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UP Academic Session 2022: यूपी में अभिभावकों को देनी होगी बढ़ी हुई स्कूल फीस!

शैक्षिक सत्र 2022-23 (UP Academic Session 2022) को लेकर अभिभावकों को चुकानी पड़ेगी बढ़ी फीस. अनऐडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Unaided School Association) ने शासन द्वारा नए सत्र के फैसले को मानने से साफ किया इंकार. 7 फरवरी से यूपी के सभी स्कूलों को की खोलने की मांग.

UP Academic Session 2023
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Published : Feb 3, 2022, 10:59 AM IST

Updated : Feb 3, 2022, 11:13 AM IST

लखनऊ : शैक्षिक सत्र 2022 (UP Academic Session 2022) को लेकर अभिभावकों को बढ़ी हुई स्कूल फीस चुकानी पड़ेगी. अनऐडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Unaided School Association) ने शासन द्वारा नए सत्र के फैसले को मानने से साफ इंकार कर दिया है. एसोसिएशन का आरोप है कि यह फैसला राजनीतिक है.

एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि अभिभावकों को यूपी में इस साल बढ़ी हुई फीस (UP increased school fees) देनी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि स्कूल की फीस में बीते 2 साल से कोई वृद्धि नहीं की गई है. कोरोना संक्रमण (Corona cases in up) का हवाला देते हुए सरकार ने फीस ना बढ़ाने के आदेश दिए थे. तत्कालीन स्थितियों को देखते हुए अभिभावकों को राहत भी दी गई लेकिन वर्तमान स्थिति में फीस न बढ़ाने का फैसला गलत होगा.

UP Academic Session 2023

यह भी पढ़ें- UP Election 2022: कांग्रेस ने देर रात जारी की 27 प्रत्याशियों की लिस्ट, यहां करें चेक


उनका दावा है कि लखनऊ सिटी मोंटेसरी स्कूल, सेंट जोसेफ स्कूल समेत एसोसिएशन के सदस्य सभी स्कूल इस मुद्दे पर एकमत हैं. साथ ही प्रदेश के दूसरे संगठनों से भी इस मुद्दे पर बात की जा चुकी है और उन्होंने भी सहमति जताई है.

इरम ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन (Iram Group Of Institutions) के निदेशक फैजी यूनुस ने कहा कि निजी स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन पूरी तरह से स्कूल फीस पर ही निर्भर करता है. कोरोना संक्रमण (Corona virus) के दौर में कई प्राइवेट स्कूल बंद हो गए. शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन बीते 2 सालों से नहीं बढ़ा है. फीस कम आ रही है जबकि बिजली के बिल और दूसरे खर्चे अपनी जगह पर हैं. फीस ना बढ़ाने के फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान शिक्षकों और कर्मचारियों का होगा. उनकी वेतन वृद्धि इस साल भी रुक जाएगी .

उन्होंने बताया कि स्कूल पहले से ही अभिभावकों को अपने स्तर पर राहत देते रहे हैं. शासन के इस तरह के फैसले का लाभ वह लोग ज्यादा उठाते हैं जिनको इसकी जरूरत नहीं है. सरकारी कर्मचारी को पूरा वेतन मिल रहा है. वह कोरोना संक्रमण के बावजूद वेतन पा रहा है तो उनको अपने बच्चे की फीस देने में क्या दिक्कत हो सकती है ? शासन को अपने इस फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए.

स्कूल खोलने की मांग
एजुकेशन की तरफ से 7 फरवरी से प्रदेश के सभी स्कूलों को खोलने की मांग की गई है. एसोसिएशन का कहना है कि जब प्रदेश में मॉल, पार्क, रेस्टोरेंट आदि सब खुले हैं तो स्कूलों को बंद करने का क्या औचित्य है? संगठन की तरफ से चेतावनी दी गई है कि अगर 7 फरवरी से स्कूल नहीं खोले गए तो वह ऑनलाइन कक्षाओं को बंद करके अपनी नाराजगी दर्ज कराएंगे.

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लखनऊ : शैक्षिक सत्र 2022 (UP Academic Session 2022) को लेकर अभिभावकों को बढ़ी हुई स्कूल फीस चुकानी पड़ेगी. अनऐडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (Unaided School Association) ने शासन द्वारा नए सत्र के फैसले को मानने से साफ इंकार कर दिया है. एसोसिएशन का आरोप है कि यह फैसला राजनीतिक है.

एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि अभिभावकों को यूपी में इस साल बढ़ी हुई फीस (UP increased school fees) देनी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि स्कूल की फीस में बीते 2 साल से कोई वृद्धि नहीं की गई है. कोरोना संक्रमण (Corona cases in up) का हवाला देते हुए सरकार ने फीस ना बढ़ाने के आदेश दिए थे. तत्कालीन स्थितियों को देखते हुए अभिभावकों को राहत भी दी गई लेकिन वर्तमान स्थिति में फीस न बढ़ाने का फैसला गलत होगा.

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उनका दावा है कि लखनऊ सिटी मोंटेसरी स्कूल, सेंट जोसेफ स्कूल समेत एसोसिएशन के सदस्य सभी स्कूल इस मुद्दे पर एकमत हैं. साथ ही प्रदेश के दूसरे संगठनों से भी इस मुद्दे पर बात की जा चुकी है और उन्होंने भी सहमति जताई है.

इरम ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन (Iram Group Of Institutions) के निदेशक फैजी यूनुस ने कहा कि निजी स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन पूरी तरह से स्कूल फीस पर ही निर्भर करता है. कोरोना संक्रमण (Corona virus) के दौर में कई प्राइवेट स्कूल बंद हो गए. शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन बीते 2 सालों से नहीं बढ़ा है. फीस कम आ रही है जबकि बिजली के बिल और दूसरे खर्चे अपनी जगह पर हैं. फीस ना बढ़ाने के फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान शिक्षकों और कर्मचारियों का होगा. उनकी वेतन वृद्धि इस साल भी रुक जाएगी .

उन्होंने बताया कि स्कूल पहले से ही अभिभावकों को अपने स्तर पर राहत देते रहे हैं. शासन के इस तरह के फैसले का लाभ वह लोग ज्यादा उठाते हैं जिनको इसकी जरूरत नहीं है. सरकारी कर्मचारी को पूरा वेतन मिल रहा है. वह कोरोना संक्रमण के बावजूद वेतन पा रहा है तो उनको अपने बच्चे की फीस देने में क्या दिक्कत हो सकती है ? शासन को अपने इस फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए.

स्कूल खोलने की मांग
एजुकेशन की तरफ से 7 फरवरी से प्रदेश के सभी स्कूलों को खोलने की मांग की गई है. एसोसिएशन का कहना है कि जब प्रदेश में मॉल, पार्क, रेस्टोरेंट आदि सब खुले हैं तो स्कूलों को बंद करने का क्या औचित्य है? संगठन की तरफ से चेतावनी दी गई है कि अगर 7 फरवरी से स्कूल नहीं खोले गए तो वह ऑनलाइन कक्षाओं को बंद करके अपनी नाराजगी दर्ज कराएंगे.

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Last Updated : Feb 3, 2022, 11:13 AM IST
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