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मुझे नहीं पता, ऑक्सीजन संबंधी मसला गृह विभाग देख रहा था : यूपी के स्वास्थ्य मंत्री

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Published : Jul 22, 2021, 3:38 AM IST

कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा रहा. इस दौरान यूपी में समय पर ऑक्सीजन न मिलने से कई मरीजों की मौत का मामला छाया रहा. केंद्र सरकार ने राज्य सभा में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत होने से नकार दिया है. वहीं यूपी के स्वास्थ्य मंत्री से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन संबंधी मसला गृह विभाग देख रहा था, मुझे कोई जानकारी नहीं है.

ऑक्सीजन की कमी से मौत
ऑक्सीजन की कमी से मौत

लखनऊ : कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा रहा. इस दौरान यूपी में भी ऑक्सीजन की खपत कई गुना बढ़ गई. समय पर ऑक्सीजन न मिलने से कई मरीजों की मौत हो गई. उस दौरान तीमारदारों ने भी आवाज उठाई थी. वहीं अब केंद्र सरकार ने राज्य सभा में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत होने से नकार दिया. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने भी घटना की जानकारी से इनकार दिया. ऐसे में सच क्या है, इसको लेकर सवाल बना हुआ है.

यूपी में अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर आयी. इस दौरान 30 अप्रैल को सर्वाधिक 3 लाख 10 हजार 783 एक्टिव केस हो गए. अस्पतालों में बेडों का संकट छा गया. सिलिंडर को लेकर मारामारी रही. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में मुताबिक एक दिन में पहले जहां राज्यभर में 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत थी. वहीं दूसरी लहर में 1100 मीट्रिक टन पर जा पहुंची. इस दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन बैकअप खत्म हो गया. गेट पर 'नो ऑक्सीजन' की नोटिस चस्पा कर दी गई. सिर्फ लखनऊ में ही 20 से अधिक मौतें ऑक्सीजन की कमी से मीडिया में छाई रही. तीमारदारों ने हंगामा किया.

इसे भी पढ़ें- ऑक्सीजन के बिना तड़प के मर गए लोग, पर सरकार क्यों कर रही है इनकार

बुधवार को केंद्र सरकार में राज्य सभा में चर्चा के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी भी मरीज की मौत होने से इंकार किया. इस संदर्भ में यूपी के स्वास्थ्य मंत्री से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने ऑक्सीजन की कमी से केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजने सम्बंधी जानकारी से इंकार किया. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन सम्बंधी मसला गृह विभाग देख रहा था, मुझे कोई जानकारी नहीं है. ऐसे में अस्पतालों में दम तोड़ते मरीजों का सच क्या है, इस पर सवाल बना हुआ है.

उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों पर हाई कोर्ट प्रयागराज ने पांच मई को सख्त टिप्पणी की थी. अपने आदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने से कोविड-19 मरीजों की मौत को आपराधिक कृत्य करार देते हुए नरसंहार बताया था. कोर्ट ने कहा था कि नरसंहार के जिम्मेदार वो लोग हैं जिनके ऊपर ऑक्सीजन सप्लाई की जिम्मेदारी थी.

प्रमुख घटनाएं

  • 17 अप्रैल : लोहिया संस्थान में ऑक्सीजन की कमी से तीन मरीजों की मौत का आरोप.
  • 27 अप्रैल : आगरा के निजी अस्पताल में 8 मरीजों की ऑक्सीजन की किल्लत के चलते मौत का आरोप.
  • 29 अप्रैल : मुरादाबाद में ऑक्सीजन की कमी से निजी अस्पताल में 6 लोगों की मौत का आरोप.
  • 30 अप्रैल : फर्रुखाबाद के कमालगंज के एल-2 अस्पताल में 46 वर्षीय एक महिला की ऑक्सीजन की दिक्कत के चलते मौत का आरोप.
  • 3 मई : मेरठ में मेडिकल कॉलेज थाना क्षेत्र स्थित हॉस्पिटल में पांच मरीजों की मौत का आरोप.

लखनऊ : कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा रहा. इस दौरान यूपी में भी ऑक्सीजन की खपत कई गुना बढ़ गई. समय पर ऑक्सीजन न मिलने से कई मरीजों की मौत हो गई. उस दौरान तीमारदारों ने भी आवाज उठाई थी. वहीं अब केंद्र सरकार ने राज्य सभा में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत होने से नकार दिया. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने भी घटना की जानकारी से इनकार दिया. ऐसे में सच क्या है, इसको लेकर सवाल बना हुआ है.

यूपी में अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर आयी. इस दौरान 30 अप्रैल को सर्वाधिक 3 लाख 10 हजार 783 एक्टिव केस हो गए. अस्पतालों में बेडों का संकट छा गया. सिलिंडर को लेकर मारामारी रही. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में मुताबिक एक दिन में पहले जहां राज्यभर में 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत थी. वहीं दूसरी लहर में 1100 मीट्रिक टन पर जा पहुंची. इस दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन बैकअप खत्म हो गया. गेट पर 'नो ऑक्सीजन' की नोटिस चस्पा कर दी गई. सिर्फ लखनऊ में ही 20 से अधिक मौतें ऑक्सीजन की कमी से मीडिया में छाई रही. तीमारदारों ने हंगामा किया.

इसे भी पढ़ें- ऑक्सीजन के बिना तड़प के मर गए लोग, पर सरकार क्यों कर रही है इनकार

बुधवार को केंद्र सरकार में राज्य सभा में चर्चा के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी भी मरीज की मौत होने से इंकार किया. इस संदर्भ में यूपी के स्वास्थ्य मंत्री से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने ऑक्सीजन की कमी से केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजने सम्बंधी जानकारी से इंकार किया. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन सम्बंधी मसला गृह विभाग देख रहा था, मुझे कोई जानकारी नहीं है. ऐसे में अस्पतालों में दम तोड़ते मरीजों का सच क्या है, इस पर सवाल बना हुआ है.

उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों पर हाई कोर्ट प्रयागराज ने पांच मई को सख्त टिप्पणी की थी. अपने आदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने से कोविड-19 मरीजों की मौत को आपराधिक कृत्य करार देते हुए नरसंहार बताया था. कोर्ट ने कहा था कि नरसंहार के जिम्मेदार वो लोग हैं जिनके ऊपर ऑक्सीजन सप्लाई की जिम्मेदारी थी.

प्रमुख घटनाएं

  • 17 अप्रैल : लोहिया संस्थान में ऑक्सीजन की कमी से तीन मरीजों की मौत का आरोप.
  • 27 अप्रैल : आगरा के निजी अस्पताल में 8 मरीजों की ऑक्सीजन की किल्लत के चलते मौत का आरोप.
  • 29 अप्रैल : मुरादाबाद में ऑक्सीजन की कमी से निजी अस्पताल में 6 लोगों की मौत का आरोप.
  • 30 अप्रैल : फर्रुखाबाद के कमालगंज के एल-2 अस्पताल में 46 वर्षीय एक महिला की ऑक्सीजन की दिक्कत के चलते मौत का आरोप.
  • 3 मई : मेरठ में मेडिकल कॉलेज थाना क्षेत्र स्थित हॉस्पिटल में पांच मरीजों की मौत का आरोप.
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