लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित वेबिनार 'रिवर्स माइग्रेशन एण्ड रूरल डेवलेपमेंट इन उत्तर प्रदेश' को आज सम्बोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश में रोजगार के व्यापक अवसर हैं, बस जरूरत है अपने हुनर को पहचानने की और उसे यथार्थ के धरातल पर उतारने की.
इस दौरान उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर समस्या का कोई हल नहीं होने के कारण उत्तर प्रदेश वापस लौटे लगभग 23 लाख प्रवासी कामगार और श्रमिक क्या लॉकडाउन समाप्त होने के बाद फिर अपने कामों पर वापस लौटेंगे? क्या इतनी बड़ी विपत्ति से हमने कुछ सीखा? जो कामगार या श्रमिक अपने हुनर और मेहनत से अन्य स्थानों पर जाकर वहां का विकास कर सकते हैं तो वे अपने प्रदेश में रहकर अपनी आजीविका और रोजगार को सुचारू रूप से क्यों नहीं चला सकते हैं?
हर जिला करता है विशेष उत्पादन
राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक और भौगोलिक संरचना के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश में संसाधनों की कोई कमी नहीं है. प्रदेश में उपजाऊ कृषि योग्य भूमि और नदियां हैं. प्रदेश कई कृषि उत्पादों के लिए विशेष महत्व रखता है. प्रदेश का प्रत्येक जनपद अपने किसी न किसी विशेष उत्पादन के लिये भी विख्यात है. जनपद कन्नौज इत्र के लिये, मुरादाबाद पीतल के लिये, लखनऊ चिकन कारीगरी और दशहरी आम के लिये, अलीगढ़ ताले के लिये, फिरोजाबाद कांच के लिये और भदोही कालीन के लिये जाने जाते हैं. फिर क्या कारण है कि हम अपने यहां कामगारों के लिये रोजगार के अवसर सृजित नहीं कर पा रहे हैं. जरूरत है अवसरों को पहचानने के साथ-साथ उन्हें यथार्थ के धरातल पर उतारने की.
लोकल स्तर से ग्लोबल स्तर तक यूपी को पहुंचाएंगे
उन्होंने कहा कि उद्यमियों और व्यावसायियों को जानकारी प्रदान कर जनपद के विशेष उत्पाद की ब्रांडिंग कर लोकल स्तर से ग्लोबल स्तर तक पहचान दिलाने की आवश्यकता है, जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है. राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि हमें शहरों के साथ-साथ अपने गांवों के विकास पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा. आज भी हमारी लगभग 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है. ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालय, चिकित्सालय, विद्युत, पक्की सड़क और परिवहन आदि आवश्यक सुविधाएं पहुंचाकर ही विकास की रूपरेखा खींची जा सकती है. कृषकों को खेती के लिए सिंचाई और बिजली, खाद और उनके उत्पाद को सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था उपलब्ध होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि गांवों में कुटीर और हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देना होगा, तभी यह उपयोग के लिए आगे बढ़ सकेगा.
'एक जनपद-एक उत्पाद'
राज्यपाल ने कहा कि 'एक जनपद-एक उत्पा'’ की तर्ज पर 'एक जिला-एक फसल विशेष' योजना पर अमल करने की जरूरत है. इस पर आधारित उद्योगों की स्थापना से बड़े पैमाने पर स्थानीय स्तर पर ही न केवल लोगों को रोजगार उपलब्ध होंगे, बल्कि उन्हें गांवों से शहरों में रोजगार की तलाश में नहीं जाना पड़ेगा. यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य जरूर है, लेकिन असंभव नहीं है. किसानों की आमदनी में वृद्धि के लिए हमें जीरो बजट खेती पर भी ध्यान देने की जरूरत है, जहां बिना लागत लगाये खेती की जा सकती है. इसमें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बिल्कुल नहीं होता है. इस प्राकृतिक खेती में गाय का बहुत बड़ा योगदान होता है. इसके गोबर और गो-मूत्र से खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है. इनके प्रयोग से उत्पादन लागत में कमी के साथ-साथ उत्पादन और अन्न की पौष्टिकता में भी वृद्धि हो सकेगी.
माइग्रेशन कमीशन अच्छा कदम
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में प्रवासी कामगारों और श्रमिकों को सेवायोजित करने के लिये ‘माइग्रेशन कमीशन’ गठित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि माइग्रेशन कमीशन कामगारों और श्रमिकों को रोजगार से जोड़ने के लिए उल्लेखनीय प्रयास करेगा. वेबिनार में उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, उत्तर प्रदेश-उत्तराखण्ड इकॉनामिक एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. रवि श्रीवास्तव, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय नोएडा के कुलपति प्रो. बीपी शर्मा, उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. जीसी त्रिपाठी, आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक मित्तल के साथ अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति भी उपस्थित थे.