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पिता की गोद में बच्चे की मौत के बाद रेबीज के प्रति बढ़ रही जागरूकता, सरकारी अस्पताल में बढ़े मरीज

यूपी के गाजियाबाद जिले में 14 साल के बच्चे का दिल दहलाने वाला वीडियो सामने आया था. जिसमें पिता की गोद में ही बच्चे ने आखिरी सांस ली थी. दरअसल एक महीना पहले बच्चे को कुत्ते ने काट लिया था. इसके बाद उसे रेबीज हो गया था. इस घटना के बाद से रेबीज के प्रति लोगों में जागरूकता देखने को मिल रही है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 11, 2023, 8:44 PM IST

पिता की गोद में बच्चे की मौत के बाद रेबीज से बढ़ रही जागरूकता. देखें खबर

लखनऊ : राजधानी लखनऊ के जिला अस्पतालों में इन दिनों रेबीज का टीका लगवाने के लिए काफी लोग पहुंच रहे हैं. अगर सिर्फ एक महीने के आंकड़े की बात करें तो काफी चौंका देने वाले आंकड़े सामने आए हैं. ऐसी जागरूकता उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में 14 साल के बच्चे की कुत्ते के काटने से मौत के बाद देखी जा रही है.

सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.


बलरामपुर अस्पताल के रेबीज इंचार्ज वरिष्ठ डॉ. जीपी शर्मा ने बताया कि हाल ही में एक मामला सामने आया था जिसमें एक बच्चे को रेबीज हुआ था. बच्चे ने पिता की गोद में ही दम तोड़ दिया था. यह वीडियो सोशल मीडिया पर इतना वायरल हुआ कि इस वीडियो के वायरल होने के बाद बहुत सारे लोग रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए आ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि पहले नहीं आते थे, लेकिन इस घटना के बाद से लोगों में जागरूकता बढ़ी है. जाहिर तौर पर अस्पताल की ओपीडी में भीड़ भी बढ़ गई है. फिलवक्त रोजाना 60 से 100 मरीजों की ओपीडी चलती है. जिसमें सारे मरीज रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए आते हैं. ओपीडी में कुत्ता, बिल्ली, चूहा, बंदर व सियार जैसे जानवरों के काटने के बाद मरीज इंजेक्शन लगाने आते हैं.

पिता की गोद में बच्चे की मौत के बाद रेबीज से बढ़ रही जागरूकता.
पिता की गोद में बच्चे की मौत के बाद रेबीज से बढ़ रही जागरूकता.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.


डॉ. जीपी शर्मा ने बताया कि रेबीज एक जानलेवा बीमारी है जो जानवरों के लार से इंसानों में होती है. देखा जाए तो रेबीज के टीका के अलावा इसका कोई भी इलाज नहीं है. रेबीज की बीमारी का खास लक्षण यह हैं कि इसमें जानवर के काटते ही जिस जगह काटता है उसके आसपास की मांसपेशियाों में सनसनाहट शुरू हो जाती है. रेबीज का विषाणु ब्लड में पहुंच जाता है जिसके बाद वह दिमाग तक पहुंच जाता है. रेबीज की बीमारी कुत्तों, बिल्लियों, बंदरों को काटने से फैलती है. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. ऐसे में इसे लेकर जागरूकता ही हमारी जान बचा सकती है. रेबीज के साथ खतरनाक बात यह है कि यह किसी भी जानवर इफेक्ट्स आपके पेट्स को भी हो सकती है. उसके साथ-साथ वह आपको भी हो सकती है. इसलिए अक्सर जानवर के डॉक्टर सलाह देते हैं कि टाइम- टू-टाइम अपने पेट्स की वैक्सीन जरूर करवाएं.

रेबीज के प्रति बढ़ रही जागरूकता.
रेबीज के प्रति बढ़ रही जागरूकता.
पिता की गोद में बच्चे की मौत के बाद रेबीज से बढ़ रही जागरूकता.
पिता की गोद में बच्चे की मौत के बाद रेबीज से बढ़ रही जागरूकता.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.

24 घंटे के भीतर पहला इंजेक्शन जरूरी : कुत्ता या किसी काटने के बाद पांच इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं, लेकिन पहला इंजेक्शन 24 घंटे में ही लग जाना चाहिए. इसके बाद दूसरा इंजेक्शन तीसरे दिन, तीसरा 7वें दिन, चौथा 14वें दिन और आखिरी 28वें दिन लगता है. कभी-कभी इंजेक्शन लगाने के बाद कुछ लोगों को बुखार जैसी समस्या हो सकती है. इससे घबराने की जरूरत नहीं है.

सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.



टीके का असर : डॉ. जीपी शर्मा के मुताबिक रेबीज के वायरस व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग में सूजन पैदा करते हैं. जिसकी वजह से व्यक्ति या तो कोमा में चला जाता है या उसकी मौत हो जाती है. कभी-कभी उसे पानी से भी डर लगता है. इसके अलावा कुछ लोगों को लकवा भी हो सकता है. मरीज को अगर कुत्ता या बंदर काट लेता है तो उसे उसी समय एंटी रेबीज टीका लगवाना चाहिए. अगर किसी कारण नहीं लगवाया गया तो 72 घंटे में हर हाल में एंटी रेबीज टीका लग जाना चाहिए. एक एंटी रेबीज टीका 3 वर्ष तक काम करता है. अगर टीका लगवाने के 3 वर्ष तक कोई कुत्ता काट लेता है तो रेबीज संक्रमण को कोई असर नहीं होगा.

यह भी पढ़ें : जिस गाय को कुत्ते ने काटा, उसकी रेबीज से मौत, अब टीका लगवाने अस्पताल दौड़ रहे लोग, जानें पूरा मामला

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पिता की गोद में बच्चे की मौत के बाद रेबीज से बढ़ रही जागरूकता. देखें खबर

लखनऊ : राजधानी लखनऊ के जिला अस्पतालों में इन दिनों रेबीज का टीका लगवाने के लिए काफी लोग पहुंच रहे हैं. अगर सिर्फ एक महीने के आंकड़े की बात करें तो काफी चौंका देने वाले आंकड़े सामने आए हैं. ऐसी जागरूकता उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में 14 साल के बच्चे की कुत्ते के काटने से मौत के बाद देखी जा रही है.

सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.


बलरामपुर अस्पताल के रेबीज इंचार्ज वरिष्ठ डॉ. जीपी शर्मा ने बताया कि हाल ही में एक मामला सामने आया था जिसमें एक बच्चे को रेबीज हुआ था. बच्चे ने पिता की गोद में ही दम तोड़ दिया था. यह वीडियो सोशल मीडिया पर इतना वायरल हुआ कि इस वीडियो के वायरल होने के बाद बहुत सारे लोग रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए आ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि पहले नहीं आते थे, लेकिन इस घटना के बाद से लोगों में जागरूकता बढ़ी है. जाहिर तौर पर अस्पताल की ओपीडी में भीड़ भी बढ़ गई है. फिलवक्त रोजाना 60 से 100 मरीजों की ओपीडी चलती है. जिसमें सारे मरीज रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए आते हैं. ओपीडी में कुत्ता, बिल्ली, चूहा, बंदर व सियार जैसे जानवरों के काटने के बाद मरीज इंजेक्शन लगाने आते हैं.

पिता की गोद में बच्चे की मौत के बाद रेबीज से बढ़ रही जागरूकता.
पिता की गोद में बच्चे की मौत के बाद रेबीज से बढ़ रही जागरूकता.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.


डॉ. जीपी शर्मा ने बताया कि रेबीज एक जानलेवा बीमारी है जो जानवरों के लार से इंसानों में होती है. देखा जाए तो रेबीज के टीका के अलावा इसका कोई भी इलाज नहीं है. रेबीज की बीमारी का खास लक्षण यह हैं कि इसमें जानवर के काटते ही जिस जगह काटता है उसके आसपास की मांसपेशियाों में सनसनाहट शुरू हो जाती है. रेबीज का विषाणु ब्लड में पहुंच जाता है जिसके बाद वह दिमाग तक पहुंच जाता है. रेबीज की बीमारी कुत्तों, बिल्लियों, बंदरों को काटने से फैलती है. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. ऐसे में इसे लेकर जागरूकता ही हमारी जान बचा सकती है. रेबीज के साथ खतरनाक बात यह है कि यह किसी भी जानवर इफेक्ट्स आपके पेट्स को भी हो सकती है. उसके साथ-साथ वह आपको भी हो सकती है. इसलिए अक्सर जानवर के डॉक्टर सलाह देते हैं कि टाइम- टू-टाइम अपने पेट्स की वैक्सीन जरूर करवाएं.

रेबीज के प्रति बढ़ रही जागरूकता.
रेबीज के प्रति बढ़ रही जागरूकता.
पिता की गोद में बच्चे की मौत के बाद रेबीज से बढ़ रही जागरूकता.
पिता की गोद में बच्चे की मौत के बाद रेबीज से बढ़ रही जागरूकता.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.

24 घंटे के भीतर पहला इंजेक्शन जरूरी : कुत्ता या किसी काटने के बाद पांच इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं, लेकिन पहला इंजेक्शन 24 घंटे में ही लग जाना चाहिए. इसके बाद दूसरा इंजेक्शन तीसरे दिन, तीसरा 7वें दिन, चौथा 14वें दिन और आखिरी 28वें दिन लगता है. कभी-कभी इंजेक्शन लगाने के बाद कुछ लोगों को बुखार जैसी समस्या हो सकती है. इससे घबराने की जरूरत नहीं है.

सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.
सरकारी अस्पताल में बढ़े रेबीज वैक्सीनेशन के केस.



टीके का असर : डॉ. जीपी शर्मा के मुताबिक रेबीज के वायरस व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग में सूजन पैदा करते हैं. जिसकी वजह से व्यक्ति या तो कोमा में चला जाता है या उसकी मौत हो जाती है. कभी-कभी उसे पानी से भी डर लगता है. इसके अलावा कुछ लोगों को लकवा भी हो सकता है. मरीज को अगर कुत्ता या बंदर काट लेता है तो उसे उसी समय एंटी रेबीज टीका लगवाना चाहिए. अगर किसी कारण नहीं लगवाया गया तो 72 घंटे में हर हाल में एंटी रेबीज टीका लग जाना चाहिए. एक एंटी रेबीज टीका 3 वर्ष तक काम करता है. अगर टीका लगवाने के 3 वर्ष तक कोई कुत्ता काट लेता है तो रेबीज संक्रमण को कोई असर नहीं होगा.

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