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जेस्टोसिस-2019 में हुआ विचार, कैसे बचाई जाए प्रसूताओं की जान

लखनऊ में आयोजित हुए दो दिवसीय जेस्टोसिस-2019 का मुख्य उद्देश्य प्रसूताओं का बचाव था. यूपी में हर साल एक लाख महिलाओं में 300 महिलाएं अधिक रक्तस्राव की वजह से प्रसव के बाद जान गंवा देती हैं. ऐसे में वो विधियां बताईं गईं, जिनकी वजह से उनका रक्तचाप कम हो सके और उनकी जान बच सके.

जेस्टोसिस-2019
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Published : Mar 24, 2019, 3:27 PM IST

लखनऊ : अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय जेस्टोसिस-2019 का आयोजन किया गया. यह आयोजन लखनऊ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी सोसायटी ने आयोजित किया. इस आयोजन में देश भर से स्त्री रोग एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ ने प्रतिभाग किया. इसमें प्रसूताओं के बचाव के लिए विचार-विमर्श किया गया.

डॉक्टरों ने दी जानकारी

इस कॉन्फ्रेंस में बेंगलुरू से आई डॉक्टर शीला ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के साथ सबसे बड़ी परेशानियां होती हैं कि प्रसव के बाद उन्हें काफी ज्यादा रक्तस्राव होने लगता है. ऐसे में यदि उन्हें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में रेफर किया जाए तो उस दौरान अधिक रक्त स्राव की वजह से उनकी मृत्यु तक हो जाती है. भारत की बात करें तो प्रति एक लाख गर्भवती महिलाओं में 30% महिलाओं की अधिक रक्तस्राव की वजह से मृत्यु हो जाती है.

अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो एक लाख महिलाओं में 300 महिलाएं हर साल अधिक रक्तस्राव की वजह से प्रसव के बाद जान गंवा देती हैं. ऐसे में जरूरी है कि ऐसी विधियां लाई जाएं, जिनकी वजह से उनका रक्तचाप कम हो सके और उनकी जान बच सके.

कानपुर के गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर विनीता अवस्थी ने बताया कि हमारे सामने कई ऐसे मामले आते हैं, जिनमें गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के बाद कुछ कारणों की वजह से मृत्यु हो जाती है. अगर उन कारणों पर हम ध्यान देकर पैरामेडिकल स्टाफ को ही यदि ट्रेनिंग दे तो काफी हद तक प्रसूताओं को बचाया जा सकता है.

लखनऊ : अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय जेस्टोसिस-2019 का आयोजन किया गया. यह आयोजन लखनऊ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी सोसायटी ने आयोजित किया. इस आयोजन में देश भर से स्त्री रोग एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ ने प्रतिभाग किया. इसमें प्रसूताओं के बचाव के लिए विचार-विमर्श किया गया.

डॉक्टरों ने दी जानकारी

इस कॉन्फ्रेंस में बेंगलुरू से आई डॉक्टर शीला ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के साथ सबसे बड़ी परेशानियां होती हैं कि प्रसव के बाद उन्हें काफी ज्यादा रक्तस्राव होने लगता है. ऐसे में यदि उन्हें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में रेफर किया जाए तो उस दौरान अधिक रक्त स्राव की वजह से उनकी मृत्यु तक हो जाती है. भारत की बात करें तो प्रति एक लाख गर्भवती महिलाओं में 30% महिलाओं की अधिक रक्तस्राव की वजह से मृत्यु हो जाती है.

अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो एक लाख महिलाओं में 300 महिलाएं हर साल अधिक रक्तस्राव की वजह से प्रसव के बाद जान गंवा देती हैं. ऐसे में जरूरी है कि ऐसी विधियां लाई जाएं, जिनकी वजह से उनका रक्तचाप कम हो सके और उनकी जान बच सके.

कानपुर के गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर विनीता अवस्थी ने बताया कि हमारे सामने कई ऐसे मामले आते हैं, जिनमें गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के बाद कुछ कारणों की वजह से मृत्यु हो जाती है. अगर उन कारणों पर हम ध्यान देकर पैरामेडिकल स्टाफ को ही यदि ट्रेनिंग दे तो काफी हद तक प्रसूताओं को बचाया जा सकता है.

Intro:लखनऊ। अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय जेस्टोसिस 2019 का आयोजन किया गया है यह आयोजन लखनऊ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी सोसायटी द्वारा आयोजित किया गया है इस आयोजन में देश भर से स्त्री रोग एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ ने प्रतिभाग किया है और अपने अपने व्याख्यान दिए हैं।


Body:वीओ
इस कांफ्रेंस में बेंगलुरु से आई डॉक्टर शीला माने ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के साथ सबसे बड़ी परेशानियां होती है कि प्रसव के बाद उन्हें काफी ज्यादा रक्तस्राव होने लगता है और ऐसे में यदि उन्हें एक अस्पताल अस्पताल से दूसरे अस्पताल में रेफर किया जाए तो उस दौरान अधिक रक्त स्राव की वजह से उनकी मृत्यु तक हो जाती है। भारत की बात करें तो प्रति एक लाख गर्भवती महिलाओं में 30% महिलाओं की अधिक रक्तस्राव की वजह से मृत्यु हो जाती है। अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो एक लाख महिलाओं में 300 महिलाएं हर साल अधिक रक्तस्राव की वजह से प्रसव के बाद जान गंवा देती है। ऐसे में जरूरी है कि ऐसी विधियां लाई जाए जिनकी वजह से उनका रक्तचाप कम हो सके और उनकी जान बच सके।
कानपुर के गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर विनीता अवस्थी ने बताया कि हमारे सामने कई ऐसे मामले आते हैं जिनमें गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के बाद कुछ कारणों की वजह से मृत्यु हो जाती है अगर उन कारणों पर हम ध्यान देकर पैरामेडिकल स्टाफ को ही यदि ट्रेनिंग दे तो काफी हद तक प्रसूताओं को बचाया जा सकता है।




Conclusion:बाइट- डॉ विनीता अवस्थी
बाइट- डॉ शीला माने, बंगलोर

रामांशी मिश्रा
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