लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. प्रदेश सरकार ने यह चुनौती इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा डॉक्टर कफील खान को रिहा करने को लेकर दी है. हाईकोर्ट ने कफील खान पर लगे राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम को रद्द कर दिया था.
क्या है मामला
प्रदेश सरकार ने अपनी याचिका में बताया कि कफील खान ने अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी (एएमयू) में सीआरपीसी की धारा 144 का उल्लंघन किया था. जबकि कफील जनपद में लगी धारा 144 के बारे में भली-भांति परिचत था. एएमयू में बिगड़ते माहौल को देखते हुए ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धारा 144 लागू की थी. इसके बावजूद कफील ने विश्वविद्यालय परिसर में जाकर भाषण दिए.
छात्रों ने निकाला था विरोध मार्च
याचिका में प्रदेश सरकार ने कहा कि कफील का यह भाषण विश्वविद्यालय के छात्रों को उकसाने और कानून व्यवस्था बिगाड़ने के उद्देश्य से दी थी. कफील के भाषण से प्रभावित लगभग 10,000 छात्रों ने विरोध मार्च निकाला. जिन्हें पुलिस ने रोका था. सरकार ने आरोप लगाते हुए कहा कि कफील अपराध की लंबी लिस्ट रही है. कफील के इस कृत्य के चलते कार्रवाई करते हुए उसे नौकरी से निकाल दिया गया है. फिलहाल कफील पर एनएसए के तहत मुकदमा दर्ज है.
बता दें कि गोरखपुर के डॉ कफील खान को जनवरी 2020 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के खिलाफ दिए गए एक भाषण के तहत जनवरी 2020 में मुंबई से गिरफ्तार किया गया था.