लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार जल्द ही बायोफ्यूल पॉलिसी लाने जा रही है. पराली को जलाने के बजाय उसे उपयोगी बनाने के लिए सीएम योगी के निर्देश के बाद मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने शुक्रवार को बैठक कर बायोफ्यूल पॉलिसी का मसौदा तैयार करने के निर्देश दिए हैं.
पुराने प्लांट संचालकों से फीडबैक
मुख्य सचिव ने कहा कि बायोफ्यूल पॉलिसी को अंतिम रूप देने से पहले संबंधित स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक कर विचार-विमर्श कर लिया जाए. उन्होंने कहा कि बायोफ्यूल से संबंधित प्रदेश में जो प्लांट संचालित हैं, या संचालन की प्रक्रिया में हैं, वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उनका भी फीडबैक ले लिया जाए.
राजेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि पराली से बायोफ्यूल प्लांट संचालित किए जा सकते हैं, जिन जिलों में पराली बहुतायत में उपलब्ध रहती है, वहां पर इस तरह के प्लांट लगाए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि पराली की उपलब्धता, कलेक्शन सेंटर और प्लांट तक पहुंचाने के लिए मैकेनिज्म भी डेवलप करना होगा. किसानों से पराली खरीदने से लेकर प्लांट से उत्पादन होने वाले फ्यूल को विक्रय करने की पूरी सप्लाई चेन बनानी होगी. इसमें निवेश करने वाले निवेशकों को भी सहूलियतें देनी होंगी.
पराली जलाने से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण
उन्होंने कहा कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है. लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. पराली आधारित बायोफ्यूल प्लांट की स्थापना से ही इसको रोका जा सकता है. किसानों की अतिरिक्त आय का यह एक जरिया बनेगा. बायोफ्यूल पॉलिसी को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि संबंधित विभागों, संस्थाओं और प्रदेश में पहले से संचालित प्लांट के संचालकों से बात कर बायोफ्यूल पॉलिसी का मॉडल ड्राफ्ट अगली बैठक में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाए.
प्रदेश के सभी जिलों में कम से कम एक प्लांट की स्थापना का लक्ष्य लेकर कार्य करने की आवश्यकता है. उन्होंने गन्ना वेस्ट, गोबर और कूड़ा पर आधारित व वर्तमान में संचालित प्लांट्स के स्टेटस रिपोर्ट दो दिनों में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. बैठक में औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टंडन, अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास आलोक कुमार, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा अरविंद कुमार, अपर मुख्य सचिव नियोजन कुमार कमलेश समेत अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे.