लखनऊ: लॉकडाउन के दौरान हजारों प्राइवेट बस ऑपरेटर्स के एक भी बस का चक्का नहीं घूमा. रोडवेज बसों का संचालन तो शुरू हो गया, लेकिन अभी भी प्राइवेट बसें जस की तस खड़ी हुई हैं. इंटर स्टेट सर्विस स्टार्ट नहीं हुई है. ऐसे में प्राइवेट बस ऑपरेटर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.
टैक्स ने बढ़ाई चिंता
हजारों प्राइवेट ऑपरेटर्स को बिना एक पैसे की कमाई के टैक्स का भुगतान भी करना है, ऐसे में उनकी मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. प्राइवेट बस ऑपरेटर्स लगातार सरकार से टैक्स की छूट देने की मांग कर रहे हैं. हालांकि अब सरकार बस ऑपरेटर्स को झटके से उबारने की तैयारी कर रही है. 2 माह तक के टैक्स में छूट देने का प्रस्ताव परिवहन विभाग की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार को भेजने का प्लान बन रहा है.
लॉकडाउन के शुरुआती दौर में बस ऑपरेटर्स ने किसी तरह थोड़ा-थोड़ा वेतन देकर कर्मचारियों, ड्राइवर, कंडक्टर और क्लीनर का खर्च उठाया, लेकिन अब वे सैलरी देने में असमर्थता जताने लगे हैं. अब प्राइवेट बस मालिकों के सामने टैक्स चुकाने का बड़ा संकट है, क्योंकि एक पैसे की भी इनकम लॉकडाउन के दौरान नहीं हुई है, जबकि लाखों का टैक्स बकाया हो गया है.
सरकार टैक्स में दे सकती है छूट
परिवहन विभाग के मुताबिक प्रदेश में लगभग 15 लाख प्राइवेट वाहनों का संचालन हो रहा है और इनसे 200 करोड़ रुपये तक का टैक्स सरकार को हर माह मिलता है. विभाग के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक परिवहन विभाग की तरफ से पब्लिक कैरियर के लिए टैक्स में दो माह की छूट और गुड्स कैरियर के लिए टैक्स में एक माह की छूट देने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा रहा है.
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार वाहन मालिकों को राहत देने के लिए शासन में टैक्स की छूट देने पर लगातार विचार चल रहा है. सभी से फीडबैक और वाहन स्वामियों के साथ हुई बैठक के बाद इस पर निर्णय लेने की तैयारी की जा रही है. वाहन स्वामी लॉकडाउन के दौरान की अवधि का रोड टैक्स माफ करने की मांग कर रहे हैं. प्रदेश में 15 लाख से अधिक वाहनों का कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन है.
बसों की ईएमआई भरने में आएगी समस्या
उत्तर प्रदेश अनुबंधित बस ओनर्स एसोसिएशन के संयोजक राकेश बाजपेई ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया, 'पूरे प्रदेश में रोडवेज में हम लोगों की 3500 बसें अनुबंधित हैं. सारी बसें लॉकडाउन में खड़ी हो गई हैं. ज्यादातर बसें लोन पर हैं और उनकी ईएमआई चल रही है. हमें सारे टैक्स देने पड़ते हैं. बीमा का भी सालाना 80 हजार से एक लाख 20 हजार रुपये देना पड़ता है. अगर हमारी बसें संचालित नहीं होंगी तो हम कर्मचारियों को कैसे वेतन देंगे. टैक्स और बीमा का भुगतान कैसे करेंगे. हमें भी सरकार ऐसी राहत दे, जिससे हम भी जिंदा रह सकें.'
प्राइवेट बस ऑपरेटर राजकुमार मिश्रा ने बताया, 'बसें खड़ी हो गई हैं. सभी फाइनेंस हैं और बैंक की ईएमआई तो चल ही रही है. उसे भरने में समस्या आनी ही है. सुनने में आ रहा है कि लॉकडाउन के दौरान सरकार टैक्स पर कुछ छूट देगी, अगर ऐसा होगा तो अच्छा रहेगा. एक खड़ी गाड़ी पर वेतन सहित कम से कम 30 हजार रुपये प्रतिमाह खर्च होते हैं.'
परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अशोक कटारिया ने कहा, 'जहां तक बात टैक्स छोड़ने की है तो ये शासन स्तर पर विचाराधीन है. सरकार से प्राइवेट ऑपरेटर्स की मीटिंग हो चुकी है. मुख्यमंत्री जी इस पर फैसला लेंगे तब आपको बताया जाएगा.'