लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीतापुर जिले की महमूदाबाद सीट से विधायक नरेंद्र वर्मा को विधानसभा उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है. इस संबंध में समाजवादी पार्टी के सभी विधायकों को कल यानी 17 अक्टूबर को दोपहर में, पार्टी के प्रदेश कार्यालय में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के लिए कहा गया है. क्योंकि 18 अक्टूबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसमें विधानसभा उपाध्यक्ष पद का चुनाव होना है.
दरअसल, नरेंद्र वर्मा सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. पिछले दिनों वह तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मांग की थी कि 2004 के बाद नियुक्त सभी कर्माचारियों-अधिकारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए. और यदि ऐसा संभव न हो तो सांसदों और विधायकों को भी नई पेंशन योजना के दायरे में लाया जाए. उन्होंने घोषणा की थी कि वह पेंशन नहीं लेंगे. नरेंद्र वर्मा का यह पत्र उस समय खूब वायरल हुआ था.
आपको बता दें, विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए 18 अक्टूबर को चुनाव होना है, लेकिन इसके पहले ये चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है. दरअसल, विस उपाध्यक्ष के पद के लिए होने वाले चुनाव में सपा पिछड़े वर्ग का प्रत्याशी उतार कर, इस चुनाव को सपा हारने-जीतने की बजाय जातिगत समीकरण साधने की तौर पर देख रही है. वहीं भाजपा वैश्य समाज को साधने की कोशिश कर रही है. ऐसे में सपा का यह दांव भाजपा की मुश्किल बढ़ा सकता है. दिलचस्प बात यह होगी कि दोनों ही सपा के विधायक आमने-सामने डिप्टी स्पीकर की कुर्सी के लिए चुनाव में उतरेंगे. क्योंकि, माना जा रहा है भाजपा सपा के हरदोई से विधायक व नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल को मैदान में उतार सकती है. नितिन अग्रवाल अभी विधानसभा में सपा के विधायक के तौर पर हैं.
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बता दें कि विधानसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी करते हुए विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए 18 अक्टूबर को चुनाव कराए जाने का फैसला किया है. इससे पहले 17 अक्टूबर को नामांकन सुबह 11 बजे से एक बजे तक होगा. 18 अक्टूबर को 11 बजे से एक बजे तक चुनाव कराया जाएगा. वहीं, भारतीय जनता पार्टी एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी के बागी विधायक नितिन अग्रवाल को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर चुकी है. दूसरी तरफ, सपा ने कहा है कि विधानसभा नियमों के अनुसार विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष का होता है. ऐसे में यह पद सत्ता पक्ष को समाजवादी पार्टी को देना चाहिए, लेकिन वह नियमों और परंपराओं की हत्या करते हुए इस पर कब्जा करना चाहती है.