाती है तो उसका अनुमोदन पुलिस कप्तान या डीसीपी करता है. फीडबैक लेने पर शिकायतकर्ता असंतुष्ट मिलता है तो डीआईजी या संयुक्त पुलिस आयुक्त कार्रवाई करता है. शिकायत निस्तारण की औचक जांच आईजी, एडीजी जोन, पुलिस कमिश्नर, डीजीपी या फिर मुख्यमंत्री कार्यालय करता है. शिकायत यदि IGRS में आती है तो उसका अनुमोदन पुलिस अधीक्षक या डीसीपी करता है. शिकायत निस्तारण की औचक जांच आईजी, एडीजी जोन, पुलिस कमिश्नर, डीजीपी या फिर मुख्यमंत्री कार्यालय करता है.

आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.
आईजीआरएस की समीक्षा बैठक.


मुख्यमंत्री कार्यालय ने शिकायतकर्ताओं से लिया था फीडबैक

बीते सोमवार तीन घंटे तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के सभी पुलिस कप्तानों और थानेदारों के साथ समीक्षा बैठक की. मुख्यमंत्री कार्यालय ने समीक्षा बैठक से पहले आईजीआरएस में दर्ज हुई शिकायतों के निस्तारण की रिपोर्ट बनाई और शिकायतकर्ताओं से फीडबैक लिया. इसमें कई जिलों के शिकायतकर्ता निस्तारण से असंतुष्ट दिखे बावजूद इसके जिले की पुलिस ने क्लोजर लगा दिया था. बैठक में इसी रिपोर्ट के आधार पर एक दर्जन जिलों के पुलिस कप्तानों को आईजीआरएस को गंभीरता से न लेने पर खूब फटकार लगाई गई. इतना ही नहीं जिन जिलों में या जिन थानों द्वारा आईजीआरएस की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए उसका निस्तारण किया गया उनकी मुख्यमंत्री ने तारीफ भी की. खराब प्रदर्शन करने वालों में राजधानी लखनऊ समेत एक दर्जन जिले शामिल रहे.








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