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डग्गामार बसों के सवाल पर भड़के परिवहन मंत्री और प्रमुख सचिव, कह दी यह बड़ी बात

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Published : Jan 14, 2020, 1:38 AM IST

Updated : Jan 14, 2020, 3:18 AM IST

उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री अशोक कटारिया और प्रमुख सचिव आरके सिंह से जब डग्गामार बसों के बारे में सवाल पूछा गया तो वह भड़क गए. उन्होंने कहा कि जो कार्रवाई साल भर में नहीं हो पाती थी, वह अब डेढ़ महीने के अंदर हुई है.

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डग्गामार बसों के सवाल पर भड़के परिवहन मंत्री और प्रमुख सचिव.

लखनऊ: हाल ही में कन्नौज में एक डग्गामार बस में आग लगने से कई यात्री बुरी तरह जल गए. बस में न इमरजेंसी दरवाजा था और न ही खिड़की. न फायर सेफ्टी उपकरण था और न ही दुर्घटना से बचने के कोई उपाय, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों और पुलिस के रहम पर यह डग्गामार बसें सड़क पर धड़ल्ले से दौड़ रही थीं.

बसों के सवाल पर भड़क उठे परिवहन मंत्री.

11 जनवरी से 17 जनवरी के बीच 31वां राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह चल रहा है. इस दौरान परिवहन विभाग सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरुक करने का काम करता ही है, साथ ही डग्गामार वाहनों के खिलाफ अभियान भी चलाता है, लेकिन अभियान महज खानापूर्ति करने जैसा होता है. प्रदेश भर में डग्गामार बसों का जाल फैला हुआ है. यही डग्गामार बसें दुर्घटना का कारण भी बन रही हैं.

बावजूद इसके जब परिवहन मंत्री अशोक कटारिया से डग्गामार वाहनों पर कार्रवाई को लेकर सवाल पूछा गया तो परिवहन मंत्री जवाब देते, इससे पहले ही प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह यह सवाल सुनकर ही भड़क उठे. उन्होंने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि डग्गामार के खिलाफ जो कार्रवाई पिछले एक साल में नहीं होती थी, वह कार्रवाई अवैध वाहनों के खिलाफ डेढ़ माह में की गई है.

नहीं जवाब दे पाए परिवहन मंत्री
परिवहन मंत्री ने भी प्रमुख सचिव की हां में हां मिलाई और कहा कि हम डग्गामार वाहनों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहे हैं. हालांकि जब यह सवाल किया गया कि क्या कन्नौज में जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई, वह डग्गामार थी? उसका स्टेज कैरिज या कांट्रैक्ट कैरिज में से कौन सा परमिट था? तो इसका जवाब परिवहन मंत्री भी नहीं दे पाए.

यह भी पढ़ें: लखनऊ: सीएम योगी ने कैबिनेट की बैठक में लिए 7 अहम फैसले

अयोध्या रूट पर सीज की गई सबसे ज्यादा बसें
प्रदेश की सड़कों पर किस कदर डग्गामार बसें दौड़ रही है, इसका अंदाजा पिछले साल जुलाई माह में चेकिंग अभियान से लगाया जा सकता है. प्रदेश के ज्यादातर जनपदों में जमकर डग्गामार बसों का संचालन हो रहा है. इनमें सबसे ज्यादा 158 बसें अयोध्या रूट पर सीज की गईं. वहीं दूसरे नम्बर पर लखनऊ रीजन में 148 बसें सीज कीं गई. आगरा में 12 बसों का चालान हुआ तो 51 बसें सीज की गईं.

कई जिलों में बसों को किया गया सीज
इसी तरह अलीगढ़ में एक बस का चालान किया गया जबकि 25 बसों को सीज किया गया. वहीं अयोध्या में आठ का चालान, 158 सीज, आजमगढ़ में 11 सीज, बांदा में एक का चालन, 14 सीज, बरेली में 21 सीज, बस्ती में एक का चालान, सात बसें सीज, गाजियाबाद में 18 बसों का चालान, 56 बस सीज, गोंडा में 5 बसों का चालान, 29 बसें सीज, गोरखपुर में एक बस का चालान, 63 सीज, कानपुर नगर में 6 का चालान 63 सीज, लखनऊ में पांच का चालान 148 सीज, मेरठ में 18 सीज, मिर्जापुर में दो सीज, मुरादाबाद में 36 बसों का चालान 68 सीज, प्रयागराज में 7 बसों का चालान 49 सीज, सहारनपुर में एक बस का चालान, वाराणसी में 28 बसों का चालान और 42 बसें सीज की गईं.

यह भी पढ़ें: कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस विभाग के सामने होंगी ये चुनौतियां

129 बसों का किया गया चालान
इस तरह कुल मिलाकर माह भर के अभियान में 129 डग्गामार बसों का चालान किया गया, वहीं 826 बसें बंद कराई गईं. इनमें से ज्यादातर अवैध बसें फिर से सड़क पर दौड़ती हुई नजर आती हैं, लेकिन अब ऐसे अवैध वाहनों के खिलाफ चेकिंग अभियान की जहमत भी नहीं उठाई जा रही है.

लखनऊ: हाल ही में कन्नौज में एक डग्गामार बस में आग लगने से कई यात्री बुरी तरह जल गए. बस में न इमरजेंसी दरवाजा था और न ही खिड़की. न फायर सेफ्टी उपकरण था और न ही दुर्घटना से बचने के कोई उपाय, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों और पुलिस के रहम पर यह डग्गामार बसें सड़क पर धड़ल्ले से दौड़ रही थीं.

बसों के सवाल पर भड़क उठे परिवहन मंत्री.

11 जनवरी से 17 जनवरी के बीच 31वां राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह चल रहा है. इस दौरान परिवहन विभाग सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरुक करने का काम करता ही है, साथ ही डग्गामार वाहनों के खिलाफ अभियान भी चलाता है, लेकिन अभियान महज खानापूर्ति करने जैसा होता है. प्रदेश भर में डग्गामार बसों का जाल फैला हुआ है. यही डग्गामार बसें दुर्घटना का कारण भी बन रही हैं.

बावजूद इसके जब परिवहन मंत्री अशोक कटारिया से डग्गामार वाहनों पर कार्रवाई को लेकर सवाल पूछा गया तो परिवहन मंत्री जवाब देते, इससे पहले ही प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह यह सवाल सुनकर ही भड़क उठे. उन्होंने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि डग्गामार के खिलाफ जो कार्रवाई पिछले एक साल में नहीं होती थी, वह कार्रवाई अवैध वाहनों के खिलाफ डेढ़ माह में की गई है.

नहीं जवाब दे पाए परिवहन मंत्री
परिवहन मंत्री ने भी प्रमुख सचिव की हां में हां मिलाई और कहा कि हम डग्गामार वाहनों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहे हैं. हालांकि जब यह सवाल किया गया कि क्या कन्नौज में जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई, वह डग्गामार थी? उसका स्टेज कैरिज या कांट्रैक्ट कैरिज में से कौन सा परमिट था? तो इसका जवाब परिवहन मंत्री भी नहीं दे पाए.

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अयोध्या रूट पर सीज की गई सबसे ज्यादा बसें
प्रदेश की सड़कों पर किस कदर डग्गामार बसें दौड़ रही है, इसका अंदाजा पिछले साल जुलाई माह में चेकिंग अभियान से लगाया जा सकता है. प्रदेश के ज्यादातर जनपदों में जमकर डग्गामार बसों का संचालन हो रहा है. इनमें सबसे ज्यादा 158 बसें अयोध्या रूट पर सीज की गईं. वहीं दूसरे नम्बर पर लखनऊ रीजन में 148 बसें सीज कीं गई. आगरा में 12 बसों का चालान हुआ तो 51 बसें सीज की गईं.

कई जिलों में बसों को किया गया सीज
इसी तरह अलीगढ़ में एक बस का चालान किया गया जबकि 25 बसों को सीज किया गया. वहीं अयोध्या में आठ का चालान, 158 सीज, आजमगढ़ में 11 सीज, बांदा में एक का चालन, 14 सीज, बरेली में 21 सीज, बस्ती में एक का चालान, सात बसें सीज, गाजियाबाद में 18 बसों का चालान, 56 बस सीज, गोंडा में 5 बसों का चालान, 29 बसें सीज, गोरखपुर में एक बस का चालान, 63 सीज, कानपुर नगर में 6 का चालान 63 सीज, लखनऊ में पांच का चालान 148 सीज, मेरठ में 18 सीज, मिर्जापुर में दो सीज, मुरादाबाद में 36 बसों का चालान 68 सीज, प्रयागराज में 7 बसों का चालान 49 सीज, सहारनपुर में एक बस का चालान, वाराणसी में 28 बसों का चालान और 42 बसें सीज की गईं.

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129 बसों का किया गया चालान
इस तरह कुल मिलाकर माह भर के अभियान में 129 डग्गामार बसों का चालान किया गया, वहीं 826 बसें बंद कराई गईं. इनमें से ज्यादातर अवैध बसें फिर से सड़क पर दौड़ती हुई नजर आती हैं, लेकिन अब ऐसे अवैध वाहनों के खिलाफ चेकिंग अभियान की जहमत भी नहीं उठाई जा रही है.

Intro:डग्गामार के सवाल पर भड़के परिवहन मंत्री, प्रमुख सचिव, कहा एक साल में जो नहीं हुआ वह डेढ़ माह में हुआ

लखनऊ। हाल ही में कन्नौज में एक डग्गामार बस में दर्जनों यात्री बुरी तरह जल गए। बस में न इमरजेंसी दरवाजा था न ही खिड़की। न फायर सेफ्टी उपकरण और और न ही दुर्घटना से बचने के कोई उपाय, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों और पुलिस के रहम पर यह डग्गामार बस सड़क पर धड़ल्ले से दौड़ रही थी, ऐसी ही हजारों डग्गामार बसें राजधानी से लेकर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के साथ ही अन्य राज्य तक फर्राटा भरती हैं, लेकिन दौड़ रहीं इन डग्गामार बसों के सवाल पर प्रदेश के परिवहन मंत्री और प्रमुख सचिव भड़क जाते हैं। उनका ध्यान डग्गामार बसों के खिलाफ अभियान चलाने के बजाय यह बताने में लग जाता है कि जो कार्रवाई साल भर में नहीं हो पाती थी, वह कार्रवाई डेढ़ माह के अंदर हुई है।





Body:11 जनवरी से 17 जनवरी के बीच 31वां राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह चल रहा है और इस दौरान परिवहन विभाग सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम करता ही है, साथ ही डग्गामार वाहनों के खिलाफ अभियान भी चलाता है, लेकिन अभियान महज खानापूरी करने जैसा होता है। प्रदेश भर में डग्गामार बसों का जाल फैला हुआ है। यही डग्गामार बसें दुर्घटना का कारण भी बन रही हैं। बावजूद इसके जब परिवहन मंत्री अशोक कटारिया से डग्गामार वाहनों पर कार्रवाई को लेकर सवाल पूछा गया तो परिवहन मंत्री जवाब देते, इससे पहले ही प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह यह सवाल सुनकर ही भड़क उठे। उन्होंने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि डग्गामार के खिलाफ जो कार्रवाई पिछले एक साल में नहीं होती थी, वह कार्रवाई अवैध वाहनों के खिलाफ डेढ़ माह में की गई है। परिवहन मंत्री ने भी प्रमुख सचिव की हां में हां मिलाई और कहा कि हम डग्गामार वाहनों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। हालांकि कन्नौज में जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई वो डग्गामार थी? उसका स्टेज कैरिज या कांट्रैक्ट कैरिज में से कौन सा परमिट था? इस सवाल का जवाब परिवहन मंत्री भी नहीं दे पाए।

बाइट: आरके सिंह: प्रमुख सचिव, परिवहन
बाइट: अशोक कटारिया: परिवहन मंत्री


Conclusion:प्रदेश की सड़कों पर किस कदर डग्गामार बसें दौड़ रही है इसका अंदाजा पिछले साल जुलाई माह में परिवहन विभाग और परिवहन निगम के अधिकारियों के संयुक्त चेकिंग अभियान
से लगाया जा सकता है। प्रदेश के ज्यादातर जनपदों में जमकर डग्गामार बसों का संचालन हो रहा है। इनमें सबसे ज्यादा 158 बसें अयोध्या रूट पर सीज की गईं, वहीं दूसरे नम्बर पर लखनऊ रीजन ने 148 बसें सीज कीं। आगरा में 12 बसों का चालान हुआ तो 51 बसें सीज की गईं। इसी तरह अलीगढ़ में एक का चालान, 25 सीज, अयोध्या में आठ का चालान, 158 सीज, आजमगढ़ में 11 सीज, बांदा में एक का चालन 14 सीज, बरेली में 21 सीज, बस्ती में एक का चालान सात बसें सीज, गाजियाबाद में 18 बसों का चालान 56 बस सीज, गोंडा में 5 बसों का चालान 29 बसें सीज, गोरखपुर में एक बस का चालान 63 सीज, कानपुर नगर में 6 का चालान 63 सीज, लखनऊ में पांच का चालान 148 सीज, मेरठ में 18 सीज, मिर्जापुर में दो सीज, मुरादाबाद में 36 बसों का चालान 68 सीज, प्रयागराज में 7 बसों का चालान 49 सीज, सहारनपुर में एक बस का चालान, वाराणसी में 28 बसों का चालान और 42 बसें सीज की गईं। इस तरह कुल मिलाकर माह भर के अभियान में 129 डग्गामार बसों का चालान किया गया, वहीं 826 बसें बंद कराई गईं। अब मजे की बात यह भी है कि इनमें से ज्यादातर अवैध बसें फिर से सड़क पर दौड़ती हुई नजर आती हैं, लेकिन अब ऐसे अवैध वाहनों के खिलाफ चेकिंग अभियान की जहमत भी नहीं उठाई जा रही है।

अखिल पांडेय, लखनऊ, 93368 64096
Last Updated : Jan 14, 2020, 3:18 AM IST
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