लखनऊ : उत्तर प्रदेश में स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर तमाम तरह के दावे किए गए थे. साफ सफाई के नाम पर हजारों करोड़ रुपए खर्च करने के बाद जब स्वच्छता सर्वेक्षण का रिपोर्ट कार्ड जारी हुआ तो यूपी पिछड़ा साबित हुआ. राजधानी लखनऊ को जहां 121वां स्थान मिला, वहीं प्रयागराज को 141वां स्थान मिला. वहीं मध्य प्रदेश का इंदौर फिर बाजी मारकर पहले स्थान पर पहुंच गया.
मौजूदा सरकार ने प्रयागराज से लेकर काशी और लखनऊ से लेकर गाजियाबाद सहित तमाम शहरों में स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर बड़े स्तर पर अभियान चलाया. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में भी तमाम तरह के अभियान, स्वच्छता रैली और जागरुकता कार्यक्रम चलाए गए. यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी साफ सफाई की स्थिति यह रही कि स्वच्छता सर्वेक्षण की रेटिंग में वाराणसी को 70वां स्थान मिल पाया.
अफसरों की लापरवाही से गिरी लखनऊ की रैंकिंग
राजधानी लखनऊ में अफसरों की लापरवाही और कागजी खानापूर्ति के चलते यह स्वच्छता रैंकिंग में कई पायदान नीचे फिसल गया. पिछली बार की रिपोर्ट में लखनऊ जहां 115वें पायदान पर था, वहीं 2019 की रिपोर्ट में यह 121वें रैंक पर जा पहुंचा है. हालांकि नगर निगम के अधिकारी लगातार इस रैंकिंग में सुधार होने के दावे कर रहे थे, लेकिन यह दावे हकीकत नहीं बन सके.
टॉप टेन में जगह बनाने की कर रहे थे उम्मीद
स्वच्छता रैंकिंग को लेकर जिले के अपर नगर आयुक्त अमित कुमार ने कहा कि हमें जो उम्मीद थी उसके अनुसार स्वच्छता सर्वेक्षण में स्थान नहीं मिला. हमने सोचा था कि टॉप टेन में लखनऊ को जगह मिलेगी, लेकिन हमसे ज्यादा दूसरे शहरों ने काम किया और उन्हें अच्छी रेटिंग मिल गई. साफ-सफाई को लेकर हमने काफी सुधार किया है, आगे और काम करेंगे, जिससे लखनऊ की स्थिति सुधर सके.
कार्यव्यवहार में लाना होगा बदलाव
वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने ईटीवी से बात करते हुए कहा कि रेटिंग आई है, अच्छी बात है. अभी इस क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है. सबको इसमें साथ देना होगा और अपने कार्य व्यवहार में भी कुछ बदलाव करना होगा, जिससे स्वच्छता अभियान परवान चढ़ सके.