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यूपी मदरसा बोर्ड ने कहा- जांच नहीं यह सिर्फ सर्वे है, कोई भी मदरसा वैध या अवैध नहीं है

यूपी में मदरसा सर्वे (Madrasa survey in up) के पीछे की क्या मंशा है, इसके बारे में ईटीवी भारत ने यूपी मदरसा शिक्षा परिषद (UP Madrasa Education Council) के अध्यक्ष डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद से खास बातचीत की. देखिए ईटीवी भारत से डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद की ये बातचीत...

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यूपी मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद
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Published : Sep 24, 2022, 9:17 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इन दिनों मदरसों का सर्वे (Madrasa survey in up) जारी है. मदरसा सर्वे से पहले ही राजनीति गलियारों में खूब हंगामा भी देखने को मिल रहा है. यूपी मदरसा शिक्षा परिषद (UP Madrasa Education Council) के अध्यक्ष डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद (Dr Iftikhar Ahmed Javed) ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में मदरसा सर्वे के पीछे की मंशा को साझा किया है. चेयरमैन डॉक्टर इफ्तिखार ने अब तक मदरसों के पूरे हुए सर्वे की भी जानकारी दी.

इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि सर्वे टीम से मिले फीडबैक में अबतक सभी मदरसे बेहद अच्छी तरह से सहयोग करते नजर आए है और सर्वे भी बेहद अच्छे ढंग से किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले 7 वर्षों से मान्यता बंद है. इसलिए बहुत से मदरसें बोर्ड से मान्यता चाहते है. जब हमें पूरा आंकड़ा और हर मदरसें का पूरा डाटा मिल जाएगा, तब हम एक क्राइटीरिया बनाकर मदरसों को मान्यता देने का भी काम करेंगे.

यूपी मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद से खास बातचीत

चेयरमैन ने बताया कि बाल संरक्षण आयोग की ओर से एक पत्र लिखा गया था, जिसमें एक मदरसें की शिकायत की गई थी. वहीं कुछ अन्य मदरसों से भी ऐसी बातें सामने आई, जहां अमानवीय व्यवहार देखा गया और सभी मदरसों पर उंगलियां उठने लगी. ऐसे में यह विचार किया गया कि एक सर्वे से हमारे पास सभी मदरसों का पूरा ब्यौरा प्राप्त हो जाए, जिससे वहां की स्थिति मालूम हो.

चेयरमैन ने कहा कि यूपी में 16,513 मदरसें मान्यता प्राप्त है, जिसमें 560 मदरसों को सरकारी अनुदान मिलता है. लेकिन गैर मान्यता प्राप्त मदरसे कितने संचालित है, इसका आंकड़ा अब तक नहीं था. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि सभी जिलों में टीमें सर्वे का काम कर रही है. यह सर्वे पूरे प्रदेश में 5 अक्टूबर तक पूरा करना है, जिसके बाद सर्वे टीम अपने जिले की रिपोर्ट जिलाधिकारी को 10 अक्टूबर तक सौंप देगी. इसके बाद सभी जिलाधिकारियों के माध्यम से यह रिपोर्ट 25 अक्टूबर को शासन को प्रस्तुत की जाएगी.

उन्होंने कहा कि सभी सरकारें समय-समय पर स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के सर्वे कराकर उन्हें ग्रेड देती है. लेकिन यह विडंबना रही कि अब तक किसी भी सरकार ने मदरसों के बारे में नहीं सोचा. उन्होंने कहा कि सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के जिम्मेदार बेहद संयम के साथ सर्वे टीम को 12 बिंदुओं की जानकारी प्रस्तुत कर दें. इसके साथ ही जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से संपर्क कर खुद जाकर भी मदरसे की जानकारी दी जा सकती है. जिसके बाद अधिकारी मदरसा विजिट करके प्रस्तुत की गई जानकारी को अप्रूव कर देंगे. चेयरमैन ने कहा कि यह किसी भी तरह की जांच नहीं है. यह सिर्फ एक सर्वे है और कोई भी मदरसा वैध या अवैध नहीं है.

यह भी पढ़ें: यूपी मदरसा बोर्ड अध्यक्ष बोले, राजनीति के लिए मदरसों को न बनाएं वैध और अवैध का अखाड़ा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इन दिनों मदरसों का सर्वे (Madrasa survey in up) जारी है. मदरसा सर्वे से पहले ही राजनीति गलियारों में खूब हंगामा भी देखने को मिल रहा है. यूपी मदरसा शिक्षा परिषद (UP Madrasa Education Council) के अध्यक्ष डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद (Dr Iftikhar Ahmed Javed) ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में मदरसा सर्वे के पीछे की मंशा को साझा किया है. चेयरमैन डॉक्टर इफ्तिखार ने अब तक मदरसों के पूरे हुए सर्वे की भी जानकारी दी.

इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि सर्वे टीम से मिले फीडबैक में अबतक सभी मदरसे बेहद अच्छी तरह से सहयोग करते नजर आए है और सर्वे भी बेहद अच्छे ढंग से किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले 7 वर्षों से मान्यता बंद है. इसलिए बहुत से मदरसें बोर्ड से मान्यता चाहते है. जब हमें पूरा आंकड़ा और हर मदरसें का पूरा डाटा मिल जाएगा, तब हम एक क्राइटीरिया बनाकर मदरसों को मान्यता देने का भी काम करेंगे.

यूपी मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर इफ्तिखार अहमद जावेद से खास बातचीत

चेयरमैन ने बताया कि बाल संरक्षण आयोग की ओर से एक पत्र लिखा गया था, जिसमें एक मदरसें की शिकायत की गई थी. वहीं कुछ अन्य मदरसों से भी ऐसी बातें सामने आई, जहां अमानवीय व्यवहार देखा गया और सभी मदरसों पर उंगलियां उठने लगी. ऐसे में यह विचार किया गया कि एक सर्वे से हमारे पास सभी मदरसों का पूरा ब्यौरा प्राप्त हो जाए, जिससे वहां की स्थिति मालूम हो.

चेयरमैन ने कहा कि यूपी में 16,513 मदरसें मान्यता प्राप्त है, जिसमें 560 मदरसों को सरकारी अनुदान मिलता है. लेकिन गैर मान्यता प्राप्त मदरसे कितने संचालित है, इसका आंकड़ा अब तक नहीं था. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि सभी जिलों में टीमें सर्वे का काम कर रही है. यह सर्वे पूरे प्रदेश में 5 अक्टूबर तक पूरा करना है, जिसके बाद सर्वे टीम अपने जिले की रिपोर्ट जिलाधिकारी को 10 अक्टूबर तक सौंप देगी. इसके बाद सभी जिलाधिकारियों के माध्यम से यह रिपोर्ट 25 अक्टूबर को शासन को प्रस्तुत की जाएगी.

उन्होंने कहा कि सभी सरकारें समय-समय पर स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के सर्वे कराकर उन्हें ग्रेड देती है. लेकिन यह विडंबना रही कि अब तक किसी भी सरकार ने मदरसों के बारे में नहीं सोचा. उन्होंने कहा कि सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के जिम्मेदार बेहद संयम के साथ सर्वे टीम को 12 बिंदुओं की जानकारी प्रस्तुत कर दें. इसके साथ ही जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से संपर्क कर खुद जाकर भी मदरसे की जानकारी दी जा सकती है. जिसके बाद अधिकारी मदरसा विजिट करके प्रस्तुत की गई जानकारी को अप्रूव कर देंगे. चेयरमैन ने कहा कि यह किसी भी तरह की जांच नहीं है. यह सिर्फ एक सर्वे है और कोई भी मदरसा वैध या अवैध नहीं है.

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