लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर ट्विटर के साथ अब सॉन्ग वॉर भी शुरू हो गया है. जनता तक अपनी बात को पहुंचाने के लिए राजनीतिक दल अब स्थानीय भाषाओं में गीत का इस्तेमाल कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी की तरफ से सोमवार को अपना चुनावी सॉन्ग जारी किया गया. पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी और सांसद संजय सिंह ने लखनऊ के पत्रकारपुरम चौराहा स्थित पार्टी कार्यालय पर प्रेस वार्ता कर यह सॉन्ग जारी किया.
सांसद संजय सिंह ने बताया कि पार्टी के बिहार सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष लोकेश सिंह ने जानी-मानी कलाकार अंतरा सिंह के साथ मिलकर यह गाना तैयार किया है. इसकी टैगलाइन है कि यहां भी केजरीवाल का झाड़ू छाप आया है... पहली पहली बार झाड़ू छाप आया है. उन्होंने बताया कि इस गाने के माध्यम से अब आम आदमी पार्टी जनता के बीच में जाने की कोशिश में है.
इस गाने के माध्यम से पार्टी की ओर से दी जा रही गारंटी जैसे बिजली, अच्छी शिक्षा, साफ-सुथरी राजनीति, रोजगार जैसे मुद्दों को जनता तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पार्टी की तरफ से नई दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह से एक गीत जारी किया गया था. इस प्रेस वार्ता में आम आदमी पार्टी बिहार सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष लोकेश सिंह के साथ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह भी मौजूद रहे. इस दौरान लोकेश सिंह ने बताया कि जल्द ही पार्टी की तरफ से एक और गीत जारी किया जाएगा.
हर विधानसभा क्षेत्र में 20 टीमें
सांसद संजय सिंह ने बताया कि पार्टी की तरफ से हर विधानसभा क्षेत्र में 20 टीमें बनाई गई हैं. इस गीत को इन टीमों के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस गीत में अरविंद केजरीवाल के संदेश के साथ ही पार्टी की तरफ से दी जाने वाली सभी गारंटी है. इन्हें पार्टी के प्रत्याशी घर-घर तक सोशल मीडिया के माध्यम से और सीधे संपर्क के माध्यम से पहुंचाएंगे.
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403 सीटों से लड़ रहे चुनाव
आम आदमी पार्टी पहली बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में उतर रही है. पार्टी की तरफ से पहले समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का प्रयास किया गया. इसको लेकर काफी चर्चाएं भी हुईं. यहां तक कि आम आदमी पार्टी की तरफ से गठबंधन की पुष्टि तक कर दी गई, लेकिन बाद में बात बिगड़ गई और पार्टी की तरफ से अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की गई. जानकारों की मानें तो यहां सीटों के बंटवारे पर बात नहीं बन पाई. एक ओर आम आदमी पार्टी जहां ज्यादा सीटें चाहती थी, वहीं समाजवादी पार्टी एनसीआर और उसके आसपास के इलाकों में कुछ सीटें देने की तैयारी में थी.
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